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पापांकुशा एकादशी 2025: पापों से मुक्ति और मोक्ष का द्वार, जानिए पूजा विधि, कथा और पारण समय

बिलासपुर-  सनातन परंपरा में वर्षभर आने वाली 24 एकादशियों में पापांकुशा एकादशी का स्थान अत्यंत विशेष है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की यह एकादशी पापों का नाश करने वाली और मोक्ष दिलाने वाली कही गई है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य का जीवन पवित्र होता है और संचित पाप नष्ट हो जाते हैं। इस वर्ष यह पावन व्रत 3 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को मनाया जाएगा, जबकि व्रत का पारण 4 अक्टूबर को प्रातः 06:16 बजे से 08:37 बजे तक किया जाएगा।

नाम का अर्थ: पापों पर अंकुश

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अंकुश’ वह लोहे का उपकरण है जिससे महावत हाथी को वश में करता है। इसी भाव से यह व्रत पाप रूपी हाथी को नियंत्रित कर धर्ममार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

व्रत का महत्व

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस एकादशी का व्रत करने वाला व्यक्ति हजारों अश्वमेध और सूर्य यज्ञ का फल प्राप्त करता है।
• यह व्रत जीवनभर के संचित पापों को नष्ट करता है।
• अर्थ (धन-ऐश्वर्य) और मोक्ष (जन्म-मृत्यु से मुक्ति) दोनों की प्राप्ति होती है।
• मौन, भजन और भगवद् स्मरण करने से मन शुद्ध होता है और साधक में सद्गुणों का विकास होता है।
• महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को इस व्रत की महिमा सुनाई थी।

पूजा विधि और नियम

धार्मिक आचार्यों का कहना है कि इस व्रत की तैयारी दशमी तिथि से ही शुरू कर देनी चाहिए।
• दशमी को सात धान्यों (गेहूँ, उड़द, मूँग, चना, जौ, चावल और मसूर) का त्याग करें।
• एकादशी की सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु का संकल्प लें।
• कलश स्थापना कर, भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र को विराजमान करें और विधिवत पूजा करें।
• द्वादशी को निर्धारित समय में व्रत का पारण करें।

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2025 की तिथि और पारण समय
• व्रत तिथि: 3 अक्टूबर 2025, शुक्रवार
• पारण: 4 अक्टूबर 2025, सुबह 06:16 बजे से 08:37 बजे तक

कथा: पापी बहेलिए का उद्धार

धार्मिक ग्रंथों में वर्णित कथा के अनुसार विंध्य पर्वत पर क्रोधन नाम का बहेलिया रहता था। उसने जीवनभर हिंसा, चोरी और पाप ही किए। मृत्यु के समय जब यमदूत उसे लेने आए तो भयभीत होकर वह महर्षि अंगिरा की शरण में पहुँचा। महर्षि ने उसे पापांकुशा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी।
कथा कहती है कि व्रत के प्रभाव से क्रोधन के सभी पाप धुल गए और अंततः उसे मोक्ष प्राप्त हुआ।

महंत पंडित जागेश्वर अवस्थी का कथन

भैरव बाबा मंदिर के महंत पंडित जागेश्वर अवस्थी ने बताया –

पापांकुशा एकादशी का व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान भर नहीं है, बल्कि आत्मशुद्धि और मोक्ष का साधन है। इस दिन जो भी भक्त भगवान विष्णु की भक्ति में लीन होकर उपवास और पूजा करता है, उसके जीवन से पापों का बंधन मिट जाता है और उसे परम शांति की प्राप्ति होती है।”

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