छत्तीसगढ़

कोल ब्लॉक भूमि अधिग्रहण: हाईकोर्ट ने केंद्र-राज्य सरकार को जारी किया नोटिस

बिलासपुर । छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता की धारा 247 के तहत किए जा रहे भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली याचिका पर बिलासपुर हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की अध्यक्षता वाली इस बेंच ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार, रायगढ़ कलेक्टर, घरघोड़ा एसडीएम और जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।

 

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याचिकाकर्ताओं की आपत्ति

याचिकाकर्ता चंदन सिंह सिदार सहित 49 किसानों ने अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव के माध्यम से यह याचिका दायर की है। किसानों ने अपनी याचिका में कहा कि नया भूमि अधिग्रहण कानून लागू होने के बावजूद छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता की धारा 247 के तहत भूमि अधिग्रहण किया जा रहा है। इसके तहत 2010 की अधिसूचना के आधार पर मुआवजे का निर्धारण किया गया है, जबकि 15 वर्षों में जमीन के बाजार मूल्य में भारी वृद्धि हो चुकी है।

 

अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि कोल ब्लॉक का भूमि अधिग्रहण सितंबर 2024 में शुरू किया गया, जबकि इसका खनन पट्टा 2023 में ही दे दिया गया था। यह संविधान की धारा 300 A का खुला उल्लंघन है, जो किसी भी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से मनमाने तरीके से वंचित किए जाने से बचाती है।

 

पुनर्वास और पुनर्स्थापना के प्रावधानों की अनदेखी

अधिवक्ता श्रीवास्तव ने यह भी तर्क दिया कि राज्य विधानसभा ने छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता की धारा 247 में केवल मुआवजे के संबंध में संशोधन किया है, लेकिन पुनर्वास और पुनर्स्थापना के पहलुओं पर कोई संशोधन नहीं किया गया। उन्होंने संविधान की धारा 254 का हवाला देते हुए कहा कि यदि किसी क्षेत्र में संसद द्वारा कानून बनाया जाता है, तो राज्य सरकार का कानून उस पर प्रभावी नहीं हो सकता। इस आधार पर उन्होंने भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को असंवैधानिक बताया।

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2010 की अधिसूचना पर सवाल

याचिकाकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार या कलेक्टर ने मुआवजे का निर्धारण किस आधार पर किया है, इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई। न ही भूमि अधिग्रहण अवार्ड की प्रति किसानों को उपलब्ध कराई गई। इसके विपरीत, जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड ने सितंबर-अक्टूबर 2024 में किसानों की जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया।

 

राज्य सरकार की दलील

राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने पक्ष रखते हुए बताया कि पूर्व में भी एक याचिका लगाई जा चुकी है, जिसमें कलेक्टर को समस्याओं के निराकरण का आदेश दिया गया था और कलेक्टर ने सभी समस्याओं का समाधान कर दिया है। इसलिए यह नई याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।

 

नए तथ्यों के आधार पर दायर हुई नई याचिका

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने तर्क दिया कि पूर्व में दायर याचिका केवल 8 प्रभावित किसानों द्वारा लगाई गई थी, जबकि मौजूदा याचिका 49 प्रभावित किसानों की ओर से दायर की गई है। इसके अलावा, कलेक्टर के आदेश से मिली जानकारी के आधार पर ही यह स्पष्ट हुआ कि भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही माइनिंग लीज दी जा चुकी थी, जो कानूनी रूप से अनुचित है।

 

इस मामले में हाई कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार सहित रायगढ़ कलेक्टर, घरघोड़ा एसडीएम और जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई में यह स्पष्ट होगा कि भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया कानूनी रूप से वैध है या नहीं।

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