नक्सली संगठन छोड़कर भाग रहे माओवादी कमांडर की हत्या, उसके ही साथियों ने मार डाला

कांकेर। नक्सलियों ने अपने ही कमांडर की हत्या कर दी है। ये सनसनीखेज वारदात कांकेर जिले की बताई जा रही है। जंगल से मिल रही खबरों के मुताबिक परतापुर थाना क्षेत्र के एक गांव में महिला पुरूष माओवादी पुलिस के पास सरेंडर करने के लिए मोहला मानपुर जिले से निकले थे। मोहला जिले के औंधी एलओएस के एससीएम को नक्सलियों ने सुरक्षा बलों के सामने सरेंडर करने से पहले मौत के घाट उतार दिया है। ऐसी भी खबर है कि मारे गए माओवादी की पत्नी को नक्सली अपने साथ ले गए है।
सरेंडर करने से पहले पकड़ा और मार डाला
असल में जब 6 सितंबर को कांकेर बस्तर और नारायणपुर के बॉर्डर गांव मलमेटा क्षेत्र में नक्सलियों ने मोहला औंधी एलओएस के एससीएम राजू उर्फ विजजा को पुलिस बल के सामने सरेंडर करने से पहले पकड़कर जन अदालत में मौत के घाट उतार दिया। बताया गया कि राजू उर्फ विजजा मोहला औंधी एलओएस में एसीएम के रूप में सालों तक काम किया। सुरक्षा बलों के बढ़ते दबाव के कारण माओवादी दंपति ने सरेंडर करने की योजना बनाई और पुलिस के पास जा रहे थे। इसकी भनक लगते ही नक्सलियों ने उन्हें किडनैप कर लिया और पति की हत्या कर दी जबकि पत्नी को बंधक बनाकर रखने की खबर है।

संदिग्ध माओवादियों ने पर्चा फेंककर हत्या की जिम्मेदारी ली
नक्सली कमांडर की उसके ही साथियों ने कर दी हत्या
पुलिस सूत्रों ने बताया कि, राजू उर्फ विजजा इंसास राइफल और कारतूस लेकर 2 सितंबर की रात नक्सली संगठन छोड़कर बीजापुर पुलिस बल के सामने सरेंडर करने भाग निकला था। जिसे मोहला मानपुर अंबागढ़ चौकी क्षेत्र के कोटरी नदी के पास रोक दिया। इधर दिन रात पीछा कर रहे नक्सलियों की अलग-अलग टुकड़ी ने खोजते हुए कांकेर और नारायणपुर के बॉर्डर में पकड़कर उसकी निर्मम हत्या कर दी। माओवादियों ने अपने ही साथी नक्सली की हत्या की जिम्मेदारी पर्चा फेककर ली है, आरकेबी डिवीजन कमेटी ने यह पर्चा फेंका है। वहीं नक्सली कमांडर की पत्नी राजे को माओवादियों ने बंधक बना रखा है, ऐसी जानकारी सामने आ रही है। हालांकि पुलिस के पास इसकी पुष्टि करने की कोशिश कर रही है।
किसी के नहीं हो सकते माओवादी
कांकेर एसपी इंदिरा कल्याण एलेसेला ने बताया की नक्सली किसी के नहीं हो सकते-नक्सली कमांडर राजू आतंक का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्य धारा में जुड़ना चाहता था। नक्सली संगठन में लंबे समय से काम कर रहे अपने ही साथी को माओवादियों ने मौत के घाट उतार दिया है। इस घटना से यह साबित होता है कि नक्सली किसी के नहीं हो सकते।
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