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BILASPUR News:– न्यायधानी के नजदीक पहुंचा हाथी, आंगन में सो रही महिला को कुचलकर मौत, 12 साल का बेटा और एक ग्रामीण गंभीर

BILASPUR News: जंगल से लगे छोटे गांवों में दिखने वाला हाथियों का खतरा अब न्यायधानी बिलासपुर के आसपास बसे इलाकों तक पहुँच गया है। तड़के सुबह गांव में घुसे जंगली हाथी ने घर के बाहर धान की रखवाली कर रही महिला को बेरहमी से रौंदकर मार डाला, जबकि उसके साथ सो रहा 12 वर्षीय बेटा गंभीर रूप से घायल हो गया। इसके बाद हाथी पड़ोस के गांव में भी घुसा और एक अन्य ग्रामीण को चोट पहुंचाई।

Bilaspur बिलासपुर। बिलासपुर शहर के करीब ही हाथियों का कहर पहली बार इतने खतरनाक रूप में सामने आया है। शहर से सटे खपराखोल गांव में हाथी ने आंगन में सो रही महिला पर हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया। महिला के साथ सो रहा 12 साल का बेटा बुरी तरह घायल है। हाथी का आतंक यहीं नहीं रुकाआगे बढ़कर उसने धुरीपारा पौंसरा गांव में भी एक ग्रामीण पर हमला कर दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया।

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घटना शुक्रवार सुबह तड़के 5 बजे की है। सरकंडा थाना क्षेत्र के बैमा रोड स्थित खपराखोल गांव में अचानक हाथी के पहुंचने से हड़कंप मच गया। ग्रामीणों के शोर मचाने से पहले ही हाथी सीधे लेढ़वाराम यादव के घर के आंगन में जा पहुँचा। गुरुवार को लेढ़वाराम ने खेत से धान की मिंजाई कराई थी और उसे खुले आंगन में रखा था। उसी की रखवाली के लिए उसकी पत्नी कुमारी बाई (53) अपने 12 वर्षीय बेटे दुर्गाप्रसाद के साथ प्लास्टिक के टेंटनुमा आश्रय बनाकर वहीं सो रही थी।

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सुबह हाथी बैमा तालाब की ओर से गांव में दाखिल हुआ। पड़ोसी ने हाथी को देखकर गांव वालों को सावधान करने की कोशिश की, लेकिन तब तक हाथी कुमारी बाई के आंगन में पहुंच गया। उसने महिला और उसके बेटे को बुरी तरह रौंद दिया। महिला की मौके पर ही मौत हो गई और बेटे को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया।

इसके बाद हाथी धुरीपारा पौंसरा गांव की ओर बढ़ा और वहां भी एक ग्रामीण को घायल कर दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि सूचना देने के बावजूद वन विभाग की टीम करीब पांच घंटे बाद, सुबह 10 बजे पहुंची। देरी से पहुंचने पर लोगों में भारी नाराज़गी है।

पुलिस ने शव का पोस्टमॉर्टम करवा परिजनों को सौंप दिया है। वन विभाग ने इलाके में मुनादी कराकर ग्रामीणों को रात में बाहर सोने और सतर्क रहने की अपील की है। साथ ही हाथी की मूवमेंट को ट्रैक करने के लिए टीमों को गांवों में तैनात किया गया है।

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Kanha Tiwari

छत्तीसगढ़ के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्होंने पिछले 10 वर्षों से लोक जन-आवाज को सशक्त बनाते हुए पत्रकारिता की अगुआई की है।

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