“भगवान शिव ने विष पिया था, चिलम नहीं”— प्रेमानंद महाराज ने भक्त को दिया दो-टूक जवाब,देखिए वीडियो..

वृंदावन/डेस्क | सावन स्पेशल | न्यायधानी.कॉम
सावन के पवित्र माह में भगवान शिव की आराधना के साथ–साथ उनसे जुड़े मिथकों और धारणाओं पर भी चर्चा तेज़ रहती है। इसी कड़ी में वृंदावन से वायरल हो रहा एक वीडियो ध्यान खींच रहा है, जिसमें प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज से एक भक्त सवाल करता है —
“जब भगवान शिव भांग पीते हैं तो हम क्यों नहीं पी सकते?”
इस सवाल पर महाराज का जवाब उतना ही सटीक और स्पष्ट था, जितना कोई भी धार्मिक भ्रांति को दूर करने के लिए होना चाहिए।
“शिव ने हलाहल पिया था, क्या तुम एक बूंद भी पी सकते हो?”
प्रेमानंद महाराज ने शांत लेकिन दृढ़ स्वर में कहा
“भगवान शिव ने तो समुद्र मंथन से निकला विष हलाहल पिया था, और उसे गले में रोक लिया — इसीलिए वो नीलकंठ कहलाते हैं। क्या आप वो विष पी सकते हैं?”
महाराज ने आगे कहा,
“शिव ने गले में सर्प धारण किया है, जटाओं में गंगा समाई है — क्या आप नाग को गले में डाल सकते हैं? एक बाल्टी पानी सिर पर धारण कर के दिखाइए।”
भांग, चिलम और विजया — भ्रम और तथ्य का फर्क समझाया
प्रेमानंद महाराज ने स्पष्ट किया कि शिव भांग या चिलम का सेवन नहीं करते, जैसा कि कुछ लोग प्रचारित करते हैं।
“लोग कहते हैं शिव चिलम पीते हैं, भांग खाते हैं लेकिन ऐसा शास्त्रों में कहीं नहीं लिखा है। ये सब मन के विलास हैं।”
उन्होंने बताया कि पूजा में उपयोग होने वाली विजया कोई नशे की वस्तु नहीं, बल्कि एक आयुर्वेदिक औषधि है, जिसका उपयोग मंत्रों से अभिषेक के लिए होता है, सेवन के लिए नहीं।
शिव पर चढ़ने वाला धतूरा भी विष का फल है — यह उनकी तपस्या और योग शक्ति का प्रतीक है, न कि किसी नशे की प्रवृत्ति का।
“भगवान को नशे के बहाने मत घसीटो”
अपनी बात को विराम देते हुए महाराज ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा —
“शिव योग के अधिपति हैं, नशे के नहीं। उन्हें भांग, चिलम, गांजा जैसी चीज़ों से जोड़ना उनका अपमान है। शिव के नाम पर नशा करना धर्म नहीं, आत्मवंचना है।”
सोशल मीडिया में खूब शेयर हो रहा वीडियो
सावन के इस माह में प्रेमानंद महाराज का यह जवाब लोगों को सोचने पर मजबूर कर रहा है। वीडियो को इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर लाखों लोग देख चुके हैं। कई धर्माचार्यों और भक्तों ने भी इस बयान की सराहना की है।
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