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CG News:- वित्तीय सीमा को बलाए ताक रखकर कलेक्टर ने डीएमएफ मद से पंचायत को दे दिया करोड़ों रूपये के कार्यों का आबंटन,

जिले में बना बंदरबांट की चर्चा का विषय,

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जांजगीर चाँपा।जिले में पूर्व की तरह डीएमएफ मद में भ्रष्टाचार का खेल बदस्तूर जारी है। जिला मुख्यालय जांजगीर से लगे ग्राम पंचायत खोखरा के स्टेडियम के भीतर विभिन्न प्रकार के खेल कोर्ट, मैदान के निर्माण के लिए कलेक्टर और अध्यक्ष जिला खनिज न्यास निधि (डीएमएफ) नियमों को धता बताते हुए इस मद वित्तीय सीमा को लांघते हुए करोड़ों के खेल जोन निर्माण के लिए ग्राम पंचायत को ही निर्माण एजेंसी बना दिया गया है, कलेक्टर के इस कार्य से राशि की बंदरबांट की आशंका जताई जा रही है। संदेह तब और गहरा हो जाता है जब इस काम के संबंध में जिला प्रशासन और न हीं ग्राम पंचायत द्वारा किसी प्रकार की जानकारी देने से पल्ला झाड़ा जा रहा है। जिले में करोड़ों के काम के लिए सक्षम, तकनिकी जानकारी रखने वाले विभाग मौजूद है। उनके रहते करोड़ों के काम के लिए ग्राम सरपंच को एजेंसी बनाने के कारण यह संदेहास्पद हो गया है।

जिला मुख्यालय जांजगीर से लगे ग्राम पंचायत खोखरा में मुनंद मार्ग में बने स्टेडियम में इन दिनों करोड़ों के निर्माण कार्य चल रहे हैं। स्टेडियम परिसर के भीतर दर्जनभर के करीब स्पोर्ट्स गतिविधियों के लिए अलग-अलग खेल कोर्ट तैयार किए जा रहे हैं। लेकिन इस कार्य के संबंध में जानकारी देने सरपंच-सचिव से लेकर अफसर तक डीएमएफ फंड से हो रहे इस निर्माण कार्य से जुड़ी जानकारी देने से सरपंच-सचिव से लेकर जनपद स्तर के अधिकारी बचते नजर आ रहे हैं। खोखरा सरपंच अगले दिन जानकारी देने की बात कहकर जानकारी नहीं दे रहे है। निर्माण एजेंसी होने के बावजूद पंचायत सचिव का कहना है कि सरपंच के कहने पर प्रस्ताव भेजा गया था, कौन ठेकेदार हैं, कितनी राशि की स्वीकृति मिली है. यह सब सरपंच ही बता पाएंगे। उन्हें कोई जानकारी ही नहीं है। सभी कार्य एक ही परिसर में हो रहे हैं लेकिन अलग- अलग मद से काम होने का हवाला दिया जा रहा है। स्टेडियम के भीतर चल रहा निर्माण कार्य बताया जा रहा है कि इसके लिए डीएमएफ फंड से करीब डेढ़ करोड़ की राशि मंजूर की गई है, लेकिन इसमें हैरत वाली बात यह है कि करोड़ों के काम के लिए ग्राम पंचायत खोखरा को निर्माण एजेंसी बना दिया गया है और पंचायत के द्वारा बाहरी ठेकेदार को काम दे दिया गया है जिसके द्वारा निर्माण शुरू करा दिया गया है। जबकि 50 लाख रुपए से अधिक का काम होने पर निर्माण एजेंसी पंचायत नहीं बनाने का नियम है। बता दें, स्टेडियम के भीतर एक ही परिसर में जितने निर्माण कार्य हो रहे हैं. सभी खेलकूद से संबंधित हैं, बावजूद इसे अलग-अलग काम मुनून्द द रोड स्थित जिस स्टेडियम को स्पोर्ट्स जोन के रूप में तैयार किया जा रहा है, सबको पता है कि नगरपालिका सालों पहले स्टेडियम को बनाने में लाखों रुपए खर्च किए थे लेकिन गांव की सीमा से बाहर होने के कारण यह बिना उपयोग ही खंडहर हो गया। अब उसी जगह पर ही फिर से करोड़ों रुपए फूंकने जिला प्रशासन ने रेवड़ी की तरह डीएमएफ की राशि बांट दी। पंचायत के प्रस्ताव पर अधिकारियों ने आंख मूंदकर मुंहर लगा दी जबकि स्टेडियम तक पहुंच आज भी खिलाड़ियों से दूर ही है। बताया जा रहा है और अलग-अलग मद में राशि बांटकर पंचायत को निर्माण एजेंसी बनाने का तर्क दिया जा रहा है। अधिकारियों का तर्क है कि सभी काम अलग-अलग मद से होगे, इसलिए पंचायत को निर्माण एजेंसी बनाया जा सकता है।

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बड़ी सौगात, पर जब सही हो निर्माण उल्लेखनीय है कि जिस तरह से खंडहर पड़े और धान मंडी बन चुके इस स्थान को संवारा जा रहा है मेट्रो स्तर की सुविधा देने की कोशिश की जा रही है वो निश्चित ही युवाओं और खिलाड़ियों के लिए बड़ी सौगात इस संबंध में कलेक्टर आकाश छिकारा से मोबाइल के माध्यम से जानकारी चाही गई लेकिन उन्होंने किसी तरह का जवाब नहीं दिया और न कॉल रिसीव किया गया। साबित होगी लेकिन यह तभी संभव होगा तक काम नियमों के तहत हो। यहां क्रिकेट प्रेक्ट्रिक्स कोर्ट, व्हालीबॉल, हेडबॉल, खोखो योगाभ्यास पिच, फुटवाल ग्राउंड जैसे बड़े खेल स्पोर्ट्स कोच तैयार हो रहे है। लेकिन इतना बड़ा काम होने के बावजूद ग्राम पंचायत एजेंसी को बना दिया गया है और सारा काम ठेकेदार के भरोसे चल रहा है। मॉनिटरिंग करने वाला निर्माण स्थल पर कोई जिम्मेदार नजर नहीं आते। इससे गुणवत्ता पर ही सवाल लग रहे हैं। ग्राम पंचायत निर्माण एजेंसी है और आठ से नी प्रकार के गतिविधियों से संबंधित काम खेल हो रहे हैं।

वही इस संबंध में जानकारी के लिए पहले हमने ग्राम पंचायत खोखरा के सचिव गजानंद साहू से फोन से संपर्क कर जानकारी लेना चाहा तो सचिव ने फोन तक उठाना मुनासिब नहीं समझा।

कलेक्टर से नहीं मिला कोई जवाब

जिले के कलेक्टर आकाश छिकारा से भी इस संबंध में संपर्क कर जानकारी लेने की कोशिश की गई तब उन्होंने भी काल अटेंड नहीं किया।

वही न ही इस मामले पर कोई भी जिम्मेदार अधिकारियों ने जवाब दिया हैं। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि जिले में हो रहे भ्रष्टाचार पर अधिकारी किस तरह से आम जनता के धन पर पलीता लगा रहे हैं,देखना होगा कि इस भ्रष्टाचार पर आगे क्या कुछ वाई होगी या फिर हर बार की तरह इस बार भी खानापूर्ति कर लिया जाएगा।

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Kanha Tiwari

छत्तीसगढ़ के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्होंने पिछले 10 वर्षों से लोक जन-आवाज को सशक्त बनाते हुए पत्रकारिता की अगुआई की है।

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