
(अरविन्द तिवारी के साथ शशिभूषण सोनी की रिपोर्ट )
रायपुर ! मनुष्य जब जन्म लेता है तो पहला शब्द मां होता है , यह शब्द गौमाता से ही हम सबको मिला है। ये भारत देश तभी धन्य होगा जब गौमाता राष्ट्रमाता के पद पर प्रतिष्ठित होगी। गौमाता को राष्ट्रमाता बनाने के लिये हम गोभक्त अपनी जान की बाजी भी लगाने के लिये तत्पर हैं। गौमाता ही धर्म , अर्थ , काम , मोक्ष की प्रदात्री है। वे भगवानों के भी भगवान है , कोई भी शुभकर्म या सद्कर्म गौमाता के बिना संभव नही है।

हमारे किसी भी सद्कर्म की साक्षी गौमाता ही होती है , इसलिये कन्यादान के बाद गोदान करने की हमारी परंपरा रही है। पूजा – पाठ , जप – तप ये सब हम लोग एकांत में बिना किसी को बताये करते हैं। लेकिन जब भी गौमाता पर संकट आयेगी तो गोभक्त चुपचाप नही बैठ सकता , वह घर से बाहर निकलकर क्रांति जरूर करेगा । उक्त बातें आज मेक कॉलेज (महाराज अग्रसेन कॉलेज) समता कॉलोनी के सभागृह में भारतीय गौ क्रांति मंच के बैनर तले गौ रत्न सम्मान समारोह को संबोधित करते हुये गौ क्रांति अग्रदूत गोपालमणि महाराज ने कही। गौमाता पर संकट के समय गोभक्त के सामने आने की कथा का उल्लेख करते हुये महाराजश्री ने कहा कि पांडवों के बारह वर्षों के अज्ञातवास के समय उनके पता नही लगने पर दुर्योधन को बताया गया कि गौमाता पर संकट खड़ा करने से उनका पता चल सकता हैं । इस बात की जानकारी होते ही दुर्योधन ने विराट की गौधाम में आग लगा दी। जैसे ही गौमाता पर संकट आया , तुरंत अर्जुन अपना धनुष बाण लेकर सामने आ गया । दुर्योधन ने कहा कि अभी अज्ञातवास समाप्त नही हुआ हैं और अब फिर से बारह वर्षों तक पांडवों को अज्ञातवास करना होगा । तब भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों का पक्ष लेते हुए अज्ञातवास पूरा हो जाने की बात बताई । इस कथा के माध्यम से महाराजश्री ने बताया कि अगर हम धर्म के साथ हैं और गौमाता के साथ हैं तो हमारे पीछे खड़े होकर भगवानश्री कृष्ण निश्चित रूप से हमारा सहयोग करेंगे। महाभारत के चीरहरण कथा पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए महाराजश्री ने कहा कि द्रौपदी को भीष्म पितामह और धर्मराज युधिष्ठिर के रहते चीरहरण नही होने पर विश्वास था लेकिन उनकी दासता के चलते वे सभी उनकी रक्षा करने में असमर्थ रहे । इसके माध्यम से महाराज श्री ने कहा कि जब तक हम गौमाता के लिये अनुदान लेते रहेंगे तब तक दासता की बेड़ियों में जकड़े रहेंगे । उन्होंने अपनी सैकड़ों गौधामों में शासन के तरफ से कुछ भी सहयोग नही लेने की बात बताते हुये इस बात पर जोर दिया कि गौमाता को अनुदान नहीं बल्कि सम्मान चाहिये। उन्होंने धेनु मानस ग्रंथ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मैंने पच्चीस साल तक रामकथा , भागवत कथा कहने के बाद गौमाता की कृपा से इसे लिखा हैं । यह कथा सभी ग्रंथों का सार हैं , जिसे सभी संतों ने स्वीकार भी किया है। उन्होंने सभी गोभक्तों से इस पुस्तक का पाठ करने को भी कहा । अंत में उन्होंने गोभक्तों को दोनों हाथ खड़ा करके गोसेवा करने और गौमाता को राष्ट्रमाता बनाने तक अपनी मेहनत जारी रखने शपथ दिलायी। इसके साथ ही महाराजश्री ने राज्य और केन्द्र सरकार से गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित करने की बात कही। इस समारोह में चार सौ से अधिक गोभक्तों को सम्मानित किया गया। वहीं सम्मान समारोह में साध्वी राजेश्वरी देवा जी महंत श्री सिद्ध बाबा बालक नाथ मंदिर दिल्ली , संत रामबालक दास महात्यागी महाराजजी , संत पंडित प्रकाश शुक्ला , संरक्षक अमृतलाल बिल्थरे , शंकराचार्य आश्रम से अरविन्द तिवारी , आदित्य वाहिनी प्रदेशाध्यक्ष टीकाराम साहू , प्रदेश उपाध्यक्ष टंकेश्वर चंद्रा , आनन्द वाहिनी जिलाध्यक्ष रंजिता शर्मा , जिला सचिव प्रतिमा चंद्राकर , प्रेम शंकर गोटिया , प्रेम सिंघानिया , विश्वेशर पटेल , प्रदेश अध्यक्ष नवीन अग्रवाल , प्रचार प्रमुख झनक लाल बिसेन , महामंत्री राजा पांडे , सूरज यादव , नरेश चंद्रवंशी सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे ।
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