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वकील पिता की मौत के बाद स्कूली छात्र ने प्रोफेशनल वकील की तरह माफियाओं के खिलाफ चीफ जस्टिस की डीबी में दी दलील, बताया माफियाओं के इशारे पर पुलिस ने कैसे फंसाया

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में 18 वर्षीय स्कूल छात्र ने प्रोफेशनल वकील की तरह चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में दलील पेश की। छात्र ने बताया कि वह दसवीं कक्षा पास करने के बाद आगे की पढ़ाई भी करना चाहता है पर माफियाओं के इशारे पर पुलिस ने उसे झूठे केस में फंसा दिया है। एक ही समय पर एक ही थाने में दो अलग-अलग केस उसके खिलाफ दर्ज किए गए हैं। अपने तर्क में छात्र ने बताया कि माफिया उसे परेशान कर घर में रहने नहीं दे रहे हैं।
जिसके चलते आगे के स्कूल का एडमिशन भी नहीं हो पाया है।

तोरवा मेन रोड निवासी पियूष गंगवानी पिता स्वर्गीय रामचंद्र गंगवानी का जमीन विवाद पिछले 3 साल से अधिक समय से कारोबारी नरेंद्र मोटवानी के साथ चल रहा है। रामचंद्र गंगवानी अधिवक्ता थे। उनकी मौत के बाद उनके पीछे परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटे है। रामचंद्र भगवान के बेटे पियूष गंगवानी ने हाईकोर्ट में अपने ऊपर दर्ज अपराध को रद्द करने हेतु याचिका लगाई थी।

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याचिका की सुनवाई के जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच में हुई। याचिका में पियूष गंगवानी ने बताया कि भूमिया नरेंद्र मोटवानी उसके घर और घर से लगी जमीन को जबरदस्ती खरीदना चाहता है जबकि वह घर नहीं बेचना चाहते। जमीन बेचने के लिए वह कई बार धमका चुका है और जेल भिजवाने की भी धमकी दे चुका है। पीयूष गंगवानी ने बताया कि शहर के नामी आदतन बदमाश दयालबंद निवासी ऋषभ पाणिकर को भी दवा बनाने के लिए नरेंद्र मोटवानी ने अपने साथ शामिल कर रखा है। ऋषभ पाणिकर ने भी उसे जमीन बेचने के लिए धमकी दी थी।

याचिका कर्ता पियूष गंगवानी के अनुसार 20 सितंबर 2022 को शाम करीब 5:00 बजे वह अपनी मां के साथ स्कूटी में सामान खरीदने गोल बाजार जा रहा था। तभी गांधी चौक के पास नरेंद्र मोटवानी व ऋषभ पाणिकर अपनी कार में आए। उन्होंने मां बेटे को रोक लिया और जबरदस्ती उन्हें कार में बैठा अगवा कर लिया। मां बेटे को दयालबंद स्थित ऋषभ पाणिकर के ऑफिस में ले जाया गया। इस दौरान नरेंद्र मोटवानी व ऋषभ पाणिकर उनकी पेंडल वार अस्पताल के पास वाली जमीन को अपने नाम लिखवाने के लिए दबाव बनाने लगे और लात– घुसो से जमकर मारपीट की। इस दौरान पीयूष की मां हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाती रही।

पूरी घटना की ऑडियो रिकॉर्डिंग पीयूष गंगवानी ने चोरी छिपे कर ली थी। शिकायत मिलने पर कोतवाली थाने में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक पारुल माथुर के निर्देश पर नरेंद्र मोटवानी और ऋषभ पाणिकर के ऊपर अपराध दर्ज किया गया था। आदतन बदमाश ऋषभ पाणिकर का पूरे शहर में जुलूस पुलिस अधीक्षक पारुल माथुर ने निकलवाया था।

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पीयूष गंगवानी के ऊपर भी आईटी एक्ट और 420 का अपराध बाद में पुलिस ने दर्ज किया था। एफआईआर रद्द करने को लेकर पीयूष गंगवानी ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी।

याचिका में बहस के लिए 19 वर्षीय पीयूष गंगवानी ने खुद चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में दलीले दी। अपनी दलीलों में चीफ जस्टिस के पूछने पर पीयूष गंगवानी ने बताया कि उसके पिता अधिवक्ता थे और उनकी मौत हो गई है। उनकी माता हाउसवाइफ है तथा एक भाई भी है।

बहस में पियूष गंगवानी ने बताया कि माफियाओं के इशारे पर पुलिस ने उनके खिलाफ झूठा केश बनाया है। सिर्फ मेमोरेंडम के आधार पर आरोपी बना दिया गया। दलीलों के दौरान बताया कि जब मैं अंडर 18 था तब मेरा किडनैप माफियाओ ने किया था। इस दौरान उनके साथ एक लड़की भी थी। उन्होंने रेप केस में फसाने की धमकी दी थी।

चीफ जस्टिस के पूछने पर याचिका कर्ता ने भारत माता स्कूल से मैंने दसवीं की पढ़ाई की है। स्कूल का कुछ लगा रखा है, एडमिशन के कागज आदि पूछने पर पियूष ने कहा कि दसवीं पास होने के बाद ग्यारहवीं में मैं माफियाओं के चक्कर में एडमिशन नहीं ले पा रहा हूं। माफिया मुझे घर से बाहर रहने को मजबूर कर रहे है।

याचिका कर्ता ने बताया कि माफिया लोगों के घर आकर प्रताड़ित कर रहे हैं। जिसकी ऑडियो और वीडियो सबूत के साथ पेन ड्राइव में पेश कर रहे हैं। याचिका कर्ता के अनुसार एफआईआर में कहीं भी उसका नाम नहीं है।

याचिकाकर्ता ने बताया कि मैं इस केस में 17 साल का हूं, लेकिन इन्होंने कहीं भी मेरा आइडेंटिटी नहीं लगाया है। लॉर्डशिप जैसे ही मेरी उम्र 18 साल हुई तो इन्होंने मेरे ऊपर आईटी एक्ट और 420 का केस बना दिया। एक ही थाने में बनाया और एक ही टाइम पर दो केस बना दिए। नोटिस में मेरा फर्जी साइन कर दिया और मैं अंडर 18 हूं, मेरा कोई दस्तावेज नहीं दिया गया। मेरी उम्र कुछ भी लिख दी है। मेमोरेंडम के बेस पर केस बना दिया।

याचिकाकर्ता ने कहा कि किसी इंस्टाग्राम में उनका नंबर एड करके उन्हें फंसाया जा रहा है। उन्होंने ने बताया कि 10-15 और लोगों ने भी इन लोगों के खिलाफ केस किया हुआ है। इन दोनों लोगों में से एक अभी जेल में बंद हैं और अब वह बेल पर बाहर आने वाला है। याचिकाकर्ता की दलीलें सुनने के बाद जज ने स्टेट काउंसिल को अगली सुनवाई तक काउंटर एफडेविट जमा करने का निर्देश दिया। आरोपी की बेल पर भी कोर्ट ने रोक लगा दी है।

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Kanha Tiwari

छत्तीसगढ़ के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्होंने पिछले 10 वर्षों से लोक जन-आवाज को सशक्त बनाते हुए पत्रकारिता की अगुआई की है।

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