राष्ट्रीय राजमार्ग या गड्ढों का महापथ?सड़क नहीं, मिट्टी का समंदर लग रहा है — हर मोड़ पर जान का खतरा!

रतनपुर-पेंड्रा हाईवे बना गड्ढों का जंगल, राहगीरों की जान पर बन आई!
बिलासपुर/पेंड्रा। कभी जो रतनपुर से पेंड्रा तक की सड़क छुक-छुक गाड़ियों की रफ्तार देखती थी, आज वहीं सड़क गड्ढों की गर्जना से कांप रही है। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं राष्ट्रीय राजमार्ग की, जो अब “राष्ट्रीय संकट मार्ग” बन चुका है!
गड्ढे इतने गहरे हैं कि अगर बाइक वाला ज़रा सा भी असंतुलित हो जाए, तो सीधे मेडिकल कॉलेज की टिकट मिल जाए। और कार वालों की तो बात ही मत पूछिए — झटके ऐसे कि सीट बेल्ट भी शर्मिंदा हो जाए!
इस बदहाल सड़क की हालत देखकर ग्रामीण कह उठे — “गांव की कच्ची सड़कें इससे कहीं बेहतर हैं!”
निर्माण का नाम पर सिर्फ दिखावा!
पूर्व जनपद अध्यक्ष संदीप शुक्ला ने पहले ही निर्माण एजेंसियों को आगाह किया था। उन्होंने अस्थायी मरम्मत की माँग की थी, जिस पर सिर्फ खानापूर्ति कर काम बंद कर दिया गया। अब नतीजा जनता भुगत रही है।
बरसात की शुरुआत में ही हाल बेहाल है, तो सोचिए — सावन में क्या हाल होगा?
श्री शुक्ला ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द सड़क को चलने योग्य नहीं बनाया गया, तो एनएच के अधिकारियों को घेरने से लेकर आंदोलन तक का रास्ता अपनाया जाएगा!
अब सब्र का बांध टूटने वाला है, सड़क सुधारो वरना सड़कों पर उतरेंगे!”— संदीप शुक्ला, पूर्व जनपद अध्यक्ष, कोटा
जनता सवाल कर रही है: ये हाईवे है या हाय-वे?
क्या सरकार और जिम्मेदार विभाग अब भी सोए रहेंगे? या जनता को और गिरना-पड़ना पड़ेगा?
अब वक्त है उठने का — सड़क नहीं सुधरी, तो सड़कों पर आंदोलन तय है!