Jaspur news:– जशपुर के शासकीय अनुदान प्राप्त विनय स्कूल में विद्यार्थियों को धर्मांतरण की शिक्षा देने की शिकायत बाल कल्याण समिति के समक्ष हुई है। शिकायत के अनुसार स्कूल में चर्च में प्रार्थना करने से लेकर रोजरी और मिस्सा पूजा करना अनिवार्य है। इसके अलावा स्कूल और हॉस्टल में अवस्थाएं तथा बच्चों से मजदूरी और अभद्र व्यवहार की भी शिकायत की गई है। सीडब्ल्यूसी ने मामले में जांच की बात कही है।
जशपुर। जशपुर के एक सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूलों में बच्चों को धर्मांतरण की शिक्षा देने का मामला सामने आया है। इस स्कूल में बच्चों को ईसाई मान्यता अनुसार सुबह 6 बजे उठकर मिस्सा पूजा से दिन की शुरुआत करनी होती है। इसके अलावा रोजरी विनती, बेनेदिक्सन भी विद्यार्थियों की समय सारणी में शामिल है। शिकायत मिलने पर बाल कल्याण समिति ने इस पर संज्ञान लिया है और जांच की बात कही है।
जशपुर जिले के भेलवाडीह संकुल केंद्र अंतर्गत विनय प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पोरतेंगा संचालित है। यह एक शासकीय अनुदान प्राप्त स्कूल है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा वर्ष 2024–2025 में इस स्कूल को 79 लाख रुपए अनुदान दिया गया था। इस सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूल विनय प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक,उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्रमुख फादर अमित बेक के खिलाफ स्कूल में धर्मांतरण की शिक्षा देने और चर्च परिसर में कथित छात्रावास चलाने की शिकायत की गई है।
शिकायत के अनुसार अपने धर्म की मान्यताओं के खिलाफ एक धर्म विशेष की परंपराओं और प्रार्थना के तरीके को मानने के लिए विवश किया जाता है। चर्च परिसर में ही चर्च से सटा छात्रावास संचालित है। यहां 23 बच्चे रह कर पढ़ रहे हैं। सभी बच्चों को चर्च में प्रार्थना करने के लिए जाना अनिवार्य है चाहे वह किसी भी धर्म के हो। इसके लिए बाकायदा हॉस्टल में दैनिक समय सारणी चस्पा की गई है। इसके अलावा शनिवार और रविवार की समय सारणी अलग से है। यह समय सारणी कार्यालय विनय बालक छात्रावास पोरतेंगा के द्वारा 1 सितंबर 2023 से जारी किया हुआ है। पिछले 16 माह से इसी समय सारणी के अनुसार हॉस्टल में रहने वाले बच्चों को अपनी दिनचर्या संचालित करनी होती है। समय सारणी के अनुसार हॉस्टल के बच्चों को सुबह 6:00 बजे उठकर मिस्सा पूजा करनी होती है। फिर दोपहर 3:00 बजे से बागवानी होती है और शाम को 5:30 बजे रोजरी विनती तथा अन्य गतिविधियां करनी होती है। यह बाकी दिनों की समय सारणी है। रविवार की समय सारणी के अनुसार सुबह 6 बजे मिस्सा पूजा,11 बजे गाना अभ्यास, शाम पांच बजे बेनेदिक्सन और अन्य गतिविधियां करनी होती है। बच्चे चाहे किसी भी धर्म के हो समय सारणी के अनुसार उनके दिन की शुरुआत मिस्सा पूजा से होती है। और शाम को भी ईसाई धर्म के अनुसार सभी छात्रों को रोजरी विनती करनी होती है।
हॉस्टल में अवस्थाएं, अवैध वसूली तथा मजदूरी की भी शिकायत:–
हॉस्टल में सफाई का अभाव है। इसके अलावा बुनियादी सुविधाएं भी अनुपलब्ध है। बच्चे गंदगी के बीच असुरक्षित वातावरण में रहते हैं। उन्हें खाट, मच्छरदानी और कंबल प्रदान नहीं किया गया है। बच्चे इसे अपने घर से लाए है। विद्यालय प्रशासन के संचालकों पर शराब सेवन कर बच्चों से अनुचित व्यवहार का आरोप भी लग रहा है। इससे बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास में बाधा उत्पन्न होती है। बच्चों से प्रतिमाह एक हजार रुपए की वसूली कर बकायदा रसीद दी जाती है पर हॉस्टल के रजिस्टर में इसका कोई रिकॉर्ड नहीं रखा जाता। बागवानी के नाम पर बच्चों का शोषण करते हुए जबरदस्ती चर्च के बागान में काम करवाया जाता है। यहां मजदूरों की तरह उनसे कामकर सब्जी उगवाई जाती है। जिस सब्जी का यहां उत्पादन होता है उसी का उपभोग हॉस्टल में होता है और बच्चों को उनकी ही उगाई सब्जी खिलाई जाती है। जब बागान की सब्जी खत्म हो जाती है तो पत्तियों का पाउडर ( सुकडी भात) खिलाई जाती है। स्कूल में जो दोपहर को मध्यान्ह भोजन दिया जाता है उसी से शाम का काम चलाया जाता है और स्कूल से लाकर हॉस्टल में खिलाया जाता है। जिस दिन अवकाश होता है उस दिन सरकारी चावल और सोयाबीन बड़ी हॉस्टल में लाकर पकाकर खिलाई जाती है। जबकि हर माह एक हजार रुपए अलग से वसूले जाते है। शासन से मिले भारी भरकम अनुदान राशि में भी गफलत की जाती है। वर्ष 2024–2025 के लिए दिए गए 79 लाख के अनुदान में भी घोटाले की आशंका पर ऑडिटर से जांच की मांग की गई है।
शिकायत को संज्ञान लेने के साथ ही मांग की गई है कि स्कूल और हॉस्टल में बच्चों के लिए सुरक्षित और अनुकूल वातावरण प्रदान किया जाए। बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की जांच के लिए एक टीम का गठन किया जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए।
वही विनय स्कूल के प्रमुख और चर्च परिसर में छात्रावास चलाने वाले फादर अमित बेक का कहना है कि हमारे द्वारा हॉस्टल संचालित नहीं किया जाता दूर दराज के गरीब बच्चों को उनके माता-पिता की सहमति के आधार पर रखने के लिए स्थान उपलब्ध करवा कर पढ़ाई करवाई जाती है। सभी को नौकरी मिलना संभव नहीं है इसलिए उन्हें एक्स्ट्रा स्किल डेवलप करने के लिए खेती किसानी और बागवानी सिखा रहे है। दबाव पूर्वक धार्मिक शिक्षा दिए जाने के मामले में अमित बेक ने कहा कि घर जाकर पढ़ाई करने वाले 23 बच्चों में ज्यादातर ईसाई है। सभी को छूट है अपने धर्म की पूजा करने का। किसी को चर्च जाकर पूजा करने और धर्म विशेष की शिक्षा लेने का कोई दबाव नहीं बनाया जाता।
वही बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष नितिन राय ने शिकायत में उल्लेखित बिंदुओं को गंभीर मानते हुए संबंधित विभागों को पत्र भेजकर बाल अधिकारों के हनन और शिक्षा के नाम पर धर्मांतरण की कोशिश के खिलाफ कार्रवाई के लिए निर्देशित करने की बात कही है। इसके साथ ही सभी सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूलों में चल रहे छात्रावासों और अवैध छात्रावासों की सूची भी मांगने की बात सीडब्लूसी के अध्यक्ष नितिन राय ने कही है।

