छोटी सजा से सिर्फ एक वर्ष प्रमोशन होगा बाधित,

पुलिस के सब इंस्पेक्टर को इंस्पेक्टर के पद पर प्रमोशन देने के आदेश
Bilaspur Highcourt news:– बस्तर में पदस्थ सब इंस्पेक्टर को लापरवाही के लिए एक वेतन वृद्धि एक वर्ष के लिए रोकने का आदेश जारी किया गया था। एक वर्ष की अवधि बीत जाने के बावजूद भी सब इंस्पेक्टर को प्रमोशन नहीं दिया गया जिसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। हाईकोर्ट ने इंस्पेक्टर के पद पर प्रमोशन के साथ सभी लाभ देने के निर्देश जारी किए है।
बिलासपुर। हाईकोर्ट ने एक मामले में कहा है कि विभागीय छोटी सजा से सिर्फ एक वर्ष ही प्रमोशन बाधित होगा। इस आधार पर याचिकाकर्ता को वर्ष 2016 से पुलिस इंस्पेक्टर पद पर प्रमोशन देने के निर्देश दिए हैं। प्रकरण के अनुसार डीडी नगर, रायपुर निवासी एफडी साहू वर्ष 2012-2013 में जगदलपुर, जिला-बस्तर में पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर के पद पर पदस्थ थे। पदस्थापना के दौरान एक अपराध की विवेचना में लापरवाही के आरोप में पुलिस महानिरीक्षक, जगदलपुर द्वारा उनकी एक वेतनवृद्धि एक वर्ष के लिए असंचयी प्रभाव से रोकने की सजा दी गई। परन्तु एक वर्ष पश्चात् उक्त लघुदण्ड का प्रभाव समाप्त हो जाने के पश्चात भी साहू को पुलिस इंस्पेक्टर के पद पर प्रमोशन नहीं दिया गया। इससे क्षुब्ध होकर सब इंस्पेक्टर एफडी साहू ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ताओं की ओर से हाईकोर्ट के समक्ष सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय का हवाला देते हुए प्रमोशन की मांग की गई।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता द्वारा बताया गया कि शिवकुमार शर्मा विरुद्ध हरियाणा बिजली बोर्ड एवं यूनियन ऑफ इण्डिया विरुद्ध एससी. पाराशर एवं अन्य के प्रकरण में यह निर्णय दिया है कि यदि किसी शासकीय अधिकारी-कर्मचारी को एक वर्ष की वेतनवृद्धि असंचयी प्रभाव से रोकने के दण्ड से दण्डित किया जाता है तो ऐसी स्थिति में एक वर्ष पश्चात् दण्ड का प्रभाव समाप्त हो जाने पर उक्त शासकीय अधिकारी-कर्मचारी उच्च पद पर प्रमोशन एवं वेतनवृद्धि का पात्र है। परन्तु याचिकाकर्ता के मामले में उसे दिये गये लघुदण्ड का प्रभाव समाप्त हो जाने के पश्चात् भी उसे पुलिस इंस्पेक्टर पद पर प्रमोशन नहीं दिया गया
प्रमोशन तारीख से ही सभी लाभ देने के निर्देश:–
सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में शिवकुमार शर्मा एवं एससी. पाराशर के वाद में पारित न्याय निर्णय के आधार पर उक्त रिट याचिका को स्वीकार कर लिया। साथ ही याचिकाकर्ता को उक्त लघु दण्डादेश का प्रभाव समाप्त हो जाने पर वर्ष 2016 से निरीक्षक के पद पर प्रमोशन, सीनियरिटी एवं अन्य आर्थिक लाभ प्रदान करने का आदेश किया गया।
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