हिरण की मौत पर वन विभाग का कारनामा पोस्टमार्टम से पहले जलाने की तैयारी,पेट्रोल लेकर पहुंचे थे अफसर – ग्रामीण बोले,“कानून को फूंक रहे हैं!”

26 जुलाई की सुबह गांव के पास एक हिरण की संदिग्ध मौत हुई और उसके बाद वन विभाग ने जो किया, उसने न सिर्फ कानून की धज्जियां उड़ाईं, बल्कि ग्रामीणों के गुस्से को भी उबाल पर ला दिया।
हिरण मरा… विभाग सोया!
ग्रामीणों ने तुरंत सूचना दी, लेकिन फील्ड से महीनों से गायब कर्मचारी घंटों बाद पहुंचे। लोग बोले – “घटना न होती तो ये कभी दिखते भी नहीं!”

शव जलाने पहुंचे पेट्रोल लेकर – पत्रकारों ने रोका!
बिना जांच, बिना पोस्टमार्टम हिरण का शव जलाने की तैयारी थी। पेट्रोल की बोतलें पहले से भरकर लाई गई थीं। लेकिन जैसे ही पत्रकारों ने सवाल दागे, अफसरों के होश उड़ गए और शव को रातभर कार्यालय में रखा गया!

खुले में पोस्टमार्टम – सबके सामने फाड़ा गया वन्यजीव
NTCA की गाइडलाइन को ताक पर रखकर दफ्तर के बाहर सबके सामने हिरण का पोस्टमार्टम हुआ। न कोई गोपनीयता, न कोई सम्मान – ग्रामीणों और मीडिया की भीड़ के बीच चला ‘ऑपरेशन पोस्टमार्टम’!

फिर पेट्रोल से कर दिया दाह-संस्कार – सबूतों की ‘अंत्येष्टि’?
बारिश का बहाना बनाकर रेंजर ने पेट्रोल डालकर शव जलवाया, जबकि नियम है लकड़ी-चूने से नष्ट करना। क्या सबूत मिटाने की साजिश थी?
ग्रामीणों का गुस्सा – “ये कहां रहते हैं जब हमारे मवेशी मरते हैं?”
पशुपालन विभाग के डॉक्टर को घेरकर लोगों ने पूछा – “आप कभी नजर क्यों नहीं आते?”
डॉक्टर बोले – “मैं सिर्फ जूनियर हूं, शासन से पूछिए!”
राजनीति भी गरमाई – BJP नेता बोले: दोषियों को बर्खास्त करो!

राजू सिंह राजपूत (भाजपा मंडल अध्यक्ष) ने कहा – “ये बहुत शर्मनाक है। जो कर्मचारी फील्ड में नहीं रहते, उन्हें तत्काल निलंबित किया जाए। मैं इसे वन मंत्री के सामने उठाऊंगा।”

ग्रामीणों की मांगें – “घोषित हो हिरण ज़ोन”
स्थायी स्टाफ की नियुक्ति
जागरूकता अभियान
क्षेत्र को हिरण ज़ोन घोषित किया जाए
फील्ड स्टाफ की जवाबदेही तय हो
कानून क्या कहता है?
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 9, 50, 51 के तहत
बिना अनुमति शव जलाना = 3 साल की जेल + जुर्माना
फॉरेंसिक जांच
पशु चिकित्सक ने सैंपल जब्त कर जबलपुर लैब भेजे हैं। प्रारंभिक आशंका – कुत्तों या अन्य जानवरों का हमला।
जवाब कौन देगा?
रेंजर मरावी ने कहा – “बारिश थी, इसलिए पेट्रोल से जलाया।”
SDO निश्छल शुक्ला बोले – “स्टाफ की लापरवाही की शिकायत मिली है, नोटिस जारी किया गया है।”
सवाल बाकी हैं… जवाब कौन देगा?
क्या हिरण की मौत के साथ न्याय भी जलेगा? या दोषी सिर्फ कुर्सी बचा लेंगे?
अब देखना ये है कि ये मामला जंगल में गूंजेगा या फाइलों में दफन होगा!
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