Bilaspur Highcourt News:– नर्सरी स्कूलों पर सरकार की गाइडलाइन पर हाईकोर्ट सख्त, कागजी औपचारिकता बताया, पहले नियम बनाने के निर्देश

Bilaspur Highcourt News:– बिलासपुर हाईकोर्ट में बिना मान्यता संचालित प्री-नर्सरी और नर्सरी स्कूलों को लेकर अहम सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने स्कूल शिक्षा विभाग की उस गाइडलाइन पर सवाल खड़े किए, जिसे दंडात्मक प्रावधानों के बिना जारी किया गया है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि नियम बनाए बिना केवल गाइडलाइन जारी करना महज़ कागजी औपचारिकता है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि पहले विधिवत नियम तैयार किए जाएं, उसके बाद ही गाइडलाइन लागू की जाए।
Bilaspur | बिलासपुर। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार की तैयारियों पर कड़ी नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 19 नवंबर 2025 को जारी दिशा-निर्देशों में सजा या दंड का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है, जिससे उनकी कानूनी उपयोगिता समाप्त हो जाती है। न्यायालय ने माना कि जो संस्थान निःशुल्क शिक्षा देने के दायित्व में आते हैं, उनके संचालन के लिए सख्त, पारदर्शी और जवाबदेह नियमों का होना अनिवार्य है।
भिलाई निवासी सी. भगवंत राव ने एडवोकेट देवर्षि ठाकुर के माध्यम से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में आरटीई कानून, नर्सरी स्कूलों के संचालन के लिए नियमों के अभाव समेत अन्य गंभीर मुद्दों को उठाया गया है। इसी विषय से जुड़ी अन्य याचिकाओं पर भी अदालत एक साथ सुनवाई कर रही है। इनमें रायपुर निवासी कांग्रेस नेता विकास तिवारी की याचिका भी शामिल है, जिसमें प्रदेशभर में बिना अनुमति संचालित प्री-नर्सरी और नर्सरी स्कूलों तथा एक ही नाम से मान्यता लेकर उसी नाम से कई शाखाएं चलाने के मामलों को चुनौती दी गई है।
हाईकोर्ट के पूर्व आदेश के अनुपालन में शिक्षा सचिव की ओर से शपथ पत्र पेश किया गया। इसमें बताया गया कि शैक्षणिक सत्र 2025–26 के दौरान अभिभावकों से कुल 976 शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें से अब तक केवल 167 मामलों का ही निराकरण हो पाया है, जबकि 809 शिकायतें अब भी लंबित हैं। याचिकाकर्ता पक्ष ने आंकड़ों के साथ अदालत को बताया कि दुर्ग जिले में 183 में से सिर्फ 1, बिलासपुर में 99 में से केवल 1 और रायपुर में 199 में से मात्र 42 शिकायतों का निपटारा किया गया है। इस पर कोर्ट ने असंतोष व्यक्त करते हुए प्रक्रिया को बेहद धीमी और चिंताजनक बताया।
अभिभावकों की शिकायतों का शीघ्र निवारण जरूरी:–
हाईकोर्ट ने कहा कि नर्सरी और प्री-नर्सरी स्तर के बच्चों से जुड़े मामलों को लंबे समय तक लंबित रखना उचित नहीं है। अभिभावकों की शिकायतों का त्वरित समाधान किया जाना चाहिए। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि सभी लंबित मामलों में जल्द कार्रवाई सुनिश्चित की जाए और अगली सुनवाई में विस्तृत शपथ पत्र प्रस्तुत किया जाए।
महाधिवक्ता का आश्वासन:–
महाधिवक्ता विवेक शर्मा ने अदालत को अवगत कराया कि स्कूल शिक्षा विभाग गाइडलाइन का पुनरीक्षण करेगा और आवश्यक संशोधनों के साथ उन्हें कानूनी ढांचे में लाने पर विचार किया जाएगा। हाईकोर्ट ने उम्मीद जताई कि सरकार इस मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए एक ठोस नीति और प्रभावी निगरानी व्यवस्था विकसित करेगी, जिससे छोटे बच्चों की शिक्षा से जुड़े संस्थानों में पारदर्शिता, सुरक्षा और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।

