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CG:–भाजपा ने कांग्रेस के बोरे-बासी घोटाले में उठाया था भ्रष्टाचार का मुद्दा, अब उसी कंपनी को दे दिया चिंतन शिविर आयोजन का ठेका

Raipur रायपुर।कांग्रेस सरकार के समय मनाए गए बोरे-बासी दिवस में कथित भ्रष्टाचार को लेकर भाजपा ने जिस कंपनी के खिलाफ मोर्चा खोला था, अब उसी कंपनी को भाजपा चिंतन शिविर के आयोजन का जिम्मा सौंप दिया गया है।

कांग्रेस शासन के दौरान 1 मई, मजदूर दिवस को बोरे-बासी दिवस के रूप में मनाया जाता था, जिसे भूपेश बघेल सरकार ने शुरू किया था। मुख्यमंत्री से लेकर कर्मचारी तक उस दिन बोरे-बासी खाकर आयोजन में शामिल होते थे।

1 मई 2023 को हुए कार्यक्रम में मेसर्स व्यापक इंटरप्राइजेज को आयोजन का कार्य सौंपा गया था। महज पांच घंटे के कार्यक्रम के लिए इस कंपनी को 8 करोड़ 70 लाख रुपये का भुगतान किया गया था। भाजपा ने उस समय इसे कांग्रेस सरकार का बड़ा घोटाला करार दिया था। लेकिन अब भाजपा सरकार ने अपने चिंतन और प्रशिक्षण शिविर की संपूर्ण व्यवस्था इसी कंपनी को सौंप दी है। जिससे भाजपा की नीयत और पारदर्शिता पर सवाल उठने लगे हैं। चर्चाओं में यह भी है कि जो फर्म कांग्रेस के वक्त ‘गड़बड़ी’ की प्रतीक थी, वह भाजपा राज में कैसे ‘साफ सुथरी’ हो गई?

सरगुजा के मैनपाट में भाजपा का चिंतन और प्रशिक्षण शिविर
उत्तर छत्तीसगढ़ के सरगुजा के मैनपाट में भाजपा ने तीन दिवसीय चिंतन शिविर का आयोजन किया है। यह शिविर मैनपाट के कलीम होटल में 7 से 9 जुलाई तक चलेगा। सरगुजा संभाग भाजपा की सत्ता में वापसी का बड़ा केंद्र रहा है। इस क्षेत्र की सभी 14 विधानसभा सीटें भाजपा ने जीतीं। डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव और मंत्री अमरजीत भगत जैसे दिग्गज नेता भी यहां से चुनाव हार गए थे। इसी कारण भाजपा ने अपने बड़े चिंतन शिविर के लिए मैनपाट को चुना।



तीन दिवसीय शिविर में पार्टी के बड़े चेहरे शामिल
7 से 9 जुलाई तक चलने वाले इस शिविर में भाजपा के राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के दिग्गज नेता भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, महापौर, जिला पंचायत अध्यक्ष समेत अन्य प्रमुख जनप्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं। कुल 12 सत्रों में चुनाव प्रबंधन, संगठनात्मक अनुशासन, सोशल मीडिया के इस्तेमाल, जनसंपर्क की नई तकनीकों और भाजपा की विचारधारा जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी। इन सभी सत्रों में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की विशेष उपस्थिति रहेगी।


जिस कंपनी पर लगाया था घोटाले का आरोप, अब उसी को दिया जिम्मा
भाजपा ने इस उच्चस्तरीय कार्यक्रम के आयोजन के लिए फिर से मेसर्स व्यापक इंटरप्राइजेज को जिम्मा सौंपा है। यही कंपनी थी जिसे कांग्रेस के समय 1 मई 2023 को हुए बोरे-बासी दिवस का आयोजन करने का कार्य दिया गया था। उस समय इस आयोजन पर करोड़ों रुपये का खर्च दिखाया गया था। जितने लोग कार्यक्रम में शामिल हुए थे, उससे कहीं ज्यादा राशि का भुगतान किया गया।

चार डोम बने, लेकिन बिल छह डोम का लगाया गया। अधिकारियों ने वीआईपी मेहमानों के लिए 1500 रुपये प्रति थाली बोरे-बासी की दर से भुगतान किया। केवल फूलों की सजावट पर तीन लाख रुपये खर्च हुए। 150 विशिष्ट मेहमानों के लिए 10 हजार रुपये प्रति मोमेंटो की दर से 15 लाख रुपये के मोमेंटो खरीदे गए, जबकि यही मोमेंटो बाजार में महज 1000 रुपये में उपलब्ध हैं। कार्ड और लिफाफे पर भी अलग-अलग दर से भारी-भरकम भुगतान किया गया।


बिना टेंडर दिए गया था काम, फिर भी हुआ करोड़ों का भुगतान
इस आयोजन में टेंडर की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। किसी और एजेंसी से कोटेशन भी नहीं मंगाया गया। सिर्फ रायपुर स्मार्ट सिटी में पंजीकृत सूची के आधार पर मेसर्स व्यापक इंटरप्राइजेज को काम सौंप दिया गया था। एक मई को कार्यक्रम होने के बाद 15 मई को कंपनी ने बिल लगाया और 16 जून तक 8 करोड़ 4 लाख रुपये का भुगतान हो गया।

उस वक्त विपक्ष में रही भाजपा ने इस पूरे आयोजन को कांग्रेस सरकार का खुला भ्रष्टाचार बताया था। भाजपा का कहना था कि कंपनी को पहले से ही फायदा पहुंचाने की मंशा थी, इसलिए प्रक्रिया को दरकिनार किया गया।



RTI में सामने आए थे कई चौंकाने वाले खर्च
1 मई 2023 को रायपुर में हुए आयोजन की RTI रिपोर्ट के अनुसार:
• 1 करोड़ 10 लाख रुपये डोम निर्माण में खर्च
• मजदूरों के खाने पर 75 लाख
• पानी पर 27 लाख
• टोपियों पर 80 लाख
• साउंड सिस्टम पर 11 लाख
• लाने-ले जाने में 9 लाख 65 हजार

इन तथ्यों के सामने आने के बाद भाजपा ने कांग्रेस पर घोटाले का आरोप लगाते हुए सोशल मीडिया पर मोर्चा खोला था। उनके आधिकारिक पोस्ट में लिखा गया था:

“बोरे-बासी तिहार मनाए के ढोंग करके कांग्रेस सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ह ₹8 करोड़ के घोटाला कर डारिस, अब होत हे ओकर खुलासा #बोरे_बासी_म_भी_कांग्रेस_करिस_घोटाला”

अब वही कंपनी भाजपा सरकार में जिम्मेदार, सवाल जनता के जिस आयोजन को भाजपा ने ‘घोटाले का प्रतीक’ बताया, अब उसी आयोजन को करने वाली कंपनी को भाजपा ने अपनी सबसे अहम बैठक का आयोजन सौंप दिया है।
अब जनता पूछ रही है —
“जिसे घोटालेबाज कहा, आज उसी से आयोजन क्यों?”
“क्या सत्ता बदलते ही भ्रष्टाचार की परिभाषा भी बदल जाती है?”

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