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पांच वर्षीय बालक के रूप में क्यों हुई थी बटुक भैरव की उत्पत्ति,रतनपुर के इस मंदिर की स्वयंभू प्रतिमा को काल भैरव समझते है श्रद्धालु

मृत्युंजय भगवान शिव को यज्ञ में दो लाख आहुतियां दी, भैरवबाबा मंदिर में विशेष अनुष्ठान जारी

बिलासपुर। रतनपुर में भैरव जयंती महोत्सव के पांचवे दिन सोमवार को रूद्र महायज्ञ में आहुति दी गई। इसमें मृत्युंजय भगवान शिव को दो लाख से अधिक आहुति दी गई। देशभर से आये साधू संतो ने रूद्र महायज्ञ में शामिल होकर भक्तों को आशिर्वाद दिया। स्वयंभू बटुक भैरवबाबा की 12 फीट की प्रतिमा है जिसे श्रद्धालु कालभैरव मानते हैं जो बटुक भैरव हैं। मां महामाया देवी की नगरी के प्रवेशद्वार पर ही भैरवबाबा का मंदिर हैं। यहां सालभर दर्शनार्थी पहुंचते हैं।

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अमरकंटक से आये सिद्ध काली पीठ के महंत राजेश दास महाराज ने भैरवनाथ को आहुति दी। रतनपुर में भैरवबाबा बटुक भैरव के रूप में पूजे जाते हैं। बटुक भैरव भगवान शिव का बाल रूप एवं भयानक, विकराल और प्रचंड रूप है। बटुक भैरव की पूजा करने से शत्रुओं और विरोधियों का कोई भी षड्यंत्र सफल नहीं होता है।

भैरवबाबा मंदिर के महंत पंडित जागेश्वर अवस्थी ने बताया कि भगवान शिव के कई अवतार हैं, जिनमें से उनका एक अवतार महज 5 साल के बच्चे का है और वह अवतार है बटुक अवतार। यह अवतार भले ही एक बच्चे का है लेकिन इस अवतार की उपासना से दुःख और तकलीफ खत्म होती है और सुरक्षा भावना उत्पन्न होती है।

उन्होंने कहा कि भगवान शिव का बटुक अवतार बेहद दिलचस्प अवतार हैं। बटुक भैरव जहां शिव के एक गण माने जाते हैं, वहीं वो रात्रि के देवता भी माने जाते हैं। अगर आप रात में यात्रा कर रहे हैं, तो आपको बटुक भैरव की आराधना करने की सलाह दी जाती है। बटुक भैरव भगवान शिव के उग्र अवतार भी हैं और क्षेत्रपालक, मंदिर के रक्षक और यात्री के रक्षक के रूप में भी जाना जाते हैं।

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एक कथा के अनुसार आपद नाम के एक राक्षस ने प्राचीन काल में तपस्या करके अजेय होने का वरदान प्राप्त कर लिया था। उसका वध करने का एक ही तरीका था कि उसकी मृत्यु केवल पांच साल के बच्चे द्वारा ही हो सकती है। वरदान मिलने के बाद आपद ने हर जगह हाहाकार मचा दिया। अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करके उसने देवताओं और मनुष्यों को त्राहि-त्राहि कर दिया।

देवताओं ने तंग आकर इस संबंध में भगवान शिव से सहायता के लिए प्रार्थना की। भगवान शिव ने उन सबकी पीड़ा को ख़त्म करने और आपद का अंत करने के लिए एक पांच साल के बच्चे बटुक भैरव की उत्पत्ति की। बाल बटुक को सभी देवगण ने अजेय होने का आशीर्वाद दिया। फिर बटुक भैरव ने राक्षस आपद का वध किया।


वही पूजन सफल बनाने मे पं. दिलीप दुबे, पं. कान्हा तिवारी
महेश्वर पाण्डेय, पं. राजेंद्र दुबे,
पं. विक्की अवस्थी, सोनू, आचार्य गिरधारी लाल पाण्डेय, पं. अवनीश मिश्रा, पं. बल्ला दुबे, पं. गौरीशंकर तिवारी, पं. राम सुमित तिवारी , यशवत पाण्डेय, करा रहे हैं।वही
151 कन्या पूजा ब्राह्मण पूजा के साथ महाभंडारे का आयोजन किया जायेगा।

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Kanha Tiwari

छत्तीसगढ़ के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्होंने पिछले 10 वर्षों से लोक जन-आवाज को सशक्त बनाते हुए पत्रकारिता की अगुआई की है।

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