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छात्राओं से झाड़ू-पोंछा! समर कैंप में शैक्षणिक गतिविधियों की जगह स्कूली बच्चियों से कराई जा रही सफाई, वायरल वीडियो से खुली पोल

लोक शिक्षण संचालनालय के आदेश में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि समर कैंप में केवल शैक्षणिक, रचनात्मक एवं मानसिक विकास से जुड़ी गतिविधियाँ कराई जाएँ। इसमें बच्चों को अपनी रुचि के आधार पर भागीदारी की छूट है और यह शिविर पूरी तरह ऐच्छिक है।

बिलासपुर।कोटा ,
राज्य भर में बच्चों के रचनात्मक विकास के लिए शिक्षा विभाग द्वारा शुरू किए गए समर कैंप को लेकर कोटा ब्लॉक के एक शासकीय स्कूल से चौंकाने वाला मामला सामने आया है।

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खैरा संकुल के कोइलारी पारा स्थित प्राथमिक शाला में समर कैंप के दौरान छात्राओं से साफसफाई का काम कराया गया। इसका वीडियो सामने आते ही पूरे शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।

📌 समर कैंप का उद्देश्य और वास्तविकता में अंतर

राज्य शासन के लोक शिक्षण संचालनालय ने 1 मई से 15 जून तक समर कैंप आयोजित करने के निर्देश सभी जिलों को जारी किए थे। इसका उद्देश्य था कि गर्मी की छुट्टियों के दौरान बच्चों को ऐच्छिक रूप से स्कूल बुलाकर रचनात्मक गतिविधियाँ कराई जाएँजैसे कि पेंटिंग, कहानी लेखन, विज्ञान के प्रयोग, खेलकूद, समूह चर्चा आदि।

लेकिन बिलासपुर जिले कस कोटा ब्लॉक के इस स्कूल में जो हुआ, वह समर कैंप के मूल उद्देश्य के विपरीत है। समर कैंप में पहुंचे गिनती के बच्चोंजिनमें ज्यादातर छात्राएं थींछात्राओं को झाड़ू और वाइपर पकड़ा दिए गए। वे कक्षाओं और बरामदों में सफाई करती नजर आईं।

🎥 वीडियो में साफ दिखी हकीकत👇

https://youtu.be/LxWKUWmUeBc?si=PjPBJ1UzL8Fdo2rH

वायरल हुए वीडियो में कुछ छात्राएं फर्श पर वाइपर लगाती दिख रही हैं, जबकि कुछ झाड़ू से बरामदा साफ कर रही हैं। कैमरे में यह स्पष्ट है कि मौके पर कोई शैक्षणिक गतिविधि नहीं चल रही थी। शिक्षक मौके पर मौजूद नहीं दिखे।

🎙️ प्रधानपाठक ने दी सफाईदेरी से पहुंचे थे, बच्चों ने खुद शुरू कर दी सफाई

स्कूल के प्रधानपाठक राम सिंह आर्मो ने इस पूरे प्रकरण पर सफाई देते हुए कहा,

हम उस दिन कुछ देर से स्कूल पहुँचे थे। स्वीपर का मकान स्कूल के सामने ही है, लेकिन वह नहीं आया। तब तक बच्चों ने खुद ही झाड़ू उठा ली और स्कूल की सफाई शुरू कर दी। हमने किसी को काम करने के लिए बाध्य नहीं किया।

हालांकि यह बयान सवालों के घेरे में है। शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि चाहे यह सफाई बच्चों ने स्वेच्छा से की हो, फिर भी यह व्यवस्था की जिम्मेदारी है कि समर कैंप के दौरान बच्चों को केवल उन्हीं गतिविधियों में लगाया जाए जो उनके लिए उपयुक्त हों और शासन के निर्देशों के अनुरूप हों।

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📚 बच्चों से श्रमशिक्षा नीति और बाल अधिकारों का उल्लंघन?

बच्चों से इस तरह सफाई करवाना बाल अधिकार आयोग की गाइडलाइनों का उल्लंघन माना जा सकता है। भारत में बच्चों को मानसिक, शारीरिक और शैक्षणिक सुरक्षा देने के स्पष्ट कानून हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी परिस्थिति में स्कूली बच्चों से इस प्रकार की श्रम-संबंधी गतिविधियाँ करवाना न केवल शिक्षा के उद्देश्य के खिलाफ है, बल्कि यह मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी डाल सकता है।

🧾 क्या कहता है समर कैंप का आदेश?

लोक शिक्षण संचालनालय के आदेश में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि समर कैंप में केवल शैक्षणिक, रचनात्मक एवं मानसिक विकास से जुड़ी गतिविधियाँ कराई जाएँ। इसमें बच्चों को अपनी रुचि के आधार पर भागीदारी की छूट है और यह शिविर पूरी तरह ऐच्छिक है।

इन गतिविधियों में शामिल हैं:

चित्रकला और पेंटिंग

क्रिएटिव राइटिंग

गणित और विज्ञान की प्रयोगात्मक गतिविधियाँ

योग, ध्यान और खेलकूद

पुस्तक पठन एवं समूह चर्चा

इसमें साफ-सफाई जैसी कोई गतिविधि सम्मिलित नहीं है।

❗ प्रशासनिक कार्रवाई और निगरानी की जरूरत

अब सवाल यह है कि क्या स्कूल प्रबंधन पर कोई कार्रवाई होगी? क्या जिला शिक्षा अधिकारी इस मामले को गंभीरता से लेंगे?

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Kanha Tiwari

छत्तीसगढ़ के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्होंने पिछले 10 वर्षों से लोक जन-आवाज को सशक्त बनाते हुए पत्रकारिता की अगुआई की है।

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