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CG:– शासन के आदेशों की अनदेखी, नियमों के विपरीत संलग्नीकरण पर डीईओ की भूमिका सवालों में


CG:– नियमों को दरकिनार कर संलग्नीकरण किए जाने का मामला जांजगीर-चांपा जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से सामने आया है। डीईओ जांजगीर-चांपा की कार्यप्रणाली एक बार फिर विवादों में घिरती नजर आ रही है। आरोप है कि जिला शिक्षा अधिकारी ने शासन की पूर्व अनुमति के बिना ही एबीईओ और एडीपीओ को अपने कार्यालय में संलग्न कर दिया है।

Janjgir–Champa, जांजगीर-चांपा। जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) जांजगीर-चांपा पर एक बार फिर नियम-कायदों की अनदेखी के गंभीर आरोप लगे हैं। जानकारी के मुताबिक विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय बलौदा में पदस्थ एक महिला सहायक विकासखंड शिक्षा अधिकारी (एबीईओ) को नियमों को ताक पर रखकर दोबारा जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय जांजगीर में संलग्न किया गया है। यह संलग्नीकरण बीते लगभग डेढ़ माह से लगातार जारी है, जबकि इसके लिए शासन से किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ शासन के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा पूर्व में स्पष्ट निर्देश जारी किए जा चुके हैं कि शिक्षा विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों को उनकी मूल पदस्थापना पर ही कार्यरत रखा जाए, ताकि शैक्षणिक एवं प्रशासनिक कार्य प्रभावित न हों। गैर-शैक्षणिक कार्यों में लगाए गए शिक्षकों को छोड़कर अन्य किसी अधिकारी या कर्मचारी को बिना सक्षम स्वीकृति के अन्यत्र संलग्न नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद जांजगीर-चांपा जिले में इन निर्देशों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, डीईओ जांजगीर द्वारा 28 अक्टूबर 2025 को आदेश जारी कर बलौदा ब्लॉक में पदस्थ एबीईओ पुष्पा कोरी दिवाकर को जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय जांजगीर में संलग्न किया गया। बताया जा रहा है कि इस आदेश के पूर्व न तो शासन स्तर से और न ही किसी सक्षम प्राधिकारी से अनुमति ली गई थी, जिससे आदेश की वैधानिकता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

शिकायतों की जांच का जिम्मा भी नियम विरुद्ध संलग्न अधिकारी को:–
जिले के शासकीय विद्यालयों में कई वरिष्ठ प्राचार्य और व्याख्याता पदस्थ हैं, इसके बावजूद शिक्षा विभाग से संबंधित अधिकांश शिकायतों की जांच की जिम्मेदारी डीईओ द्वारा इसी नियम विरुद्ध संलग्न एबीईओ को सौंपी जा रही है। आरोप है कि कई मामलों में जांच महज औपचारिक बनकर रह जाती है, जिससे शिकायतकर्ताओं को निष्पक्ष न्याय नहीं मिल पाता।

यह उल्लेखनीय है कि यह पहली बार नहीं है। पूर्व में भी तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा एबीईओ पुष्पा कोरी दिवाकर को इसी प्रकार नियमों के खिलाफ डीईओ कार्यालय में संलग्न किया गया था। उस समय मामला मीडिया में उजागर होने के बाद उन्हें उनके मूल पदस्थापना स्थल विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय बलौदा वापस भेजा गया था। अब एक बार फिर वही स्थिति बनने से विभागीय गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं।

समग्र शिक्षा के एडीपीओ को भी किया डीईओ कार्यालय में संलग्न:–
नियमों की अनदेखी यहीं तक सीमित नहीं रही। डीईओ जांजगीर द्वारा 28 अक्टूबर 2025 को जारी एक अन्य आदेश के तहत समग्र शिक्षा अंतर्गत राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान में पदस्थ एडीपीओ प्रदीप कुमार शर्मा को भी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय जांजगीर में संलग्न कर दिया गया। आदेश में यह तर्क दिया गया कि डीईओ कार्यालय के कार्यालयीन कार्यों एवं विभिन्न योजनाओं के संचालन के लिए उनकी आवश्यकता है।

जबकि वास्तविकता यह है कि एडीपीओ प्रदीप कुमार शर्मा की प्रतिनियुक्ति राज्य शासन द्वारा राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अंतर्गत की गई है। ऐसे में जिला शिक्षा अधिकारी को उन्हें अपने कार्यालय में संलग्न करने का अधिकार नहीं है। इसी आदेश के तहत उप प्राचार्य राजकुमार तिवारी को भी डीईओ कार्यालय में संलग्न किया गया था, हालांकि बाद में पदोन्नति के पश्चात शासन द्वारा उन्हें प्राचार्य बनाकर अन्य जिले में पदस्थ कर दिया गया।

लगातार जारी इन संलग्नीकरण आदेशों के बाद जिला शिक्षा अधिकारी जांजगीर-चांपा की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े हो गए हैं। शासन के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद नियम विरुद्ध संलग्नीकरण यह दर्शाता है कि जिले में शिक्षा विभाग के आदेशों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा। अब देखना यह होगा कि शासन और उच्च प्रशासन इस पूरे मामले में क्या कदम उठाता है।

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