कोरबा

वार्ड 26 में बाहरी प्रत्याशी के समर्थन में दुर्गा पूजा समिति का आड़ – चुनावी मर्यादा तार-तार

कोरबा। नगर निगम चुनाव में जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे वार्ड 26 में सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। यहां निर्दलीय प्रत्याशी अब्दुल रहमान (टॉर्च छाप) को मिल रहे जनसमर्थन से कुछ विरोधी खेमे में खलबली मची हुई है। इस बीच, चुनावी नैतिकता को ताक पर रखते हुए वार्ड की वर्षो पुरानी प्रतिष्ठित सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति का आड़ लेकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है। यह कदम न सिर्फ अशोभनीय है बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों के भी खिलाफ है।

समिति के नाम का गलत इस्तेमाल

चुनाव में किसी का व्यक्तिगत समर्थन या विरोध करना लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है, लेकिन जब इसके लिए धार्मिक या सार्वजनिक संगठनों का उपयोग किया जाने लगे, तो यह चिंता का विषय बन जाता है। वार्ड 26 में प्रतिष्ठित दुर्गा पूजा समिति का नाम लेकर कुछ लोग जनता को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे निष्पक्ष चुनावी प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। समिति एक धार्मिक और सामाजिक संगठन है, जिसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए, लेकिन इसे व्यक्तिगत रंजिश निकालने का माध्यम बनाया जा रहा है।

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जब मुद्दों पर मात नहीं दे सके, तो धर्म का सहारा

निर्दलीय प्रत्याशी अब्दुल रहमान ने अपने चुनाव प्रचार में जनता से जुड़े मुद्दों को प्राथमिकता दी है—जलभराव, सफाई व्यवस्था, सड़कें, जल संकट और सरकारी योजनाओं का सही क्रियान्वयन जैसे विषय उनके एजेंडे में शामिल हैं। लेकिन जब विरोधी पक्ष इन मुद्दों पर उनका सामना नहीं कर सका, तो चुनावी रणनीति बदलकर धार्मिक ध्रुवीकरण करने की कोशिश की जा रही है। अब्दुल रहमान की छवि को खराब करने के लिए नफरत भरे हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।

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यह चुनावी मर्यादा के खिलाफ ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों के भी विपरीत है। स्थानीय लोग भी इस साजिश को समझ रहे हैं और इसका विरोध कर रहे हैं। वार्ड 26 के नागरिकों का कहना है कि जब तक कोई प्रत्याशी क्षेत्र के विकास पर बात करता है, तब तक उसे रोकने के लिए कोई अनैतिक हथकंडा नहीं अपनाया जाना चाहिए।

लोग समझ रहे हैं साजिश, मतदान में देंगे जवाब

वार्ड 26 में अब्दुल रहमान के समर्थन में तेजी से माहौल बन रहा है। लोग अब समझ चुके हैं कि उनके खिलाफ किस तरह की साजिशें रची जा रही हैं। जनता यह भी जानती है कि चुनाव के आखिरी समय में धार्मिक भावनाओं को भड़काकर कुछ लोग अपने स्वार्थ की रोटियां सेंकना चाहते हैं।

स्थानीय मतदाताओं का कहना है कि वे इस बार उम्मीदवार को उसके काम और उसकी नीतियों के आधार पर वोट देंगे, न कि किसी बाहरी ताकत के प्रभाव में आकर। “हमारे वार्ड में विकास चाहिए, न कि धार्मिक विवाद।” – यह भावना अब आम जनता में दिखाई दे रही है।

11 फरवरी को मतदान के दिन वार्ड 26 के लोग इस गंदी राजनीति का करारा जवाब देंगे। मतदाता यह संदेश देना चाहते हैं कि चुनाव में विकास की बात होनी चाहिए, न कि धर्म के नाम पर जनता को गुमराह करने की कोशिश। अब यह जनता पर निर्भर करता है कि वह किसे चुनती है, लेकिन इतना तय है कि जो लोग धार्मिक संगठनों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें सबक सिखाने का मन जनता बना चुकी है।

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Kanha Tiwari

छत्तीसगढ़ के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्होंने पिछले 10 वर्षों से लोक जन-आवाज को सशक्त बनाते हुए पत्रकारिता की अगुआई की है।

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