“बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले, बहुत निकले मेरे अरमान फिर भी कम निकले”

निगम मंडलों में नियुक्ति होते ही भाजपा में बड़ा बवाल, असंतुष्ट इस नेता ने तत्काल ठुकराया पद, व्यंग्यात्मक लहजे में सोशल मीडिया में लिखा..
Raipur रायपुर। देश की मशहूर शायर मिर्ज़ा ग़ालिब ने कई सालों पहले लिखा था पर उन्हें भी क्या पता था उनकी लिखी हुई बात कभी छत्तीसगढ़ प्रदेश के कद्दावर फायर ब्रांड प्रवक्ता के नाम से प्रदेश में अपनी पहचान रखने वाले गौरी शंकर श्रीवास पर यह शेर सही साबित हो जाएगी।

छत्तीसगढ़ भाजपा की सरकार आने के बाद सवा साल से रुकी निगम–,मंडलों को लालबत्तियां अब बांट दी गई है। पर भाजपा की लिस्ट जारी होते ही असंतोष फूट गया है। एक नेता ने व्यंग्यात्मक लहजे में फेसबुक में पोस्ट करते हुए पद ठुकरा दिया है। औरों की प्रतिक्रिया आनी बाकी है।
भाजपा के निगम मंडल की नियुक्ति की सूची वायरल होते ही उभरे असंतोष के चलते पार्टी के फायर ब्रांड नेता गौरी शंकर श्रीवास ने पद ठुकराते हुए X पर ट्वीट करते हुए सरकार पर तंज कसा है। उन्होंने लिखा है

“सरकार ने इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी है कि जिसे उठाने में मेरे कंधे असमर्थ हैं, इसलिए पद स्वीकार नहीं। संगठन के सामान्य कार्यकर्ता के रूप में मै ठीक हूँ। “

बता दें कि गौरीशंकर श्रीवास को छत्तीसगढ़ राज्य केश शिल्पी कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है, लेकिन तेज तर्रार नेता गौरीशंकर श्रीवास ने पद लेने से इनकार कर दिया। सोशल मीडिया पर लिखा कि पार्टी ने इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी है कि जिसे उठाने में मेरे कंधे असमर्थ हैं, इसलिए पद स्वीकार नहीं है। उन्होंने पर स्वीकार करने से साफ इनकार कर दिया है। सार्वजनिक तंज कसने वाले ट्वीट से सामने आ गई है।
राजनीतिक जानकारो का मानना है कि प्रदेश मे चल रहे पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान मुख्यमंत्री के वर्चस्व के लडाई का मामला है अब गुटबाज़ी की चर्चा जम कर होने लगी है।
अकलतरा से विधायक का चुनाव हारे सौरभ सिंह को छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम का अध्यक्ष बनाया गया है। जबकि भाजपा प्रदेश कार्यालय प्रभारी नरेश चंद्र गुप्ता को सिरे से नकार दिया गया है। माना जा रहा है कि कुछ नेताओं को उनकी योग्यता, मेहनत और कद की अपेक्षा ज्यादा ही बड़ा पद थमा दिया गया है। असंतोष को देखते हुए आगामी चुनाव में इसका बड़ा नुकसान देखने को मिल सकता है।“हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि, हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान, लेकिन फिर भी कम निकले,,
प्रदेश के हालात और भाजपा के कर्मठ कार्यकर्ताओं और नेताओं की हो रही उपेक्षा के लिए ग़ालिब का इसी शायरी का आखरी लाइन भी सही साबित हो रही है।
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