CG Health सरकारी दांवे –बेहतर इलाज,जमीनी हकीकत–डॉक्टर ही नहीं,मरीजों की किस्मत–अटेंडर के हाथ

स्टाफ का मरीजों से अभद्र व्यवहार – स्वास्थ्य केंद्र बना मज़ाक

CG Health System News:– सरकार के दावे सुनकर लगता है कि ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल रही होगी। लेकिन हकीकत देखने बेलगहना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चले जाइए, जहाँ डॉक्टर छुट्टी पर हैं, दवाइयाँ अधूरी हैं और इलाज का काम अटेंडर संभाल रही है।

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की हालत सुधारने के तमाम सरकारी दावे बिलासपुर जिले के बेलगहना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ध्वस्त होते नज़र आते हैं। यहाँ की स्थिति सिर्फ अव्यवस्था नहीं बल्कि मरीजों की ज़िंदगी के साथ खिलवाड़” है।

डॉक्टर नहीं, दवा ही इलाज!
बेलगहना केंद्र में रोज़ाना आसपास के गाँवों से दर्जनों मरीज पहुँचते हैं, लेकिन उन्हें डॉक्टर से परामर्श नहीं मिल पाता। कारण साफ है, एक डॉक्टर छुट्टी पर हैं और दूसरे की ड्यूटी बाहर लगा दी गई है। नतीजा यह कि मरीजों को बिना जांच के दवा थमा दी जाती है। सवाल यह है कि जब डॉक्टर ही मौजूद नहीं हैं तो यह स्वास्थ्य केंद्र आखिर किसके लिए और किसलिए चल रहा है?

यहाँ के लापरवाह स्टाफ का अमानवीय व्यवहार मरीजों की पीड़ा को और बढ़ा रहे हैं। अटेंडर राजेश्वरी खुरसेंघा का व्यवहार मरीजों के साथ दुर्व्यवहार से कम नहीं। मोबाइल पर वीडियो देखते हुए मरीजों को टालना, दबाव बनाने पर पर्ची बनाना और डॉक्टर की जगह खुद ही दवा थमाना। यह न केवल नियमों का उल्लंघन है बल्कि सीधे-सीधे लोगों की सेहत से खिलवाड़ है। किसी भी स्वास्थ्य केंद्र में यह स्थिति अस्वीकार्य है।

बीमारी बढ़ी, भरोसा टूटा
वायरल बुखार, सर्दी-खांसी जैसी मौसमी बीमारियाँ फैल रही हैं। ऐसे समय में स्वास्थ्य केंद्र का यह रवैया लोगों को मजबूर कर रहा है कि वे निजी अस्पतालों या झोलाछाप डॉक्टरों की शरण लें। यह आर्थिक बोझ भी है और जीवन को खतरे में डालने वाला विकल्प भी।

प्रशासन की जिम्मेदारी
बीएमओ ने समस्या स्वीकार की है और अटेंडर के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है। लेकिन यह पर्याप्त नहीं। ग्रामीणों ने SDM कोटा तक शिकायत की है, जो बताता है कि स्थिति बेहद गंभीर है। यह प्रशासन के लिए चेतावनी है कि यदि तुरंत ठोस कदम नहीं उठाए गए तो यह “प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र” सिर्फ नाम भर रह जाएगा।

नाम ‘स्वास्थ्य केंद्र’ और काम ‘दवा वितरण केंद्र’
ज़रूरी कदम
1) बेलगहना केंद्र में डॉक्टरों की नियमित नियुक्ति और उपस्थिति सुनिश्चित की जाए।
2) लापरवाह और मरीजों से दुर्व्यवहार करने वाले स्टाफ पर तुरंत कार्रवाई हो।
3) स्वास्थ्य केंद्र की कार्यप्रणाली पर कड़ी निगरानी रखी जाए।
4) ग्रामीण अंचल में स्वास्थ्य सेवाओं को जनहित और मानवता के नजरिए से देखा जाए,न कि महज़ औपचारिकता के तौर पर।
बेलगहना स्वास्थ्य केंद्र की यह हालत किसी एक गाँव या इलाके की समस्या नहीं है,यह पूरे ग्रामीण स्वास्थ्य तंत्र की वास्तविकता का आईना है। यदि समय रहते इसे सुधारा नहीं गया तो स्वास्थ्य अधिकार सिर्फ कागज़ पर रह जाएगा और मरीजों की जिंदगी यूँ ही दांव पर लगती रहेगी।
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