छत्तीसगढ़

एसईसीएल के दीपका मेगा प्रोजेक्ट में नए साइलो और रैपिड लोडिंग सिस्टम किया चालू

बिलासपुर । कोल इंडिया की सहायक कंपनी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड ने कोयला खनन से जुड़े बुनियादी ढांचे को आधुनिक और पर्यावरण-अनुकूल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।

 

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प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना के तहत, फस्र्ट माइल कनेक्टिविटी परियोजनाओं को गति देने के प्रयासों के तहत, एसईसीएल के दीपका मेगाप्रोजेक्ट में नए साइलो और रैपिड लोडिंग सिस्टम को सफलतापूर्वक चालू कर दिया गया है।

दीपका मेगाप्रोजेक्ट में निर्मित नवीनतम रैपिड लोडिंग सिस्टम और साइलो 3 एवं 4 से पहली कोयला रेक को लोड किया गया। इस परियोजना की वार्षिक कोयला निकासी क्षमता 25 मिलियन टन है, जिससे कोयला डिस्पैच की दक्षता में भारी वृद्धि होगी।

 

 

इससे पहले, दिपका परियोजना केवल मेरी-गो-राउंड (रूत्रक्र) डिस्पैच प्रणाली पर निर्भर थी, जिसकी क्षमता 15 मिलियन टन प्रति वर्ष थी। नए साइलो 3 और 4 के चालू होने के साथ, अब दिपका की कुल कोयला डिस्पैच क्षमता बढ़कर 40 मिलियन टन प्रति वर्ष हो गई है। यह उत्पादन स्तर के अनुरूप परिवहन अवसंरचना को मजबूती प्रदान करेगा।

कोयला मंत्रालय के मार्गदर्शन में, एसईसीएल प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना के तहत एफएमसी अवसंरचना विकास को प्राथमिकता दे रहा है। कंपनी ने 233 मिलियन टन प्रति वर्ष की कुल क्षमता वाली 17 एफएमसी परियोजनाएं शुरू की हैं, जिनमें से 9 परियोजनाएं 151 एमटीपीए की क्षमता के साथ पहले ही चालू हो चुकी हैं। शेष 8 परियोजनाएं, जिनकी क्षमता 82 एमटीपीए है, विभिन्न विकास चरणों में हैं और अगले 2-3 वर्षों में इनकी पूर्णता का लक्ष्य है। एफएमसी प्रणाली को सबसे कुशल और पर्यावरण-अनुकूल कोयला परिवहन प्रणाली के रूप में माना जाता है। दिपका में एफएमसी संरचना लागू होने से कई लाभ होंगे।

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कोयला लदान की सटीकता में वृद्धि, जिससे अंडरलोडिंग और ओवरलोडिंग की समस्या कम होगी। तेज लोडिंग समय, जिससे कोयला रेक की उपलब्धता में सुधार होगा। कोयले की गुणवत्ता में सुधार, जिससे संदूषण और नुकसान कम होगा। सड़क परिवहन पर निर्भरता कम होने से डीजल खर्च में बचत और पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने में मदद मिलेगी।

नए साइलो और रैपिड लोडिंग सिस्टम के चालू होने से एसईसीएल, भारतीय रेलवे और कोयला उपभोक्ताओं को समग्र रूप से लाभ मिलेगा। इससे लॉजिस्टिक्स व्यवस्था को सुगम बनाया जा सकेगा, कोयला परिवहन में सुधार होगा और प्रदूषण को कम करने में सहायता मिलेगी।

 

 

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