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धान के उत्पादन में क्रमशः घटता मुनाफा,छत्तीसगढ़ के किसानों की रूचि अब कम समय में अधिक लाभ देने वाली सब्जी की खेती में बढ़ रही,

परम्परागत खेती छोड़ अब साग-सब्जी की फसल के प्रति किसानों का दिख रहा रूझान, कम समय में लाखों का मुनाफा
टमाटर, शिमला मिर्च, बैंगन, गोभी जैसी फसलों की खेती कर रहे आत्मनिर्भर

जांजगीर। कृषि क्षेत्र में लगातार हो रहे बदलावों के कारण किसान पारंपरिक फसलों बदलकर सब्जी की खेती की ओर रुख कर रहे हैं। धान की फसल में लगातार उत्पादन क्षमता में कमी और पानी की बढ़ती कमी किसानों के लिए बड़ी चुनौती बन चुकी है। इन समस्याओं से निपटने के लिए किसानों ने अब सब्जी की खेती को अपनाया है, जिससे उन्हें बेहतर मुनाफा हो रहा है। किसान अब समझने लगे हैं कि सब्जी की खेती में न केवल कम पानी की जरूरत होती है, बल्कि इनकी मांग भी बाजार में अधिक रहती है। टमाटर, शिमला मिर्च, बैंगन, गोभी जैसी फसलों की खेती करने वाले किसान अब अच्छी कीमत पर इनकी बिक्री कर रहे हैं। एक ही मौसम में उच्च उत्पादन के चलते उन्हें धान से कहीं अधिक लाभ मिल रहा है। सब्जी की खेती में उत्पादन जल्दी होता है और एक ही वर्ष में कई बार फसलें ली जा सकती हैं, जिससे किसान लगातार आय अर्जित कर सकते हैं। इसके अलावा, इन फसलों के लिए बाजार की मांग भी स्थिर रहती है, जिससे किसान अपने उत्पाद को अच्छे दामों में बेच पा रहे हैं। यह बदलाव न केवल किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है, बल्कि यह कृषि क्षेत्र में अधिक सतत और लाभकारी तरीकों के अपनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। वही उद्यान विभाग की सहायक संचालक रंजना माखिजा का मानना है कि यदि अन्य किसान भी इन बदलावों को अपनाएं तो देश की कृषि उत्पादकता में सुधार हो सकता है। इस प्रकार, जागरूक किसान अब धान की पारंपरिक फसल को छोड़कर सब्जियों की खेती से लाखों रुपये कमा रहे हैं, जो कृषि क्षेत्र के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन सकता है।

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अकलतरा ब्लाक अंतर्गत ग्राम अजय कुमार पटेल ने बताया कि एक एकड़ खेत मेंे 18 क्विंटल धान की फसल होती थी, फिर उन्होंने खेत में सब्जी की फसल लेने का फैसला किया। उन्होंने बताया कि शुरूवाती दिनों में सब्जी की फसल लगाने के पहले कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। वर्तमान में उन्होंने 2 एकड़ जमीन पर भिण्डी की फसल ली। महज कुछ महीनों की मेहनत में 180 क्विंटल फसल ली। इस साल 3 लाख 35 हजार रुपए का मुनाफा हुआ। उन्होंने बताया कि उनकी स्थिति देख आसपास के किसानों का भी रूझान अब साग-सब्जी की फसल के लिए प्रोत्साहित हो रहे हैं।


बलौदा ब्लाक अंतर्गत ग्राम हरदी विशाल के किसान खेमनाथ महिलांगे ने बताया कि पहले एक एकड़ खेत मेें परम्परागत धान की फसल करता था, जिसमंे लागत के अनुरूप कम लाभ होता था। उन्होंने बताया कि उद्यान विभाग के अधिकारी से संपर्क कर नई तकनीक के संबंध में जानकारी ली। अधिकारियों के कहने पर उन्होंने ग्राफ्टेड बैगन लगाया। साथ ही ड्रपी और मल्चिंग भी लगाया। 1 एकड़ खेत में 180 क्विंटल ग्राफ्टेड बैंगन का उत्पादन हुआ, जिसे 1500 रुपए प्रति क्विंटल की दर बाजार में बिकी।


पामगढ़ ब्लाक अंतर्गत ग्राम बारगांव के किसान कुंवर सिंह मधुकर ने बताया कि पहले वह अपने खेतों में धान की फसल लगाया करते थे। जिसमें लागत के अनुरूप आय कम होने से परिवार की आवश्यकताओं की सही ढंग से पूर्ति नहीं हो पाती थी। फिर उन्होंने खेतों में साग-सब्जी लगाने का निर्णय लिया। उन्होंने बताया कि सबसे पहले ड्रीप संयंत्र लगाया, फिर परवल की खेती मल्चिंग और मचान के साथ की। उन्होंने इस बार एक हेक्टेयर जमीन पर परवल की खेती की अौर उन्होंनें 3000 रुपए प्रति क्विंटल की दर से 125 क्विंटल की सब्जी बेची।


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Kanha Tiwari

छत्तीसगढ़ के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्होंने पिछले 10 वर्षों से लोक जन-आवाज को सशक्त बनाते हुए पत्रकारिता की अगुआई की है।

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