छत्तीसगढ़

तालाब किनारे अवैध आवास निर्माण, NGT नियमों की उड़ी धज्जियां – प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल

 

जांजगीर-चांपा। जिले के ग्राम पंचायत खोखरा में तालाब किनारे अवैध रूप से मकानों का निर्माण किया जा रहा है, जिससे न केवल सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण बढ़ रहा है, बल्कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के नियमों की भी खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि प्रशासन को इस अवैध निर्माण की जानकारी होने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही। इससे ग्रामीणों में आक्रोश है और प्रशासन की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है।

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

जिलेभर में बढ़ रहा अतिक्रमण, जिला मुख्यालय के आसपास सबसे ज्यादा मामले

खोखरा ही नहीं, बल्कि जिले के कई अन्य गांवों में भी सरकारी जमीनों और तालाब किनारे इस तरह के अतिक्रमण बढ़ रहे हैं। खासकर जिला मुख्यालय के आसपास के क्षेत्रों में ऐसे मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। प्रशासन की निष्क्रियता के कारण कब्जाधारियों के हौसले बुलंद हैं और बिना किसी डर के सरकारी भूमि पर कब्जा किया जा रहा है।

तालाब किनारे बस्तियां, पर्यावरण को खतरा

खोखरा गांव में हंसागर तालाब के पास तेजी से आवास निर्माण हो रहा है, जबकि NGT के स्पष्ट नियम हैं कि किसी भी जलस्रोत के आसपास निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता। तालाबों का जलभराव क्षेत्र बचाने के लिए 30 से 50 मीटर की सुरक्षित दूरी होनी चाहिए, लेकिन प्रशासन की लापरवाही के चलते यहां सरकारी जमीन और तालाब किनारे मकान बनाए जा रहे हैं।

प्रशासन की मिलीभगत या लापरवाही?

इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आवास निर्माण की अनुमति आखिर दी किसने?

  8 जवानों और 1 वाहन चालक के शहीद होने की खबर अत्यंत दुःखद : सीएम साय

क्या पंचायत ने जानबूझकर इस पर आंखें मूंद ली हैं?

क्या राजस्व विभाग के अधिकारी इस खेल में शामिल हैं?

या फिर यह स्थानीय रोजगार सहायक और आवास मित्र की मिलीभगत का नतीजा है?

प्रशासन केवल नोटिस देकर अपनी जिम्मेदारी से बच रहा है, लेकिन कोई मौके पर कार्रवाई नहीं कर रहा, जिससे अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद हैं।

NGT नियमों का खुला उल्लंघन, फिर भी चुप्पी क्यों?

NGT ने जल स्रोतों के संरक्षण के लिए सख्त गाइडलाइंस जारी कर रखी हैं, लेकिन जिलेभर में खुलेआम इसका उल्लंघन हो रहा है। अगर प्रशासन और पंचायत ने जल्द कदम नहीं उठाए, तो आने वाले वर्षों में तालाबों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।

ग्रामीणों में आक्रोश, कार्रवाई की मांग

गांव के जागरूक नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द अतिक्रमण नहीं रोका गया तो वे जिला प्रशासन और NGT को लिखित शिकायत करेंगे।

क्या होगा प्रशासन का अगला कदम?

अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन इस अवैध निर्माण को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगा, या फिर इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा? अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो भविष्य में सरकारी जमीन और तालाबों का अस्तित्व पूरी तरह खत्म हो सकता है।

देखना होगा कि क्या प्रशासन इस मुद्दे पर गंभीरता दिखाता है, या फिर भ्रष्टाचार और राजनीतिक संरक्षण के चलते इस अवैध खेल को जारी रहने देता है।

Was this article helpful?
YesNo

Live Cricket Info

Kanha Tiwari

छत्तीसगढ़ के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्होंने पिछले 10 वर्षों से लोक जन-आवाज को सशक्त बनाते हुए पत्रकारिता की अगुआई की है।

Related Articles

Back to top button