चमगादड़ के मांस से बन रहा था ‘चिली चिकन’! तमिलनाडु पुलिस ने किया रोंगटे खड़े कर देने वाले रैकेट का भंडाफोड़

क्या आपका चिली चिकन वाकई चिकन है? एक सनसनीखेज खुलासे में पता चला है कि चमगादड़ का मांस मसालों और फ्राय के साथ परोसा जा रहा है — ‘चिकन’ के नाम पर! कुछ लालची तत्त्व ग्राहकों को धोखा देकर जैविक रूप से खतरनाक मांस खिला रहे हैं, जो गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।
सेलम (तमिलनाडु)। दक्षिण भारत से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहाँ पुलिस ने चमगादड़ों के मांस को ‘चिकन’ के नाम पर बेचने वाले एक अवैध रैकेट का पर्दाफाश किया है। यह मामला तब उजागर हुआ जब सेलम जिले की पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी कर दो लोगों को गिरफ्तार किया, जो चमगादड़ों का शिकार कर उनका मांस होटल और स्ट्रीट फूड वेंडरों को बेच रहे थे।
चिकन पकोड़ा और चिली चिकन के नाम पर बेचा जा रहा था ‘बैट मीट’
पुलिस जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि यह मांस चिली चिकन, चिकन पकोड़ा और अन्य मांसाहारी व्यंजनों में मिलाया जा रहा था। आरोपी इतने शातिर थे कि मांस की बनावट और मसालों के जरिए ग्राहकों को भ्रमित कर रहे थे। आम उपभोक्ता के लिए इसकी पहचान कर पाना लगभग असंभव था।
जानलेवा हो सकता है चमगादड़ का मांस, विशेषज्ञों की चेतावनी
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेताया है कि चमगादड़ों में कई जूनोटिक वायरस पाए जाते हैं — जैसे सार्स, मर्स और कोविड-19, जिनका संबंध सीधे इन जीवों से रहा है। इनका मांस खाना जैविक बम जैसा खतरा बन सकता है, जो व्यक्ति विशेष ही नहीं, सामूहिक संक्रमण का कारण बन सकता है।
होटल संचालकों की भूमिका भी संदिग्ध
पुलिस की प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि कुछ स्थानीय होटल संचालक और फूड स्टॉल मालिक इस अवैध धंधे में शामिल हो सकते हैं। ‘सस्ते चिकन डिश’ के नाम पर चमगादड़ का मांस परोसने का संदेह गहराता जा रहा है। पुलिस अब आपूर्ति श्रृंखला और संभावित ग्राहकों की भूमिका की जांच कर रही है।
जनता को किया गया आगाह, सतर्क रहने की अपील
सेलम पुलिस और स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से सड़कों पर मिलने वाले सस्ते मांसाहारी भोजन से सावधान रहने की अपील की है। आम जनता से कहा गया है कि अगर किसी भी खाद्य पदार्थ में संदेह हो, तो तत्काल स्थानीय प्रशासन या पुलिस को सूचना दें।
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