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जन स्वास्थ्य सहयोग गनियारी के शराब नशा मुक्ति अभियान के दस साल पूरे


बिलासपुर। दवाओं से ज्यादा समूह की ताकत हैं। जो समाज की ताकत हैं। जो शराब पी रहें हैं। वो इस ताकत को  शराब छोड़ने और छुड़ाने में कर सकते हैं। यह बात दस साल की इस यात्रा से सिद्ध हो गया।

इससे बड़े बड़े डॉक्टर भी अचंभित हैं। आज तक माना जाता है कि नशा मुक्ति के लिए जो कार्यक्रम होते हैं, इसकी सफलता की दर दस बीस फीसदी होती है । बीस फीसदी सफलता को बड़ी कामयाबी मानी जाती है। मेडिकल साईंस मानता है। कि शराब झटके से  छूटता है। धीरे धीरे नहीं छूटता इस प्रयोग से  मेडिकल साईंस को  भी सीखने को मिला है। दवा के बगैर भी नशा छोड़ सकते हैं। यह बात जन स्वास्थ्य सहयोग गनियारी के डॉ. गजानन फुटक ने कही।
शराब नशा मुक्ति अभियान के दस साल पूरा होने पर अचानकमार टाइगर रिजर्व क्षेत्र के ग्राम अतरिया में शनिवार को शराब नशा मुक्ति महासंघ मुंगेली व बिलासपुर के द्वारा वार्षिक महाधिवेशन आयोजित किया गया। इसमें उपस्थित अतिथियों का स्वागत बिरन/बिराईन माला पहना व प्रतीक चिन्ह भेंटकर किया गया। महाधिवेशन में नशामुक्ति अभियान की समीक्षा कर आगामी रणनीति पर चर्चा की गई।
डॉ. गजानन फुटक ने कहा शराब नशा मुक्ति, जन स्वास्थ्य सहयोग गनियारी का ही कार्यक्रम नहीं, ये हम सबका कार्यक्रम है।  हर परिवार, व्यक्ति इससे जुड़े और जो जुड़ना चाहता है उसका कार्यक्रम है। अचानक मार टाइगर रिजर्व के अंदर और इसके आसपास के गांव शराब नशा मुक्ति पर देश में मिसाल बने। सर्वे से ये बात सामने आई की, एक गांव में गुड़ाखू, शराब, गुटका, तंबाकू बीड़ी और सिगरेट जैसी नशे की वस्तुओं पर ग्रामीण एक हफ्ते में ही अपने पसीने की कमाई के करीब साठ हजार रुपए खर्च कर देते हैं। इसी पैसे को पढ़ाई में लगा दें तो करीब पचास बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाया जा सकता है। आप अपने बच्चों को  अपने खर्चे पर बेहतर शिक्षा दिला सकते हैं। शिक्षा के लिए सरकार के आसरे बने रहने की जरुरत नहीं पड़ेगी। गांव के पढ़े लिखे लोग, पंच सरपंच इस पर ध्यान दें। पूरे देश में जो आत्महत्याएं हो रही है उसमें छत्तीसगढ़ का नंबर तीसरा हैं। आत्महत्या के बराबर ही सड़क दुर्घटनाओं में मौतें हो रही है । इसके पीछे का कारण नशा और शराब ही है। सबको पता है कि नशे से नुकसान ही होता है। पर इससे छुटकारा कैसे पाएं। सहायता समूह से  जुड़े, घर के बच्चों को उनके संपर्क में लाए। बात कराएं, समझाएं। टीचर स्कूल के बच्चों के बीच इस पर विशेष रुप से बात करें। बताएं कि नशा क्यों नहीं करना चाहिए। जो नशा छोड़ना चाहते हैं सामने आएं। समूह बनाएं और हमारी ओर से  जो भी सहयोग अपेक्षित है, मदद की जाएगी।
शराब छोड़ने जो मदद करता है, वो आप स्वयं हो

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डॉ. फुटक ने कहा कार्यक्रम की शुरुआत में दवाओं का उपयोग किया गया। आज भी जहां मांग होती है दवाओं का उपयोग करते हैं। दवा उसे दिया जाता है। जो नशे का आ दी हो। एक तिहाई ऐसे मामले होते हैं जिनका शरीर नशे का आदी होता है। उनमें थरथराहट, पसीना आना, चक्कर आना और कभी कभी झटका आने की दिक्कत होती है । इनको रोकने दवाएं देते हैं। शराब छोड़ने एक व्यक्ति मदद करता है, वो आप स्वयं है। 
करने होंगे मनोरंजन के बेहतर उपाय
डॉ. पंकज ने कहा शौक के लिए शराब पीना शुरू करते हैं। ऐसे तीस फीसद लोग इसके आदी हो जाते हैं। स्कूलों में इस पर बात करना बहुत जरुरी है। मनोरंजन के बेहतर उपाय उपलब्ध होने चाहिए. नुक्कड़ नाटक, मनोरंजक साधन का उपयोग जागरूकता के लिए होना चाहिए। खेलकूद पर बात होनी चाहिए। आज मोबाईल आ गया है। इससे खेलकूद की ओर से ध्यान हट गया है। जीवन में खेलकूद मनोरंजन के साधन नहीं होने से सहजता से नशे की ओर ध्यान चला जाता है। खेलकूद में शामिल होते हैं तो शारीरिक बलिष्टता भी बढ़ती हैं। स्कूलों और घर-परिवार में इस पर बात करना बहुत जरुरी है। नशे की लत ना पड़े जिससे नशा मुक्ति तक जाना पड़े. इस पर भी काम करने की जरुरत है जितना नशा मुक्ति पर।
इस मौके डॉ. योगेंन्द्र सिंह परिहार, बैगा समाज के प्रदेश अध्यक्ष इतवारी राम बैगा, ज्ञानाधार शास्त्री, संजय शर्मा, प्राणेश मेश्राम, प्रफुल्ल चंदेल, मंजू ठाकुर, सुर्यकांत शर्मा, जगदेव, सेवाराम धुर्वे, सीताराम, नरेश, कौशिल्या, कमल,धर्मेंद्र, शैलेंन्द्र प्रकाश, क्रांती ने भी अपने विचार रखे। सामाजिक कार्यकर्ता अनिल बामने ने शराब नशामुक्ति अभियान के दस साल का प्रतिवेदन पेश किया ।

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पेश किए रोचक संस्करण
शराब नशा मुक्ति समूह के नशे के व्यसन से मुक्त लोगों ने अपने रोचक संस्मरण सुनाकर पारिवारिक और सामाजिक जीवन में खुशहाली की जानकारी साझा की। इस मौके पर डॉ. मिनल , संतोष मरावी, रामकली बहन, शिव प्रसाद मरावी, बजरंग रजक, चंदकांत, मंजू ठाकुर, कामिनी सिस्टर, सावित्री सिंह, दीपक बागरी, चितरेखा, नर्मदा प्रसाद यादव सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।
15 गांवों में  29 शराब नशा मुक्ति समूह
साल 2012-13 से जन स्वास्थ्य सहयोग गनियारी अचानकमार टाइगर रिजर्व व उसके आसपास के वनांचल में बसे ग्रामीणों खासकर आदिवासियों के बीच शराब नशा मुक्ति के लिए लोगों को जागरूक कर रही है। इसके लिए उन्होंने अभिनव प्रयोग किए हैं। जिनको बड़ी सफलता मिली हैं। बीते दस साल में  इस इलाके के 15 गांवों में  29 शराब नशा मुक्ति समूह के 320 लोग न सिर्फ शराब के व्यसन से मुक्त होकर बेहतर आजीविका से जुड़कर घर परिवार के सपनों को साकार करने की जुगत लगा रहे हैं वहीं नशे के खिलाफ मुहिम चला कर बेहतर समाज का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं।

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Kanha Tiwari

छत्तीसगढ़ के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्होंने पिछले 10 वर्षों से लोक जन-आवाज को सशक्त बनाते हुए पत्रकारिता की अगुआई की है।

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