CG news : कांग्रेस शहर अध्यक्ष की रेस में ‘महिला दावेदार’ की आग जैसी पोस्ट ने मचा दी हलचल — पुराने मठाधीशों पर तंज, राहुल गांधी पर उम्मीदें– जानें पूरी अंदरूनी कहानी

CG News :- । छत्तीसगढ़ कांग्रेस में संगठन सृजन अभियान की धूम मची हुई है। शहर और जिला अध्यक्षों की कुर्सियों को लेकर अटकलें तेज हैं, लेकिन इसी बीच रायपुर जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष पद की दावेदार प्रीति उपाध्याय शुक्ला की फेसबुक पोस्ट ने राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी है। प्रीति ने सिर्फ अपनी उम्मीदें नहीं जताईं, बल्कि लंबे समय से दबती हुई महिलाओं की आवाज़ को भी सामने लाया। उन्होंने ‘नारी न्याय’ और ‘आधी आबादी–आधा हक’ की जोरदार मांग की और पुराने मठाधीशों पर सीधे तंज कसा।
रायपुर। छत्तीसगढ़ कांग्रेस इन दिनों संगठन सृजन अभियान के जोरों पर है। जिला और शहर इकाइयों में नए अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर घमासान मचा हुआ है। दावेदारी, अटकलें और अफवाहों के बीच रायपुर जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष पद की प्रबल दावेदार प्रीति उपाध्याय शुक्ला की फेसबुक पोस्ट ने अचानक राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है।
यह पोस्ट सिर्फ एक कार्यकर्ता की भावनात्मक अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि पूरे महिला मोर्चे की वर्षों से दबाई गई आवाज बनकर उभरी है — ‘नारी न्याय’ की मांग और ‘आधी आबादी को आधा हक’ की पुकार के रूप में।
प्रीति ने अपने पोस्ट में राहुल गांधी से उम्मीद जताते हुए पुराने राजनीतिक मठाधीशों पर सीधा तंज कसा है। सवाल यही है — क्या इस बार वाकई खेल बदलेगा या फिर वही पुरानी सेटिंग दोहराई जाएगी?
अफवाहों की गर्मी और एक महिला कार्यकर्ता की दर्दभरी आवाज
प्रीति उपाध्याय शुक्ला ने खुद को “पार्टी संगठन से जुड़ी एक समर्पित महिला कार्यकर्ता” बताते हुए मीडिया और सोशल मीडिया की उन रिपोर्टों पर निशाना साधा है, जिनमें पहले से ही “नाम फाइनल” जैसी खबरें उड़ाई जा रही हैं।
उन्होंने लिखा, “सबसे सुकून की बात यह है कि रायपुर जिला अध्यक्ष का फैसला राहुल गांधी जी के हाथों में है, जो वेणुगोपाल जी की रिपोर्ट के आधार पर करेंगे।”
प्रीति के शब्दों में सिर्फ भावुकता नहीं, बल्कि वर्षों से पनपी निराशा झलकती है — क्योंकि महिला कार्यकर्ताओं की मेहनत अक्सर पद की राजनीति में दरकिनार कर दी जाती है।
राहुल गांधी ने खुद संगठन सृजन अभियान को “पार्टी की जड़ें मजबूत करने और जमीनी कार्यकर्ताओं को नेतृत्व देने की प्रक्रिया” बताया था।
लेकिन सवाल वही है — क्या यह प्रक्रिया पारदर्शी होगी? क्या इस बार आधी आबादी को वाकई बराबर का हक मिलेगा, या फिर महिलाएं सिर्फ मंच और स्वागत समितियों तक ही सीमित रहेंगी?
‘नारी न्याय’ की गूंज: वादे और हकीकत के बीच फंसी महिलाएं
प्रीति उपाध्याय शुक्ला की पोस्ट का केंद्र बिंदु है ‘नारी न्याय’ और आधी आबादी को आधा हक देने की मांग।
उन्होंने स्पष्ट कहा, “क्या हम महिलाओं को वाकई निर्णय प्रक्रिया में बराबरी का हिस्सा मिलेगा?”
यह सवाल सिर्फ उनका नहीं, बल्कि उन सैकड़ों महिला कार्यकर्ताओं का भी है जो वर्षों से बूथ स्तर तक पार्टी को मजबूत करने में जुटी हैं, पर नेतृत्व की कुर्सी अब तक दूर की चीज बनी हुई है।
कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर पर महिला आरक्षण और संगठन में 50% प्रतिनिधित्व का वादा किया है, लेकिन जमीनी सच्चाई अभी भी निराशाजनक है।
प्रीति की यह पोस्ट उसी असमानता की गूंज है — यह एक अपील है कि “महिलाएं अब केवल जयकारा लगाने वाली नहीं, नेतृत्व देने वाली भी बनें।”
पुराने मठाधीशों पर निशाना: क्या फिर से ‘सेटिंग’ चलेगी?
प्रीति की पोस्ट का सबसे धारदार हिस्सा है पुराने मठाधीशों पर किया गया अप्रत्यक्ष वार।
उन्होंने लिखा, “या फिर वही मठाधीश अपने लोगों को सेट कर देंगे?”
यह लाइन सीधे उस जमीनी हकीकत को उजागर करती है, जहां वर्षों से पद उन्हीं चेहरों के इर्द–गिर्द घूमते हैं।
समर्पित युवाओं और महिलाओं को मौका देने की बजाय, वही पुराने नाम सत्ता–संगठन दोनों में दबदबा बनाए हुए हैं।
प्रीति ने चेतावनी दी — “अगर इस बार भी वही सिलसिला चला, तो नतीजा भी वही होगा।”
यानी जनता और कार्यकर्ताओं की नाराजगी फिर चुनावी हार में बदल सकती है। यह बात न केवल संगठन की नीति, बल्कि भविष्य की रणनीति पर भी बड़ा सवाल खड़ा करती है।
राहुल गांधी के लिए भी परीक्षा की घड़ी
प्रीति ने पोस्ट के अंत में राहुल गांधी पर भरोसा जताया है, लेकिन उनके शब्दों में उम्मीद और चुनौती दोनों हैं।
उन्होंने पूछा, “क्या राहुल गांधी जी के नेतृत्व में यह प्रक्रिया सचमुच पारदर्शी होगी? क्या जमीनी स्तर से समर्पित कार्यकर्ताओं को अवसर मिलेगा?”
यह सवाल सीधा कांग्रेस की विश्वसनीयता और परिवर्तन की नीति से जुड़ा है।
राहुल गांधी के ‘नए भारत’ और ‘नई कांग्रेस’ के सपने की असली परीक्षा अब संगठन के अंदर है।
प्रीति उपाध्याय शुक्ला की यह पोस्ट उसी परीक्षा की घंटी है — एक महिला की उम्मीद, जो अपने जैसे हजारों कार्यकर्ताओं की आवाज बन गई है।
अब निगाहें राहुल गांधी पर
छत्तीसगढ़ कांग्रेस के लिए यह क्षण निर्णायक साबित हो सकता है।
क्या संगठन सृजन अभियान वास्तव में नए चेहरों को मौका देगा, या फिर वही परंपरागत ‘सेटिंग कल्चर’ लौट आएगा?
रायपुर शहर अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर सियासत गरमा चुकी है, और सबकी नजरें राहुल गांधी की अगली चाल पर टिकी हैं।
महिला कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच अब एक ही चर्चा है —
“क्या इस बार आधी आबादी को उनका आधा हक मिलेगा?”
या फिर यह पोस्ट भी बाकी आवाजों की तरह सन्नाटे में खो जाएगी?
अगली कहानी में खुलासा होगा — क्या प्रीति उपाध्याय शुक्ला को मिलेगा मौका, या फिर मठाधीश फिर एक बार ‘खेला’ पलट देंगे?
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