
बिलासपुर रिपोर्टर सुरेंद्र मिश्रा

बिलासपुर / जनपद और पंचायत चुनाव के लिए घमासान मचा हुआ है भाजपा,कांग्रेस सहित अन्य दल व निर्दलीय सभी चुनाव जीतने के लिए ऐड़ीचोटी का जोर लगा रहे हैं। शहर में कई तरह की ज्वलंत समस्याएं हैं, लेकिन किसी भी दल के नेता या प्रत्याशी इन समस्याओं पर बात नहीं कर हैं। शहर की बुनियादी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। विकास और नागरिक सुविधाओं का वादा करने वाले राजनीतिक दल और उनके नेता चुनावी मौसम में ही जनता को याद करते हैं। शहर की प्रमुख समस्याओं पर कोई गंभीर चर्चा नहीं हो रही,जिससे जनता में गहरा आक्रोश है।

यह हाल तब है जब चुनावी भाषणों में बड़े बड़े दावे किए जाते हैं।
बेलगहना क्षेत्र मे हॉस्पिटल और कॉलेज की मांग लंबे समय से की जा रही थी,लेकिन राजनीतिक प्रभाव के कारण यह कॉलेज पन्नों मे रह गया। हॉस्पिटल ना होने से स्थानीय मरीजों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। यदि हॉस्पिटल बेलगहना क्षेत्र में स्थापित होता, तो क्षेत्र को एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सुविधा मिलती और स्थानीय लोगों को बेहतर चिकित्सा सेवा उपलब्ध हो पाता। लेकिन नेताओं ने जनता की इस मूलभूत जरूरत की अनदेखी कर दी।

जनता की समस्याओं पर नेताओं की चुप्पी चुनावी मौसम में नेताओं की सक्रियता बढ़ जातीहै वे बड़े-बड़े वादे करते हैं लेकिन चुनाव खत्म होते ही जनता की समस्याओं से मुंह मोड़ लेते हैं। आम दिनों में लोग अपनी छोटी-छोटी समस्याएं लेकर जिले के चक्कर काटते रहते हैं,लेकिन कोई समाधान नहीं निकलता ।साफ-सफाई जल निकासी स्वास्थ्य सेवाएं और यातायात जैसी बुनियादी सुविधाओं पर भी प्रशासन ध्यान नहीं देता।
सड़क पर बाजार,वीरान पड़ी दुकानें बाजार चौक सहित कई जगह सड़क पर बाजार लगने से यातायात की गंभीर समस्या है। इन समस्याओं के समाधान के लिए कोई नेता दावा नहीं कर रहा है।

जनता के लिए कब जागेंगे जनप्रतिनिधि? चुनाव के समय नेताओं को जनता की याद आती है,लेकिन क्या यह याददाश्त स्थायी होगी? जनता के सामने यह बड़ा सवाल है। इस बार के चुनाव में मतदाताओं को उन नेताओं से जवाब मांगना चाहिए जिन्होंने वर्षों तक केवल वादे किए लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस कार्य नहीं किया।अब समय आ गया है कि क्षेत्र की जनता अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो और ऐसे जनप्रतिनिधियों का चयन करे जो वास्तव में शहर के विकास के लिए प्रतिबद्ध हों। जब तक जनता अपने हक के लिए आवाज नहीं उठाएगी, तब तक बुनियादी समस्याओं से जूझना उसकी नियति बनी रहेगी।

सबसे बड़ा कारण है वोट का मोल लगना सूत्रों की माने तो चुनाव के समय क्षेत्र की जनता को खरीदने का सिलसिला चल पड़ात है वोटर को नगदी,खाने पीने की व्यवस्था अथवा अन्य चीजों का लालच देकर वोट ले लिया जाता है और पूरे पांच साल नेता अपने हिसाब से चलते हैं जबकि यही क्षेत्र के विकास मे बाधक है।
होना यह चाहिए की लगातार एक ही नेता को चुने जाने की बजाय किसी नए व्यक्ति को क्षेत्र की कमान सम्हालने का अवसर देना चाहिए जो क्षेत्रहित मे कुछ कर दिखाने के लिए आतुर हो साथ ही बेदाग छवि का हो।
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