
प्रयागराज/छत्तीसगढ़।
धार्मिक नगरी प्रयागराज… जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर पिंडदान और अस्थि विसर्जन जैसे कर्मकांड करने हर साल लाखों श्रद्धालु पहुँचते हैं। छत्तीसगढ़ से भी बड़ी संख्या में लोग अपने पुरखों की आत्मा की शांति के लिए यहां आते हैं। लेकिन अधिकतर लोगों के मन में एक डर होता है – “पंडे बहुत पैसा ऐंठते हैं!”
ऐसे ही डर के साथ छत्तीसगढ़ का एक श्रद्धालु पहली बार प्रयागराज पहुँचा। मन में श्रद्धा थी, लेकिन मन ही मन आशंका भी थी – कहीं कोई गलत हाथों में न फँस जाएं। लेकिन जो हुआ, उसने उनकी सोच ही बदल दी।

मुलाकात हुई ‘धीरू भाई‘ से – जिनके व्यवहार ने दिल जीत लिया
श्रद्धालु की मुलाकात महावीर पंडा जी के नाती, धीरू भाई से हुई। बातचीत शुरू होते ही उनका आत्मीय व्यवहार और सरलता ने श्रद्धालु को सहज कर दिया। उन्होंने न कोई दबाव बनाया, न कोई फीस तय की, बल्कि पूरे विधिवत तरीके से पिंडदान संपन्न कराया।
रहने की भी निःशुल्क व्यवस्था कराई गई, और भोजन आदि की भी शालीनता से व्यवस्था कर दी गई – वो भी बिना किसी शोरगुल या दिखावे के।
श्रद्धालु भावुक होकर बोले –
“मैं तो समझ कर आया था कि प्रयागराज में लूट मची रहती है, लेकिन धीरू भाई ने तो हमारी सेवा इस भाव से की जैसे कोई अपना हो। जो खर्च हुआ वो भी बहुत कम था, और हर काम पूरी श्रद्धा से कराया गया।“
छत्तीसगढ़ के लिए बना भरोसेमंद नाम – महावीर पंडा परिवार
महावीर पंडा जी का परिवार वर्षों से प्रयागराज में छत्तीसगढ़वासियों के धार्मिक कार्यों में सेवा देता आ रहा है। अब उनकी नई पीढ़ी के सदस्य धीरू भाई न केवल उस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं, बल्कि नए जमाने की सोच और ईमानदारी के साथ श्रद्धालुओं का भरोसा भी जीत रहे हैं।
श्रद्धालु ने आग्रह करते हुए कहा –
“छत्तीसगढ़ से जो भी लोग प्रयागराज आकर पिंडदान या अस्थि विसर्जन करना चाहते हैं, वे आंख मूंदकर धीरू भाई से संपर्क करें। सब कुछ सहज, सस्ता और भरोसेमंद मिलेगा।“
धीरू भाई का संपर्क नंबर है – 8840820612
जहां एक ओर धर्मस्थलों पर ठगी की खबरें सुर्खियों में रहती हैं, वहीं महावीर पंडा परिवार और विशेषकर धीरू भाई जैसे सेवाभावी लोग समाज में उम्मीद की किरण हैं। ऐसे उदाहरणों को सामने लाना ज़रूरी है ताकि श्रद्धा और सेवा का रिश्ता और मजबूत हो सके।
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