Raipur News:– एक हेक्टेयर में उगा’ — ग्राफ्टेड बैंगन ने बदल दी किसान की किस्मत, उत्पादन दोगुना और लाभ तीन गुना

Raipur News:– जब धान की खेती में बढ़ती लागत किसान की कमर तोड़ने लगी, तब रायगढ़ जिले के खरसिया विकासखंड के ग्राम करूमौहा के किसान मुरलीधर साहू ने बदलाव की राह चुनी। राष्ट्रीय बागवानी मिशन से मिले 20 हजार रुपये के अनुदान के साथ उन्होंने पहले साधारण बैंगन की खेती शुरू की, लेकिन उद्यानिकी विभाग की सलाह पर जब ग्राफ्टेड बैंगन अपनाया गया, तो एक ही हेक्टेयर जमीन ने उनकी मेहनत का ऐसा फल दिया कि उत्पादन दोगुना हुआ और मुनाफा तीन गुना तक पहुंच गया।
Raipur News:– रायपुर, 12 दिसंबर 2025। रायगढ़ जिले के खरसिया विकासखंड के ग्राम करूमौहा के किसान मुरलीधर साहू आज आधुनिक खेती का प्रेरक मॉडल बन चुके हैं। धान की खेती में लगातार बढ़ती लागत और घटते मुनाफे के बीच उन्होंने उद्यानिकी विभाग से मार्गदर्शन लेकर ग्राफ्टेड बैंगन की उन्नत तकनीक अपनाई, जिसने उनकी कृषि आय में अभूतपूर्व वृद्धि कर दी।

ग्राफ्टेड बैंगन—दो पौधों का वैज्ञानिक मेल
ग्राफ्टेड बैंगन दो अलग–अलग पौधों—एक मजबूत रूटस्टॉक और उच्च गुणवत्ता वाले स्कायन—को जोड़कर तैयार किया जाता है। इस तकनीक से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, फलन में सुधार होता है और मिट्टी संबंधी रोग काफी कम हो जाते हैं।
लागत कम, उत्पादन ज्यादा — खेती में आया क्रांतिकारी बदलाव
उद्यानिकी विभाग की तकनीकी सलाह और प्रशिक्षण से प्रेरित होकर साहू ने अपनी एक हेक्टेयर भूमि में ग्राफ्टेड बैंगन का रोपण किया।
जैविक खाद और जैविक दवाओं के उपयोग से लागत कम रही, जबकि पौधों की वृद्धि और फलन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई।
राष्ट्रीय बागवानी मिशन से मिला संबल — उपज 80 से बढ़कर 150–170 क्विंटल
राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के तहत मिले 20,000 रुपये के अनुदान ने उन्हें बेहतर संसाधन जुटाने में मदद की।
पहले जहां उनकी उपज 80–85 क्विंटल रहती थी, आधुनिक तकनीक अपनाने के बाद यह बढ़कर 150–170 क्विंटल तक पहुंच गई।
बेहतर बाजार मूल्य मिलने से कुल आय 4.5 लाख रुपये और शुद्ध लाभ लगभग 3 लाख रुपये हुआ—जो उनके पिछले वर्षों की तुलना में लगभग तीन गुना है।
क्या कहते हैं सहायक उद्यानिकी अधिकारी रंजना माखीजा
जिला सहायक उद्यानिकी अधिकारी रंजना माखीजा ने किसान साहू की सफलता पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा—
“ग्राफ्टेड बैंगन जैसी उन्नत तकनीकें किसानों के लिए बेहद कारगर साबित हो रही हैं। इन पौधों में रोगों का प्रकोप कम होता है, पौधे अधिक समय तक टिकते हैं और उत्पादन सामान्य पौधों की तुलना में काफी बढ़ जाता है। विभाग द्वारा समय–समय पर दिए जाने वाले प्रशिक्षण और तकनीकी मार्गदर्शन से किसान कम लागत में अधिक उपज प्राप्त कर रहे हैं। मुरलीधर साहू का उदाहरण बताता है कि वैज्ञानिक तरीके और सरकारी योजनाओं का सही उपयोग किसानों की आर्थिक स्थिति को तेजी से मजबूत कर सकता है।”
उन्होंने यह भी बताया कि उद्यानिकी विभाग किसानों को नियमित रूप से नई तकनीकों, जैविक पद्धतियों और फसल प्रबंधन के आधुनिक तरीकों पर प्रशिक्षण दे रहा है, जिससे अधिक से अधिक किसान लाभान्वित हो सकें।
क्षेत्र के किसानों में नई उम्मीद
मुरलीधर साहू की सफलता ने आसपास के गांवों और वनांचल क्षेत्रों में एक सकारात्मक संदेश भेजा है। उनकी कहानी इस बात का प्रमाण है कि वैज्ञानिक खेती और सरकारी योजनाओं की मदद से कम लागत में भी उत्कृष्ट उत्पादन हासिल किया जा सकता है।
Live Cricket Info




