मासूम बच्चों के शव को कंधे पर लादकर पैदल चले मां-बाप, वीडियो देख दहल जाएगा कलेजा

गढ़चिरौली। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में बुखार का इलाज कराने डॉक्टर की बजाय पुजारी के पास गए दो छोटे भाईयों की कुछ ही घंटों में मौत हो गई। बच्चे को लेकर परिजन अस्पताल पहुंचे तब तक दोनों की मौत हो चुकी थी। यह भी बताया जा रहा है कि उन्हें समय पर एंबुलेंस नहीं मिलने पर माता पिता अपने बच्चों के शवों को कंधे पर रखकर 15 किलोमीटर पैदल सफर तय करके अपने घर तक पहुंचे। यह घटना बुधवार को अहेरी तालुका के पत्तीगांव में घटी है।

खबरों के मुताबिक दो सगे भाई बाजीराव रमेश वेलादी (6 वर्ष) और दिनेश रमेश वेलादी (साढ़े तीन साल) येर्रागड्डा, अहेरी के रहने वाले थे। दो दिन पहले वे माता-पिता के साथ पट्टीगांव आए थे। 4 सितम्बर को बाजीराव को बुखार हो गया। बाद में दिनेश भी बीमार पड़ गया। उसके माता-पिता उसे पट्टीगांव इलाके में एक पुजारी के पास ले गए थे। वहां उन्हें जड़ी-बूटियां दी गईं। कुछ देर बाद दोनों की हालत और बिगड़ गई। सुबह साढ़े दस बजे बाजीराव की मौत हो गई, फिर दोपहर बारह बजे दिनेश ने भी दम तोड़ दिया। दोनों की मौत के बाद भी उनके माता पिता को अपने बेटों का शव ढोना पड़ा।
जिमलगट्टा स्वास्थ्य केंद्र से पट्टीगांव तक कोई पक्की सड़क नहीं बनाई गई है। जिसके चलते माता-पिता को इन बच्चों को नाले के पानी और कीचड़ के बीच अपने कंधों पर ले जाना पड़ा। दोनों की मौत से वेलाडी दम्पति शोक में डूब गए है। स्वास्थ्य केंद्र में कोई एम्बुलेंस नहीं थी, इसलिए देचलीपेठा से एम्बुलेंस बुलाने की तैयारी की गई। लेकिन मौत के बाद एंबुलेंस कौन से काम की थी, यह समझ कर दोनों ने अपने कंधों पर बच्चों के शवों को लादकर पत्तीगांव की ओर चलने लगे। इसके बाद उन्होंने एक रिश्तेदार की बाइक बुलाई और पट्टीगांव पहुंचे।
जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि दोनों बच्चों की मौत हो गई है। उनकी मौत की सही वजह स्पष्ट नहीं है। इन बच्चों को पहले पुजारी के पास ले जाया गया। स्वास्थ्य केंद्र पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो चुकी थी। एंबुलेंस लाने का प्रयास किया, लेकिन परिजन नहीं माने। उन्होंने कहा कि मामले की जांच कर रिपोर्ट मांगी जायेगी।
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