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ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ देने हेतु  लगी शिक्षक की याचिका पर सेवा अवधि की गणना को लेकर हाईकोर्ट ने दिए सात सप्ताह में निराकरण के निर्देश

Bilaspur Highcourt News:– ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ दिलाने शिक्षक ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। याचिका में बताया गया है कि उनकी शिक्षाकर्मी के रूप में भर्ती हुई थी पर उनकी सेवा अवधि की गणना उनके स्कूल शिक्षा विभाग में  संविलियन की तिथि से की जा रही है,जिसके चलते वे ओपीएस की पात्रता से बाहर हो गए है। उन्होंने स्कूल शिक्षा विभाग में भी अभ्यावेदन दिया है,पर दो वर्षों में उनके अभ्यावेदन का निराकरण नहीं हुआ। अब हाईकोर्ट ने  स्कूल शिक्षा विभाग को सात सप्ताह के भीतर  अभ्यावेदन के निराकरण के निर्देश दिए है।


Bilaspur बिलासपुर। स्कूल शिक्षा विभाग के शिक्षक के द्वारा पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिलवाले जाने हेतु हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत की थी। याचिका में उन्होंने बताया था कि उनकी सेवा अवधि की गणना शिक्षाकर्मी के रूप में भर्ती की तिथि के बजाय शिक्षक के रूप में संविलियन की तिथि से की जा रही है। जिसके चलते उन्हें ओल्ड पेंशन स्कीम के जगह नई पेंशन स्कीम के लिए पात्र माना गया है।  उन्होंने ओल्ड पेंशन योजना का लाभ दिलाए जाने की मांग करते हुए वर्ष 2023 में स्कूल शिक्षा विभाग को एक अभ्यावेदन सौंपा। पर दो वर्षों बाद भी कोई कार्यवाही नहीं होनेें पर हाईकोर्ट  में याचिका लगाई। अब हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर सात सप्ताह के भीतर निर्णय लिए जाने का आदेश स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को दिया है।
नंदकुमार दीवान, पिता बिसराम दीवान, वर्तमान में स्वामी आत्मानंद शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला, भंवरपुर (तहसील बसना, जिला महासमुंद) में प्राध्यापक (एल.बी.) के पद पर कार्यरत हैं। उनकी प्रथम नियुक्ति 27 जुलाई 1998 को शिक्षाकर्मी वर्ग-1 के रूप में जिला पंचायत द्वारा की गई थी। बाद में 28 सितंबर 2018 को उन्हें स्कूल शिक्षा विभाग में व्याख्याता (एल.बी. संवर्ग) के रूप में संविलियन किया गया। संविलियन के पश्चात शासन द्वारा यह निर्देश जारी किया गया कि शिक्षा कर्मियों की सेवा अवधि की गणना प्रथम नियुक्ति तिथि से न कर केवल संविलियन तिथि (28 सितंबर 2018) से की जाएगी और उन्हें पुरानी पेंशन योजना के बजाय नई पेंशन योजना के अंतर्गत लाभ मिलेगा।

इस निर्णय से असंतुष्ट होकर याचिकाकर्ता ने वर्ष 2023 में सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग को एक अभ्यावेदन सौंपा, जिसमें 27 जुलाई 1998 से सेवा अवधि की गणना कर छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1976 के तहत पुरानी पेंशन योजना और अन्य पेंशन लाभ प्रदान करने की मांग की गई थी। लेकिन, दो वर्ष बीत जाने के बाद भी विभाग द्वारा इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। तब याचिकाकर्ता ने अधिवक्ताओं के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। मामले की सुनवाई के पश्चात हाई कोर्ट ने स्पष्ट आदेश देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर विचार कर पुरानी पेंशन योजना तथा सेवा अवधि की गणना के विषय में सात सप्ताह के भीतर विधिक निर्णय लिया जाए।

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