Chhattisgarhछत्तीसगढ़न्यायालयबड़ी ख़बरबिलासपुर

Bilaspur Highcourt News:–महामाया मंदिर के कुंड में मृत कछुओं के मामले में ट्रस्ट उपाध्यक्ष को हाईकोर्ट से राहत, डीएफओ की कार्यप्रणाली पर अदालत ने उठाए सवाल,देखें video…

Bilaspur Highcourt News:– बिलासपुर। सिद्ध शक्तिपीठ महामाया मंदिर परिसर के कुंड में मृत कछुओं के मिलने के प्रकरण में बिलासपुर हाईकोर्ट ने मंदिर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष सतीश शर्मा को अग्रिम जमानत दे दी है। वन विभाग द्वारा उनके विरुद्ध वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 9 के तहत दर्ज मामले में न्यायालय ने साफ तौर पर कहा कि यह धारा सतीश शर्मा पर लागू नहीं होती।

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

साथ ही कोर्ट ने वन विभाग के डीएफओ की भूमिका पर भी गंभीर टिप्पणियां करते हुए उनकी जानकारी और विवेचना प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं।

क्या है पूरा मामला?

सिद्ध शक्तिपीठ महामाया मंदिर परिसर स्थित तालाब में कुछ दिन पहले बड़ी संख्या में मृत कछुए पाए गए थे। इस घटना के बाद वन विभाग ने मंदिर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष सतीश शर्मा, सफाई ठेकेदार और अन्य के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 9 के तहत शिकार का प्रकरण दर्ज किया था। मामले में दो आरोपियों की पहले ही गिरफ्तारी हो चुकी थी, जबकि सतीश शर्मा के विरुद्ध कार्रवाई के लिए वन विभाग प्रयासरत था।

क्या हुआ कोर्ट में? देखें video

सतीश शर्मा ने गिरफ्तारी से पूर्व हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका प्रस्तुत की, जिस पर सुनवाई सोमवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा की एकलपीठ में हुई।

क्या हुआ कोर्ट में?

सुनवाई के दौरान सतीश शर्मा की ओर से अधिवक्ता ने पक्ष रखते हुए कहा कि उनके मुवक्किल पर शिकार का कोई प्रत्यक्ष आरोप नहीं है। उन्होंने केवल ट्रस्ट की बैठक के निर्णय के अनुसार तालाब की सफाई की अनुमति दी थी। यह कार्य नवरात्रि के दौरान भक्तों की भीड़ को ध्यान में रखते हुए रात्रिकाल में करवाया गया था। उन्होंने बताया कि सफाई के दो दिन बाद तालाब से दुर्गंध आने लगी, जिसके बाद मृत कछुए बरामद हुए। इससे यह स्पष्ट है कि तो घटना में शिकार की कोई पुष्टि होती है, ही कछुओं की तस्करी से संबंधित कोई साक्ष्य मौजूद है।

कोर्ट ने जब यह पूछा कि सफाई के लिए रात 12 बजे अनुमति क्यों दी गई, तो अधिवक्ता ने जवाब दिया कि दिन में भारी भीड़ होने के कारण रात में ही सफाई करवाई जाती है। इस पर चीफ जस्टिस ने तीखा टिप्पणी करते हुए कहा कि “रात 12 बजे ताला खुलवाना तो तिजोरी लुटवाने जैसा है।”

  छत्तीसगढ़ सराफा एसोसिएशन का शपथ ग्रहण समारोह बुधवार को

डीएफओ की जानकारी पर भी उठे सवाल

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने सुनवाई के दौरान डीएफओ की योग्यता और कार्यशैली पर भी कठोर टिप्पणी करते हुए पूछा कि एक आईएफएस अधिकारी होते हुए भी उन्हें वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की मूल धाराएं 9, 39 और 49 की जानकारी क्यों नहीं है? उन्होंने यह भी कहा कि जिस आरोपी (सतीश शर्मा) पर धारा 9 लगाई गई है, वह उन पर लागू ही नहीं होती।

अदालत ने यह भी सवाल उठाया कि डीएफओ ने किस आधार पर एफआईआर दर्ज करवाई और क्यों उसे पहले अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ किया गया? विवेचना के बाद सतीश शर्मा को नामजद किया गया, जबकि साक्ष्य केवल सफाई की अनुमति देने तक ही सीमित थे। मंदिर में ड्यूटी पर तैनात सुरक्षाकर्मी के बयान का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि उसमें भी शिकार से जुड़ा कोई संकेत नहीं है।

जमानत मंजूर, वन विभाग की प्रक्रिया पर नाराज़गी

सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने स्पष्ट किया कि सतीश शर्मा के विरुद्ध लगाए गए आरोप अधिनियम की धारा 9 के अंतर्गत नहीं आते। कोर्ट ने यह भी कहा कि जब अपराध की प्रकृति ही स्पष्ट नहीं है, और आरोपी का उस अपराध से प्रत्यक्ष संबंध नहीं बनता, तो अग्रिम जमानत देना उचित है।

इसके साथ ही अदालत ने डीएफओ को फटकार लगाते हुए कहा कि वह कानून की धाराओं की मूल जानकारी के बिना गंभीर धाराओं के अंतर्गत प्रकरण दर्ज कर रहे हैं। यह प्रक्रिया न्याय के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध है।

वही महामाया मंदिर के तालाब में मृत कछुओं के मामले में भले ही वन विभाग ने शिकार के तहत गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया हो, परंतु हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि बिना पर्याप्त साक्ष्यों के किसी को आरोपी बनाना न्यायोचित नहीं है। इस फैसले से केवल सतीश शर्मा को राहत मिली है, बल्कि वन विभाग की कार्यप्रणाली पर भी एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं।

Was this article helpful?
YesNo

Live Cricket Info

Kanha Tiwari

छत्तीसगढ़ के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्होंने पिछले 10 वर्षों से लोक जन-आवाज को सशक्त बनाते हुए पत्रकारिता की अगुआई की है।

Related Articles

Back to top button