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CG: पल भर में गायब हुआ तालाब! रहस्यमयी गड्ढा निगल गया पूरा तालाब गांव में क्या हो रहा है? गांव वाले सहमे, प्रशासन हैरान देखे video

सिंकहोल की आशंका, भूगर्भीय हलचल से सहमे ग्रामीण, जांच की मांग तेज

बिलासपुर – छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के कोटा ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत बरद्वार में बुधवार को एक रहस्यमयी प्राकृतिक घटना ने ग्रामीणों को स्तब्ध कर दिया। गांव का वर्षों पुराना मुख्य तालाब, जो अभी कुछ दिनों पहले तक लबालब भरा हुआ था, कुछ ही घंटों में एक गहरे गड्ढे में समा गया।

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तालाब के पानी का अचानक और पूरी तरह गायब हो जाना न सिर्फ वैज्ञानिकों के लिए पहेली बना हुआ है, बल्कि गांव में भय, अफवाह और आशंका का माहौल पैदा कर गया है।

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ग्रामीणों की जुबानी – “एकाएक गड्ढा बना और पानी खिंचता चला गया”

बरद्वार निवासी रामधनी यादव, जो तालाब के समीप रहते हैं, ने बताया —
“सुबह तालाब पूरी तरह भरा हुआ था। दोपहर में देखा कि एक तरफ गोल गड्ढा बन गया है। देखते ही देखते पूरा पानी उसी में समा गया। ऐसा दृश्य हमने जीवन में पहली बार देखा।”

गांव के बुजुर्गों का कहना है कि वे बचपन से इस तालाब को देखते आए हैं, लेकिन ऐसा हादसा कभी नहीं हुआ। तालाब के पास रहने वाले ग्रामीण अब अपने घरों को लेकर भी चिंतित हैं।

सिंकहोल या कोई और भूगर्भीय हलचल?

भू-वैज्ञानिक नजरिए से देखें तो यह घटना सिंकहोल (Sinkhole) होने की संभावना की ओर इशारा करती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि जब जमीन के नीचे की परतें जल या रासायनिक क्रियाओं के कारण धीरे-धीरे घुल जाती हैं, तो ऊपर की सतह अचानक धंस जाती है। यदि ऐसा क्षेत्र किसी जल स्रोत के संपर्क में आए, तो पानी तेजी से नीचे चला जाता है।

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हालांकि अभी तक प्रशासन या भूगर्भ विभाग की ओर से कोई अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

जांच की मांग, डर का माहौल

घटना की जानकारी मिलते ही ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत और कोटा तहसील प्रशासन को सूचना दी। सरपंच और अन्य जनप्रतिनिधियों ने मांग की है कि भू-वैज्ञानिकों की टीम तत्काल मौके पर भेजी जाए।

गांव की महिला विमला साहू कहती हैं —
“हम अपने बच्चों को तालाब की ओर नहीं जाने दे रहे। रातभर नींद नहीं आई। डर है कहीं जमीन और न धंसने लगे।”

तालाब से सटे खेत और मकान अब खतरे की जद में आ सकते हैं, अगर समय रहते जांच और रोकथाम के उपाय नहीं किए गए।

प्रशासन की चुप्पी पर उठ रहे सवाल

घटना के 24 घंटे बीतने के बाद भी मौके पर न तो कोई भूगर्भ विशेषज्ञ आया है और न ही जल संसाधन विभाग की टीम। ग्रामीणों का कहना है कि “प्रशासन तभी जागता है जब हादसा जानलेवा हो जाए।”

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