CG News : -सेंट्रल जेल में कैदियों के जिम वीडियो वायरल, सहायक जेल अधीक्षक निलंबित, दो सिपाही बर्खास्त — “पाँच सितारा” सुविधाओं और रेट लिस्ट का खुलासा

Raipur News : – रायपुर सेंट्रल जेल में सिस्टम की चुपचाप चल रही गड़बड़ियाँ अब उजागर हो गई हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में विचाराधीन बंदी राजा बैझाड़ और अन्य कैदियों को जिम करते और सेल्फी लेते देखा गया। इस खुलासे के बाद सहायक जेल अधीक्षक को निलंबित और दो सिपाहियों को बर्खास्त कर दिया गया, जिन पर ड्यूटी में लापरवाही और मिलीभगत के गंभीर आरोप हैं।
जेल के अंदर VIP कैदियों के लिए संचालित “पाँच सितारा” सुविधाओं और रेट लिस्ट भी अब सार्वजनिक हो चुकी है, जो यह सवाल उठाती है कि जब सुधार गृह होने का दावा किया जाता है, तो कैदियों को जिम, मोबाइल, शराब और पैसे से सबकुछ उपलब्ध कराना कैसे संभव हो रहा है।

Raipur News रायपुर सेंट्रल जेल एक बार फिर विवादों में है। कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो ने जेल की “फाइव स्टार” हकीकत उजागर कर दी है। वीडियो में विचाराधीन बंदी राशिद अली उर्फ राजा बैझाड़ को जिम करते, कसरत करते और सेल्फी लेते देखा गया। यह वीडियो वरिष्ठ खोजी पत्रकार मुकेश एस. सिंह ने सार्वजनिक किया था,
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https://x.com/truth_finder04/status/1978770707497767074?s=46
जिसने जेल प्रशासन के भीतर मची अव्यवस्था का पर्दाफाश कर दिया।
वीडियो सामने आने के बाद जेल प्रशासन हरकत में आया और जांच के बाद दो सिपाहियों को बर्खास्त कर दिया गया। लेकिन सवाल अब भी वही है — क्या सिर्फ सिपाही ही दोषी हैं या खेल ऊपर तक जाता है?

RTI कार्यकर्ता कुनाल शुक्ला ने उठाए सवाल
प्रदेश के जाने–माने RTI कार्यकर्ता कुनाल शुक्ला ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा—
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https://x.com/kunal492001/status/1979471266915774942?s=48
“क्या एक सिपाही के पास इतनी हैसियत है कि वो जेल में लक्ज़री बैरक, कमोड वाले टॉयलेट, मोबाइल या व्हिस्की खुद पहुंचा दे? बिल्कुल नहीं। सिपाही तो बस डिलीवरी बॉय है — आदेश ऊपर से आता है, पैकेट नीचे जाता है। जेल के भीतर जिम चलता है, बार खुली रहती है और ‘स्वर्ग समान’ बैरक में जीवन चलता है, बस बाहर वालों को इसका पता नहीं चलता।”
शुक्ला ने कहा, यह कार्रवाई “नीचे से शुरू हुआ न्याय” का उदाहरण है — जहाँ बलि का बकरा हमेशा निचले स्तर का कर्मचारी बनता है, जबकि असली जिम्मेदारी ऊपर बैठे अफसरों की होती है।
कैदियों के “पाँच सितारा” विकल्प
एक भूतपूर्व कैदी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर खुलासा किया —
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https://x.com/kunal492001/status/1980578060400463987?s=46
“भाईसाहब, ये रायपुर सेंट्रल जेल नहीं, रायपुर सेंट्रल रिसॉर्ट है! यहाँ कैदी नहीं, मेहमान ठहरते हैं। फर्क बस इतना है कि चेक–इन पुलिस कराती है और चेक–आउट अदालत तय करती है।”
बताते है कि यहाँ पैसे से सब कुछ खरीदा जा सकता है, सिवाय आज़ादी के। जेल के अंदर “काली कमाई” की नदियाँ ऊपर से नीचे तक बहती हैं।
छोटी गोल बैरक’, जिसे “नई जेल” या “पाँच सितारा सूट” कहा जाता है, सबसे अधिक डिमांड में रहती है।
• ठहरने की कीमत ₹50,000 से ₹5 लाख प्रति माह तक बताई जाती है।
• सिपाही शाम को “ठंडी शराब” लेकर पहुँचाते हैं — वही ब्रांड जो कैदी बाहर पीते थे।
• गांजा ₹500 से ₹1000, गुटखा ₹100-₹500, और सिगरेट ₹1000-₹2000 तक में उपलब्ध होती है।
• माल की डिलीवरी टेनिस बॉल या फुटबॉल में पैक कर दीवार पार फेंककर होती है।
VIP सुविधाएँ और मोबाइल नेटवर्क
जेल में “जैमर” महज़ दिखावा साबित हो रहा है। VIP बैरक में बैठे कैदी स्मार्टफोन से नेटफ्लिक्स से लेकर वीडियो कॉल तक सबकुछ इस्तेमाल कर रहे हैं।
• ₹25,000 मासिक किराए पर “कनेक्टेड रहने की सुविधा” दी जाती है।
• वीडियो वायरल होने वाले कैदी भी इसी “नेटवर्क” से जुड़े बताए जा रहे हैं।
• चार्जिंग का जुगाड़ आसान — टीवी स्विच में मोबाइल चार्जर लगाकर नेटफ्लिक्स एडिशन चालू।
• गरीब कैदियों के लिए “फोन कार्ड प्लान” — ₹2,000 से ₹5,000 देकर हफ़्ते में पाँच मिनट कॉल करने की सुविधा।
जांच में सामने आई
जेल प्रशासन ने जांच के लिए उप जेल अधीक्षक मोखनाथ प्रधान को जिम्मेदारी सौंपी थी। रिपोर्ट में सामने आया कि यह सब उस वक्त हुआ जब प्रहरी राधेलाल खुंटे और बिपिन खलखो की ड्यूटी बैरक नंबर 11, 12 और 13 में थी। दोनों की ड्यूटी के दौरान ही राजा बैझाड़, राहुल दुबे, विश्वनाथ राव और रोहित यादव ने यह वीडियो और सेल्फी ली।
जेल अधीक्षक ने कार्रवाई करते हुए दोनों प्रहरियों को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया।
मोबाइल जेल में कैसे पहुंचा?
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि बंदी शशांक चोपड़ा के पास मोबाइल फोन जेल स्टाफ की मिलीभगत से पहुंचा। सूत्रों के अनुसार, कुछ कर्मचारी राजा बैझाड़ को अंदर से सुविधा मुहैया करवा रहे थे। राशिद अली को एनडीपीएस एक्ट की धारा 20(बी) के तहत जुलाई 2025 में थाना टिकरापारा पुलिस ने गिरफ्तार किया था। वह 11 जुलाई से रायपुर सेंट्रल जेल में बंद है और नशे का नेटवर्क चलाने तथा गैंगवार में शामिल रहने के आरोपों में विचाराधीन है।
अनुशासनहीनता का लंबा इतिहास
राधेलाल खुंटे और बिपिन खलखो दोनों पर पहले भी कई अनुशासनात्मक कार्रवाइयाँ हो चुकी हैं —
• 2008 से 2023 तक राधेलाल पर कई बार अनुपस्थित रहने और निषिद्ध वस्तुएं मिलने के मामलों में दंडित किया गया।
• 2019 से 2022 तक बिपिन खलखो पर वरिष्ठ प्रहरी से अभद्र व्यवहार, अनुपस्थिति और तलाशी में तंबाकू मिलने जैसे मामलों में कार्रवाई की गई।
रायपुर जेल में यह पहली घटना नहीं
यह कोई पहला मामला नहीं है जब रायपुर सेंट्रल जेल विवादों में आई हो। इससे पहले गैंगस्टर अमन साव का फोटोशूट भी जेल के अंदर से वायरल हुआ था। बाद में झारखंड पुलिस ने उसे एनकाउंटर में मार गिराया था। उस वक्त भी जेल प्रशासन पर मिलीभगत और सुरक्षा चूक के आरोप लगे थे।
जेल सुधार या दिखावा?
सवाल यह है कि जब जेलें सुधार गृह कहलाती हैं, तो इनमें VIP कैदियों के लिए जिम, शराब और फोन कैसे पहुँच रहे हैं?
राजा बैझाड़ जैसे अपराधियों के वीडियो का वायरल होना यह बताता है कि जेल सुरक्षा तंत्र अंदर से खोखला हो चुका है।
सिस्टम पर सवाल
मुकेश एस. सिंह द्वारा कुछ दिन पहले वायरल किया गया यह वीडियो एक बार फिर सवाल खड़ा करता है —
क्या रायपुर सेंट्रल जेल अब सुधार गृह नहीं बल्कि ‘फाइव स्टार सुविधा केंद्र’ बन चुकी है?
बार–बार जेल के भीतर से मोबाइल, वीडियो और फोटो का बाहर आना यह साबित करता है कि सिस्टम की जड़ें अब जेल की दीवारों से भी गहरी हो चुकी हैं।
प्रदेश की जेलों में बढ़ रहे “फाइव स्टार” बंदी
रायपुर सेंट्रल जेल में यह कोई पहला मामला नहीं है। हाल के वर्षों में बिलासपुर, दुर्ग, अंबिकापुर और राजनांदगांव की जेलों से भी बंदियों द्वारा मोबाइल चलाने, सेल्फी लेने, और विशेष सुविधाओं का आनंद लेने के कई मामले सामने आ चुके हैं।
प्रदेश के कई जेलों में इस तरह के मामले अब आम हो गए हैं — जिससे जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
सवाल बरकरार: जेल सुधार या रसूख का असर?
जेल में ऐसे “फाइव स्टार बंदियों” की मौजूदगी यह दिखाती है कि नियम और व्यवस्था कागजों तक सीमित रह गई है। जेल के अंदर नशे, मोबाइल और पैसा चलन में होने की चर्चाएं अब खुलकर सामने आ रही हैं।
इस पूरे मामले ने छत्तीसगढ़ की जेलों के संचालन पर सरकार और जेल विभाग की जवाबदेही पर भी सवाल खड़ा कर दिया है।
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