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Janjgir news:– :– खनिज विभाग की लापरवाही, रेत माफियाओं की मिलीभगत और संविदा कर्मचारी की भूमिका पर उठे गंभीर सवाल


Janjgir news:– जांजगीर-चांपा। जिले में खनिज विभाग और रेत माफियाओं के गहरे गठजोड़ का एक नया खुलासा हुआ है। शनिवार की सुबह, अवैध रूप से रेत से भरे तीन ट्रैक्टरों को कलेक्टर कार्यालय परिसर में खड़ा किया गया। लेकिन कुछ ही घंटों में ट्रैक्टरों को छोड़ दिया गया — और यह वही क्षण था जिसने प्रशासन और विभाग की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।

Janjgir news:–जांजगीर-चांपा। जिले में खनिज विभाग की कार्यप्रणाली और रेत माफियाओं की मिलीभगत का एक नया मामला सामने आया है। शनिवार की छुट्टी के दिन सुबह अवैध रूप से रेत से भरे तीन ट्रैक्टरों को पकड़कर कलेक्टर कार्यालय परिसर में खड़ा किया गया, लेकिन कुछ ही घंटों में इन्हें छोड़ दिए जाने की घटना ने प्रशासन और विभाग की जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

मुख्य गेट पर खुली पोल
कलेक्टर कार्यालय के मुख्य गेट पर ड्यूटी कर रहे आरक्षक दुलारी यादव ने जब ट्रैक्टरों के कागजात मांगे, तो ड्राइवर कोई दस्तावेज पेश नहीं कर सके। जब आरक्षक ने पूछा कि ट्रैक्टर किसने छोड़ा, तो ड्राइवरों ने सीधे कहा — “गौरी राठौर ने छोड़ा।”
इस जवाब के बाद आरक्षक ने ट्रैक्टरों को वापस कार्यालय परिसर में खड़ा किया। इस घटना से खनिज विभाग की मिलीभगत की परतें उजागर होती नजर आ रही हैं।

जमीनी हकीकत
पकड़े गए ट्रैक्टर कुछ ही घंटों में छोड़ दिए गए, लेकिन आरक्षक दुलारी यादव की सख्ती से ट्रैक्टर वापस कलेक्टर कार्यालय परिसर में खड़ा किया गया।
खनिज विभाग की कार्यप्रणाली सिर्फ दिखावे की बनी हुई है, वास्तविकता में लापरवाही चरम पर है।
चांपा क्षेत्र में अवैध रेत कारोबार लगातार जारी है, और विभागीय निगरानी मजाक बनकर रह गई है।

संविदा कर्मचारी की भूमिका

जिले में चर्चा है कि खनिज विभाग के लगभग सभी काम — क्रेशर संचालन, रेत ठेके और निरीक्षण कार्य — संविदा कर्मचारी गौरी राठौर के भरोसे चल रहे हैं।
रेगुलर कर्मचारी भी उनके सामने खुलकर बात नहीं कर पाते, क्योंकि उन्हें विभागीय अधिकारियों का “खास” माना जाता है। यही वजह है कि गौरी राठौर को विभागीय स्तर पर खुली छूट मिल गई है।

प्रशासन और राजनीतिक हस्तियों पर उठ रहे सवाल

यह घटना केवल एक ट्रैक्टर तक सीमित नहीं है, बल्कि लंबे समय से चल रहे अवैध रेत कारोबार और विभागीय मिलीभगत का प्रतीक है। प्रशासन की जवाबदेही, संविदा कर्मचारियों की मनमानी और राजनीतिक संरक्षण मिलकर जिले में अवैध रेत कारोबार को खुलेआम फलने-फूलने दे रहे हैं।

यह पूरी कहानी साफ तौर पर दर्शाती है कि खनिज विभाग की काली करतूतें, संविदा कर्मचारियों की मिलीभगत और राजनीतिक हस्तियों की संलिप्तता मिलकर जिले में अवैध रेत कारोबार को लगातार बढ़ावा दे रहे हैं। प्रशासन की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

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