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परीक्षा परिणाम से छात्रों में उत्त्पन्न तनाव को दूर करें- रविन्द्र द्विवेदी


कल 10/12वीं बोर्ड के परीक्षाफल घोषित होंगे पालक रखेंगे आवश्यक ध्यान।

बच्चों को बिल्कुल अकेले म न रहने दें।

जांजगीर।तनाव, अवसाद, और आत्मघाती विषय बहुत महत्वपूर्ण हैं और हमें इन पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। तनाव और अवसाद आधुनिक जीवनशैली का एक सामान्य हिस्सा बन गए हैं, जहां लोग प्रेशर, संघर्ष, और आत्मसंघर्ष का सामना करते हैं। अधिकतर छात्र छात्रायें इन परिस्थितियों स्थितियों के साथ निपट लेते हैं,लेकिन कई बार यह भावनाओं का बोझ बन सकता है और आत्महत्या की दिशा में ले जाता है।
परीक्षा परिणाम आते ही बहुत से विद्यार्थी तनाव में दिखाई देते हैं और उनमें से कुछ अप्रिय,आत्मघाती कदम भी उठा लेते हैं। अवसादग्रस्त होकर आत्मघाती कदम न उठाए इसके लिए कुछ दिवस पहले ही शासन ने इस बात को गंभीरता से लेते हुए यह कार्यक्रम चलाया है,हम सब इस प्रयास में अपने सहयोग देकर परीक्षा परिणाम को तनाव मुक्त बना सकते हैं।
विद्यार्थी जीवन में बोर्ड व स्थानीय  परीक्षा ही सिर्फ जीवन की अंतिम परीक्षा नहीं होती है, सफलता असफलता ठीक सुख और दुख की भांति ही जीवन की एक प्रक्रिया मात्र है और प्रत्येक सफलता व असफलता हमें जीवन में कुछ न कुछ सीख देकर ही जाती है इसलिए छात्र जीवन में परीक्षा परिणाम को अत्यधिक तनाव का कारण नहीं बनने देना चाहिए।
तनावग्रस्त और अत्यधिक चिंतित छात्रों को सहायता प्रदान करने के लिए पालक, शिक्षक और सामाजिक संगठनों को निम्नलिखित कार्रवाई करनी चाहिए:


1. पालकों को परीक्षा परिणाम के समय विशेषकर उनकी मानसिकता,भावनाओं एवं क्रियाकलापों पर ध्यान देना चाहिए।अपने बच्चों के साथ नियमित संवाद में रहना चाहिए और उन्हें समझाना चाहिए कि परीक्षा के नतीजे एकमात्र मापदंड नहीं हैं। उन्हें अपने बच्चों की सकारात्मकता को बढ़ावा देना और उन्हें योग्यता के अनुसार प्रशंसा करना चाहिए। उन्हें ज्यादा मानसिक दवाव नहीं देना चाहिए। बच्चों के लिए पढ़ाई के लिए अच्छा वातावरण प्रदान करना चाहिए।बात बात पर रोकना टोकना भय दिखाना नहीं चाहिए। अपने अपनत्व,स्नेह, प्यार से परीक्षा एवं परीक्षाफल के डर को दूर करना चाहिए।

2. शिक्षकों को छात्रों के साथ संवाद में रहना और उन्हें समर्थन प्रदान करना चाहिए। शिक्षकों को छात्र छात्राओं से जुड़कर उनकी समस्याओं एवं उनकी कमजोरियों से जुड़ना चाहिए। मित्रवत होकर वे छात्रों को परीक्षा की दिशा में निरंतर प्रेरित करें और सहायता प्रदान कर तनाव से मुक्ति दिलाना चाहिए।

3. सामाजिक संगठनों को छात्रों के सामाजिक और आत्मतृप्ति स्तर को बढ़ाने में मदद करनी चाहिए। वे छात्रों को मानसिक समर्थन प्रदान कर सकते हैं और उन्हें सकारात्मकता की दिशा में ले जा सकते हैं। पढ़ाई से संबंधित किसी भी समस्या पर आवश्यक मदद करना चाहिए।
4. परीक्षा सम्बंधित सामग्री स्कूल और सामाजिक संगठनों को छात्रों के लिए परीक्षा से संबंधित सहायक सामग्री और संपर्क की जानकारी प्रदान करनी चाहिए। यह छात्रों को आत्मविश्वास और सहजता महसूस कराता है।

5.पर्यावरण बनाए रखना छात्रों के लिए परीक्षा समय में सकारात्मक और सहानुभूति संस्कृति को बढ़ावा देना चाहिए। यह उन्हें आत्मविश्वास और सकारात्मकता देने में मदद करता है।

इन कदमों के माध्यम से, छात्रों को परीक्षा से संबंधित तनाव को कम करने और सही मार्गदर्शन प्रदान करने में मदद मिलेगी और वे आत्मघाती कदम नहीं उठाएंगे।
रविन्द्र द्विवेदी
शिक्षक एवं साहित्यकार चांपा

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Kanha Tiwari

छत्तीसगढ़ के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्होंने पिछले 10 वर्षों से लोक जन-आवाज को सशक्त बनाते हुए पत्रकारिता की अगुआई की है।

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