निखिल चंद्राकर प्रकरण में फर्जी दस्तावेज का सनसनीखेज खुलासा: ACB और EOW ने दंडिक परिवाद दर्ज किया

रायपुर/धमतरी। एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और एक्सट्रानेलिव ऑफिशियल वर्क (EOW) के अधिकारियों ने निखिल चंद्राकर प्रकरण क्रमांक 02/2024 एवं 03/2024 में गंभीर आरोपों के तहत दंडिक परिवाद न्यायालय में पेश किया है। जांच में यह खुलासा हुआ है कि निखिल चंद्राकर का कथन धारा 164 दंड प्रक्रिया संहिता (द.प्र.सं.) के अंतर्गत न्यायालय में नहीं लिया गया, बल्कि विवेचक ने स्वयं अपने कार्यालय के कंप्यूटर में दस्तावेज तैयार कर पेनड्राइव के माध्यम से न्यायालय में प्रस्तुत किया।
जानकारी के अनुसार, निखिल चंद्राकर प्रथम जिला जेल, धमतरी में किसी अन्य प्रकरण में निरुद्ध था। दिनांक 16/07/2025 को सूचना प्रतिवेदन दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू की गई। विवेचना के दौरान निखिल चंद्राकर को 17/07/2025 को न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, रायपुर, पीठासीन अधिकारी कामिनी वर्मा के समक्ष पेश किया गया।
जांच में यह स्पष्ट हुआ कि विवेचक द्वारा तैयार दस्तावेज में निखिल चंद्राकर का केवल हस्ताक्षर लिया गया और न्यायालय द्वारा उसका कोई कथन लेखबद्ध नहीं किया गया। दस्तावेज की प्रतियां उच्चतम न्यायालय में सूर्यकांत तिवारी की ओर से प्रस्तुत की गईं।
फोरेंसिक विशेषज्ञ द्वारा किए गए परीक्षण में यह तथ्य सामने आया कि विवेचक द्वारा तैयार दस्तावेज का फॉन्ट न्यायालय की प्रमाणित प्रतिलिपि से भिन्न था, साथ ही मिश्रित फॉन्ट का उपयोग भी किया गया था। विशेषज्ञ ने निष्कर्ष दिया कि दस्तावेज में कूटरचना की गई है और इसे फर्जी साक्ष्य के रूप में पेश किया गया, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में गंभीर प्रभाव उत्पन्न हुआ और निर्दोष व्यक्तियों को झूठे मामले में फंसाने की कोशिश की गई।
अधिवक्ता श्री गिरिश चंद्र देवांगन ने इस मामले में उच्च न्यायालय, बिलासपुर को लिखित शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के आधार पर ई.ओ.डब्ल्यू./ए.सी.बी. के निदेशक अमरेश मिश्रा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चंद्रेश ठाकुर और उप–पुलिस अधीक्षक राहुल शर्मा के खिलाफ दंडिक परिवाद न्यायिक दंडाधिकारी, प्रथम श्रेणी, पीठासीन अधिकारी आकांक्षा बेक, रायपुर में प्रस्तुत किया गया।
न्यायालय ने संज्ञान लेते हुए तीनों अभियुक्तों को नोटिस जारी किया और 25 अक्टूबर 2025 को उपस्थित होकर स्पष्टीकरण पेश करने का निर्देश दिया।
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