संसाधन नहीं तो काम नहीं”कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ ने सौंपा 17 सूत्रीय मांग पत्र, 28 जुलाई से आंदोलन की चेतावनी

बिलासपुर, 18 जुलाई | संवाददाता सुरेंद्र मिश्रा
छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ द्वारा शुक्रवार को राज्य के सभी 33 जिलों में मुख्यमंत्री एवं विभागीय मंत्री के नाम 17 सूत्रीय मांगों को लेकर एक साथ ज्ञापन सौंपा गया। बिलासपुर में यह ज्ञापन कलेक्टर को संघ के जिला अध्यक्ष प्रकाश चंद साहू के नेतृत्व में सौंपा गया।

संघ ने चेतावनी दी है कि यदि दिनांक 26 जुलाई 2025 तक मांगों पर सकारात्मक पहल नहीं होती, तो 28 जुलाई से चरणबद्ध आंदोलन शुरू किया जाएगा। इसके अंतर्गत तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार सामूहिक अवकाश लेकर विरोध जताएंगे, और अंतिम चरण में राजधानी रायपुर में धरना तथा अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार भी संभावित है।
राजस्व विभाग संसाधनों की भारी कमी से जूझ रहा
ज्ञापन में बताया गया है कि तहसील कार्यालयों में मानवीय संसाधन, तकनीकी उपकरण, सुरक्षा व्यवस्था, शासकीय वाहन जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है, जिससे तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों को गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। संघ के अनुसार, लंबे समय से मांगों के संबंध में शासन का ध्यान आकर्षित किया गया है, परंतु आज तक समस्याओं का स्थायी समाधान नहीं हो पाया।
प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:
1. सभी तहसीलों में आवश्यक स्टाफ की नियुक्ति
2. तहसीलदार से डिप्टी कलेक्टर तक पदोन्नति में 50:50 अनुपात की पुनर्स्थापना
3. नायब तहसीलदार को राजपत्रित दर्जा
4. ग्रेड पे में शीघ्र सुधार
5. शासकीय वाहन या वाहन भत्ता की सुविधा
6. न्यायालयीन मामलों में सुरक्षा एवं निर्देश
7. प्रशिक्षित तकनीकी स्टाफ की नियुक्ति
8. हर तहसील में सुरक्षा व्यवस्था और वाहन
9. राहत वितरण हेतु स्पष्ट दिशा-निर्देश
10. संघ को विधिवत मान्यता व विशेषज्ञ समिति का गठन
आंदोलन कार्यक्रम तय
21–26 जुलाई: निजी संसाधनों से कार्य का बहिष्कार
28 जुलाई: जिला स्तर पर सामूहिक अवकाश
29 जुलाई: संभाग व राज्य स्तर पर प्रदर्शन
30 जुलाई: राजधानी में धरना
इसके बाद: अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार की संभावना
संघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी ओमप्रकाश चंद्रवंशी ने जानकारी दी कि आंदोलन का उद्देश्य शासन का ध्यान समस्याओं की गंभीरता की ओर आकृष्ट कराना है। संघ को पूर्ण विश्वास है कि शासन समय रहते सकारात्मक निर्णय लेगा, अन्यथा आंदोलन के लिए सभी सदस्य तैयार हैं।
आंदोलन का असर पूरे राजस्व विभाग पर व्यापक रूप से पड़ सकता है।
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