ChhattisgarhINDIAअजब-गजबअपराधछत्तीसगढ़जरूरी खबरबड़ी ख़बरभ्रष्टाचारराज्य एवं शहर

CG Neet Selection EWS Scam News:– मेडिकल प्रवेश के लिए जारी फर्जी ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र कांड में नया मोड़, छात्राओं ने कहा – तहसील से ही जारी हुआ था सर्टिफिकेट, तहसील की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

CG Neet Selection EWS Scam News:– फर्जी ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र विवाद अब और गहराता जा रहा है। जिन छात्राओं को प्रमाणपत्र जारी हुआ था, उन्होंने और उनके परिजनों ने स्पष्ट किया है कि उन्होंने नियमित प्रक्रिया का पालन करते हुए तहसील में आवेदन किया था और उसी के बाद उन्हें प्रमाणपत्र जारी किया गया। उनका कहना है कि अगर किसी स्तर पर हेराफेरी हुई है तो वह तहसील कार्यालय के भीतर हुई होगी। तीनों छात्राओं ने इस मामले में तहसील पहुंचकर बयान भी दर्ज करवाए हैं। अब तहसील दफ्तर की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है और वहां की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े हो गए हैं।

Bilaspur बिलासपुर। मेडिकल एडमिशन के लिए जारी फर्जी ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र मामले ने सोमवार को नया मोड़ ले लिया। तहसीलदार के सामने तीनों आवेदक और उनके परिजनों ने अपने बयान दर्ज कराए। उनका कहना था कि प्रमाणपत्र उन्होंने ऑनलाइन आवेदन के बाद नियमपूर्वक हासिल किया था और यह तहसील से ही जारी हुआ। उन्होंने यह भी साफ किया कि सील और हस्ताक्षर की विसंगति से उनका कोई लेना-देना नहीं है।

तहसीलदार ने इस दौरान सभी मूल दस्तावेज मंगवाए और जांच की। परिजनों ने कहा कि अगर सील या हस्ताक्षर में गड़बड़ी पाई गई है तो यह दफ्तर के भीतर की हेराफेरी है, जिसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं थी। दूसरी ओर प्रशासनिक स्तर पर यह बड़ा प्रश्न उठ रहा है कि जब आवेदन ऑनलाइन दर्ज था तो उसकी फाइल तहसील रिकॉर्ड में क्यों नहीं मिली। फिलहाल जांच टीम ऑनलाइन डेटा और तहसील रिकॉर्ड का मिलान कर रही है।

तहसील में गिरोह सक्रिय होने की आशंका:
प्रारंभिक जांच में संकेत मिले हैं कि तहसील दफ्तर के भीतर संगठित गिरोह सक्रिय हो सकता है। अलग-अलग सील और हस्ताक्षर वाले प्रमाणपत्र यह दर्शाते हैं कि गड़बड़ी काफी गहरी है। अब प्रशासन यह पता लगाने में जुटा है कि किन कर्मचारियों की संलिप्तता से यह फर्जीवाड़ा हुआ। सूत्र बताते हैं कि जांच की आंच बड़े अधिकारियों तक भी पहुंच सकती है।

  वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ सलीम राज को मिला कैबिनेट मंत्री का दर्जा

रीडर पर गहराया संदेह:
पूरे मामले में तहसील कार्यालय के रीडर की भूमिका सबसे संदिग्ध मानी जा रही है। जांच समिति ने उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया है। यह आशंका जताई जा रही है कि आवेदन और दस्तावेजों की हेराफेरी इसी स्तर पर हुई। उसकी गतिविधियों पर पैनी नजर रखी जा रही है और जल्द ही उसके बयान भी दर्ज किए जाएंगे।

रिकॉर्ड सिस्टम पर सवाल:
ऑनलाइन आवेदन के बावजूद तहसील में फाइल का न मिलना, रिकॉर्ड मैनेजमेंट की गंभीर खामियों को उजागर करता है। यदि आवेदन वैध रूप से दर्ज हुआ था तो उसका रिकॉर्ड कैसे गायब हुआ? इसने इस संदेह को और गहरा कर दिया है कि डिजिटल और कागजी रिकॉर्ड में जानबूझकर छेड़छाड़ की गई। अब जब मामला सार्वजनिक हो चुका है तो रिकॉर्ड को “सही” करने की कवायद तेज कर दी गई है।

पूरा घटनाक्रम:
शैक्षणिक सत्र 2025-26 में मेडिकल प्रवेश हेतु तीन छात्राओं ने ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया था। चिकित्सा शिक्षा आयुक्त कार्यालय, रायपुर ने सात विद्यार्थियों के दस्तावेज सत्यापन हेतु भेजे थे। जांच में पाया गया कि तीन छात्राओं के आवेदन तहसील रिकॉर्ड में मौजूद नहीं थे। इसके बाद मामला तूल पकड़ गया और कलेक्टर के निर्देश पर छात्राओं व परिजनों के बयान दर्ज किए गए।

Was this article helpful?
YesNo

Live Cricket Info

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Back to top button