Chhattisgarh News:–DSP कल्पना वर्मा: क्या पुलिस सिस्टम के पर्दे के पीछे कुछ छुपा है? आरटीआई एक्टिविस्ट ने उठाए सवाल, 10 बिंदुओं वाली शिकायत पहुँची राज्यपाल के पास,पढ़िए पूरी खबर….

Raipur News:– पुलिस सिस्टम की पारदर्शिता पर उठे सवाल,कुणाल शुक्ला ने राज्यपाल को सौंपा विस्तृत पत्र,10 बिंदुओं में लगाए गंभीर आरोप,सतर्क और निष्पक्ष जांच की मांग की गई।
Raipur News:–रायपुर। छत्तीसगढ़ में पुलिस सिस्टम को लेकर उठ रहे सवालों के बीच सामाजिक व आरटीआई कार्यकर्ता कुणाल शुक्ला ने डीएसपी कल्पना वर्मा के खिलाफ गंभीर आरोपों से जुड़ी दस बिंदुओं वाली विस्तृत शिकायत सीधे राज्यपाल रमन ढेका को सौंपी है। शुक्ला का कहना है कि मामला अब केवल पुलिस विभाग तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसकी निष्पक्ष जांच पूरे सिस्टम की विश्वसनीयता के लिए ज़रूरी हो गई है।


शिकायत में उन्होंने स्पष्ट लिखा है कि प्रकरण की संवेदनशीलता को देखते हुए राज्य शासन और पुलिस प्रशासन दोनों स्तरों पर तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए। शुक्ला ने राज्यपाल से जिन कदमों की सिफारिश की है, वे इस प्रकार हैं

कुणाल शुक्ला की ओर से राज्यपाल को सौंपी गई शिकायत कुल दस बिंदुओं पर आधारित है, जिनमें से बिंदुओं में कुछ आरोप सामने आए जो बेहद संवेदनशील माने जा रहे हैं। इनमें डीएसपी कल्पना वर्मा के पिता के खातों में आए 42 लाख रुपये के संदिग्ध कैश ट्रांजैक्शन, दंतेवाड़ा पोस्टिंग के दौरान महादेव सट्टा नेटवर्क से कथित जुड़ाव, कुछ वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा संदिग्ध संरक्षण, व्यापारी दीपक टंडन से महंगे उपहार प्राप्त करने और सोशल मीडिया पर विवादित एवं असंगत प्रस्तुतिकरण जैसे बिंदु शामिल हैं।

इसके साथ जिनमें पोस्टिंग–ट्रांसफर में कथित दबाव, अघोषित यात्राएँ, संपत्ति में कथित बढ़ोतरी और फील्ड ड्यूटी के दौरान अनियमितताओं जैसे मुद्दे शामिल हैं। शुक्ला का कहना है कि सोशल मीडिया पर उनके विवादित और असंगत प्रस्तुतिकरण से भी विभागीय आचरण संहिता का उल्लंघन झलकता है, लेकिन इन सभी बिंदुओं पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई या जांच शुरू न होना पूरे पुलिस सिस्टम की विश्वसनीयता पर ही प्रश्नचिह्न लगा रहा है।
“समय पर कार्रवाई न हुई तो अन्य संवैधानिक मंचों का रुख करूंगा” — कुणाल शुक्ला
राज्यपाल को भेजे गए पत्र में शुक्ला ने लिखा है कि यदि प्रकरण पर शीघ्र संज्ञान नहीं लिया गया तो वे हाईकोर्ट, मानवाधिकार आयोग, और अन्य संवैधानिक संस्थाओं के पास जाने के लिए बाध्य होंगे। उन्होंने कहा कि “यह मामला किसी व्यक्ति विशेष का नहीं, बल्कि पुलिस सिस्टम की पारदर्शिता और जवाबदेही से जुड़ा है।”
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