INDIAछत्तीसगढ़देश - विदेशबिलासपुरराज्य एवं शहरलापरवाहीसमस्या

जनजातीय क्षेत्रों में जनमन की बाइक एम्बुलेंस योजना फेल — कलेक्टर के आदेशों की उड़ रही धज्जियाँ, मरीजों की जान पर बन आया खतरा

जनजातीय क्षेत्रों में जनमन की बाइक एम्बुलेंस योजना फेल — कलेक्टर के आदेशों की उड़ रही धज्जियाँ, मरीजों की जान पर बन आया खतरा

बिलासपुर। जनजातीय समुदायों के लिए शुरू की गई जनमन बाइक एम्बुलेंस योजना अब लापरवाही और अव्यवस्था का उदाहरण बनती जा रही है। जिस योजना का उद्देश्य दूरस्थ इलाकों तक त्वरित स्वास्थ्य सुविधा पहुँचाना था, वही आज प्रशासनिक उदासीनता के कारण सवालों के घेरे में है।

पूर्व कलेक्टर अवनीश शरण ने अपने कार्यकाल के दौरान साफ निर्देश दिए थे कि बाइक एम्बुलेंस को कुरदार में रखा जाए, क्योंकि यह इलाका पहाड़ी और दूरस्थ होने के कारण चिकित्सा सेवाओं से वंचित रहता है। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने आदेशों की अनदेखी करते हुए बाइक एम्बुलेंस को लुफा बेलगहना में खड़ा कर दिया, जहाँ पहले से स्वास्थ्य सुविधाएँ अपेक्षाकृत उपलब्ध हैं। यह निर्णय जनजातीय क्षेत्रों के हितों के खिलाफ माना जा रहा है।

पूर्व चालक के इस्तीफे के बाद बिना अनुभव वाले नवशिक्षु व्यक्ति को एम्बुलेंस चालक की जिम्मेदारी दे दी गई, जबकि उसे बाइक चलाने का कोई पूर्व अनुभव नहीं था। इस लापरवाही ने मरीजों की जान को खतरे में डाल दिया है।
ग्रामीणों का कहना है कि जब भी किसी आपात स्थिति में बाइक एम्बुलेंस की जरूरत पड़ती है, तो चालक की कमी या अनुभवहीनता के कारण मरीजों को समय पर मदद नहीं मिल पाती।

बैक जनजाति के लोगों को अब तक इस सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर असर पड़ा है। बाइक एम्बुलेंस योजना का उद्देश्य उन इलाकों तक सेवा पहुंचाना था जहाँ चारपहिया वाहन नहीं पहुँच पाते, लेकिन योजना कागजों में सिमटती जा रही है।

सूत्र बताते हैं कि बाइक एम्बुलेंस प्रभारी कार्यालय में उपस्थित रहने की बजाय घर से ही काम निपटा रहे हैं।
केंदा, खोंगसरा और कुरदार क्षेत्रों में चल रही बाइक एम्बुलेंस की मॉनिटरिंग महीने में सिर्फ एक बार की जाती है।
यह स्थिति नियमों के विपरीत है, क्योंकि ऐसी सेवाओं की निगरानी नियमित और फील्ड निरीक्षण के माध्यम से होनी चाहिए।

1) मामले को और गंभीर बनाता है यह तथ्य कि प्रभारी ने नियुक्ति से पहले ही चालक को बाइक चलाना सिखाने का वीडियो बनाया था। – 2) जबकि चयन सूची में चार नाम थे, बावजूद इसके केवल एक व्यक्ति को नियुक्ति से पहले प्रशिक्षण दिया गया। – 3) अब सवाल उठ रहा है कि आखिर यह पक्षपात किसके इशारे पर किया गया?   -4) अगर प्रशिक्षण के दौरान कोई दुर्घटना होती, तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेता — इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि पूर्व कलेक्टर अवनीश शरण ने बाइक एम्बुलेंस सेवा को सुदृढ़ और पारदर्शी बनाने के लिए स्पष्ट आदेश दिए थे,ताकि जनजातीय समुदाय को समय पर स्वास्थ्य सुविधा मिले। लेकिन अब उन्हीं आदेशों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है।

ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जिला प्रशासन से इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
उनका कहना है कि अगर तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो इस योजना का असली उद्देश्य — जनजातीय समुदाय तक आपात स्वास्थ्य सहायता पहुंचाना — पूरी तरह विफल हो जाएगा।

देखें कलेक्टर अवनीश शरण का वीडियो , जिसमें उन्होंने स्पष्ट कहा था — “बाइक एम्बुलेंस को कुरदार में रखा जाए, बेलगहना में नहीं।”
फिर भी आदेशों की अनदेखी ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या जनजातीय योजनाएँ सिर्फ फाइलों तक सीमित रह गई हैं?

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now
Was this article helpful?
YesNo

Live Cricket Info

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Back to top button