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CG:– शिक्षा का गिरता स्तर: प्रधान पाठक और शिक्षक नहीं बता पाए मुख्यमंत्री–राष्ट्रपति का नाम, साधारण अंग्रेज़ी शब्दों की भी जानकारी नहीं

CG:– छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले से सरकारी शिक्षा तंत्र की बदहाल तस्वीर सामने आई है। हालात ऐसे हैं कि यहां बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक और प्रधान पाठक तक प्रदेश के मुख्यमंत्री, देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति का नाम तक नहीं जानते। साथ ही, सामान्य अंग्रेज़ी शब्दों की स्पेलिंग तक वे नहीं लिख पाए। जिले के कलेक्टर–एसपी का नाम भी इन शिक्षकों की जानकारी में नहीं है।

Balrampur बलरामपुर।
छत्तीसगढ़ के बलरामपुर ज़िले की एक शासकीय प्राथमिक शाला में शिक्षा व्यवस्था की बुनियादी खामियां उजागर हुई हैं। कुसमी विकासखंड के ग्राम पंचायत मड़वा अंतर्गत स्थित प्राथमिक विद्यालय घोड़ासोत में शिक्षकों की ज्ञान स्तर इतना निम्न पाया गया कि वे खुद देश–प्रदेश के शीर्ष नेताओं के नाम नहीं बता सके। जब शिक्षकों से अंग्रेज़ी में ‘Eleven’, ‘Eighteen’, और ‘Nineteen’ जैसे आम शब्दों की वर्तनी लिखने को कहा गया, तो वे सभी गलतियां कर बैठे। वायरल वीडियो के ज़रिए मामला सामने आया है, जिसने सरकारी स्कूलों की हालत पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

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छात्रों से सवाल पूछे गए, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला:–
स्कूल में पहुंचे मीडियाकर्मियों ने बच्चों से भारत के प्रधानमंत्री, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री का नाम पूछा, मगर किसी भी छात्र के पास उत्तर नहीं था। बच्चे चुपचाप खड़े रह गए, जो दर्शाता है कि उन्हें बुनियादी सामान्य ज्ञान की जानकारी भी नहीं दी गई।

शिक्षकों की जानकारी और भी निराशाजनक:–
वहीं मौजूद दो शिक्षक और प्रधान पाठक जब खुद से पूछे गए सवालों का उत्तर नहीं दे पाए तो स्थिति और अधिक चिंताजनक हो गई। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, कलेक्टर और एसपी जैसे सामान्य प्रशासनिक पदों के नाम तक उन्हें ज्ञात नहीं थे। यह शिक्षा व्यवस्था की जमीनी हकीकत को सामने लाने वाला दृश्य था।

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आम शब्दों की स्पेलिंग में भी चूक गए शिक्षक:–
जब शिक्षकों को कहा गया कि वे अंग्रेज़ी में ‘Eleven’, ‘Eighteen’ और ‘Nineteen’ शब्दों की स्पेलिंग लिखें, तो तीनों शिक्षक गलत उत्तर लिख बैठे। यह दर्शाता है कि प्राथमिक शिक्षा के लिए ज़िम्मेदार शिक्षक खुद उस स्तर के ज्ञान से वंचित हैं, जिसकी उन्हें बच्चों को देने की अपेक्षा की जाती है।

स्कूल नहीं, सिस्टम की असफलता का आईना है यह घटना:–
यह मामला केवल एक विद्यालय या कुछ शिक्षकों की लापरवाही नहीं है, बल्कि पूरे शिक्षा विभाग की विफल निगरानी प्रणाली का प्रतीक बन गया है। ना तो नियमित निरीक्षण हो रहे हैं, और ना ही शिक्षक प्रशिक्षण या दक्षता मूल्यांकन को गंभीरता से लिया जा रहा है। इसका सीधा असर बच्चों के भविष्य पर पड़ रहा है।

जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच के बाद कार्रवाई का भरोसा दिलाया:–
घटना के सामने आने पर जब मीडियाकर्मियों ने बलरामपुर के जिला शिक्षा अधिकारी से संपर्क किया, तो उन्होंने मामले की जांच कर दोषी शिक्षकों पर कार्रवाई की बात कही। हालांकि, ऐसी कार्रवाई पूर्व में केवल औपचारिकता तक सीमित रही हैं।

लेकिन सवाल अब भी यही है — क्या इस बार कार्रवाई केवल फाइलों तक सिमट कर रह जाएगी?
यह मामला एक व्यापक शिक्षा संकट की चेतावनी है। यदि सरकार और शिक्षा विभाग अब भी गंभीर नहीं हुए, तो राज्य के लाखों बच्चों का भविष्य अंधकार में धकेल दिया जाएगा। यह महज़ एक गांव की तस्वीर नहीं, पूरे सिस्टम का आईना है।

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