Raipur News: – बैरक नंबर-15 से वायरल हुआ सनसनीखेज वीडियो, खोजी पत्रकार के खुलासे ने जेल प्रशासन में हड़कंप मचा दिया

Raipur News: – रायपुर सेंट्रल जेल की बैरक नंबर-15 से सामने आए ताज़ा वीडियो ने सुरक्षा और निगरानी में गंभीर खामियों को उजागर किया। वीडियो में आरोपी मोह. राशिद अली उर्फ़ राजा बैज़ड़, जो एनडीपीएस एक्ट की धारा 20(बी) के तहत 11 जुलाई 2025 से जेल में बंद हैं, मोबाइल फोन का खुला उपयोग करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
Raipur। रायपुर सेंट्रल जेल एक बार फिर विवादों के केंद्र में आ गई है। बैरक नंबर-15 से सामने आए वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि राजा बैज़ड़ मोबाइल का इस्तेमाल करके बाहरी संपर्क बनाए हुए हैं। वीडियो की शूटिंग तिथि 13 से 15 अक्टूबर 2025 बताई जा रही है।
इस पूरे मामले को उजागर करने का श्रेय रायपुर के ख्यातिप्राप्त खोजी पत्रकार मुकेश एस. सिंह को जाता है। उन्होंने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल @truth_finder04 पर वीडियो और उससे जुड़े दस्तावेज़ साझा किए। पत्रकार का कहना है कि वीडियो जेल के भीतर से ही शूट किया गया और इसमें आरोपी द्वारा मोबाइल का प्रयोग स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। उनके इस खुलासे के बाद पूरे राज्य में सनसनी फैल गई और जेल प्रशासन से जवाबदेही की मांग तेज हो गई।
दो थानों में 9 प्रकरण: दस्तावेज़ानुसार आपराधिक ब्योरा
अधिकारिक अभिलेखों के अनुसार, टिकरापारा और कोतवाली थानों में कुल 9 आपराधिक मामले दर्ज हैं। ये प्रकरण अलग–अलग वर्षों में दर्ज हुए हैं। विवरण इस प्रकार है:
A. थाना टिकरापारा, रायपुर
1. अपराध क्रमांक 632/2014 – धारा 25, आर्म्स एक्ट
2. अपराध क्रमांक 136/2015 – धारा 25, आर्म्स एक्ट
3. अपराध क्रमांक 351/2017 – धारा 25, 27, आर्म्स एक्ट
4. अपराध क्रमांक 250/2017 (थाना कोतवाली) – धारा 302, 201, 34, भा.दं.सं.
5. अपराध क्रमांक 756/2024 – धारा 262, भा.दं.सं.
6. अपराध क्रमांक 864/2024 – धारा 25, 27, आर्म्स एक्ट
7. अपराध क्रमांक 507/2025 – धारा 296, 351(2), 115(2), भा.दं.सं.
8. अपराध क्रमांक 517/2025 – धारा 20(बी), एनडीपीएस एक्ट
9. अपराध क्रमांक 411/442/2025 – धारा 170, 126, 135(3), भा.दं.सं.
नोट: उपरोक्त सभी प्रविष्टियाँ दस्तावेज़ीय जानकारी पर आधारित हैं। उद्देश्य किसी प्रकरण की व्याख्या नहीं।
बैरक नंबर-15: जेल के अंदरूनी गतिविधियों का केंद्र
खुलासों के अनुसार, राजा बैज़ड़ बैरक नंबर-15 में बंद थे – जहाँ से उन्होंने कथित रूप से मोबाइल के जरिए वसूली और नशे का नेटवर्क संचालित किया। वीडियो में साफ दिखता है कि वह पहले रिश्तेदार से वीडियो कॉल पर बात करते हैं और उसी दौरान खुद का वीडियो रिकॉर्ड कर भेजते हैं।

सूत्रो के अनुसार, बैरक नंबर-15 में कुछ बंदियों को विशेष सुविधाएँ दी जाती रही हैं। इसी बैरक में रहते हुए राजा बैज़ड़ ने भीतरी प्रभाव और बाहरी नेटवर्क दोनों को सक्रिय रखा, जो अब वायरल वीडियो के रूप में सामने आया है।
खोजी पत्रकार मुकेश एस. सिंह का बयान
मुकेश एस. सिंह ने कहा –
“यह सिर्फ़ एक अपराधी की कहानी नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की सच्चाई है।
हर बार जब ऐसे खुलासे होते हैं, तो कुछ निचले स्तर के कर्मचारी निलंबित कर दिए जाते हैं,
लेकिन असली जिम्मेदार अधिकारी बच निकलते हैं। यह वीडियो उस सड़न की गवाही है जिसे अब अनदेखा नहीं किया जा सकता।
उन्होंने यह भी कहा कि वीडियो में दिख रही परिस्थितियाँ स्पष्ट करती हैं कि जेल के भीतर नियंत्रण तंत्र नाममात्र का रह गया है। उनके अनुसार यह प्रकरण इस बात का प्रमाण है कि संस्थागत सुधार व्यवस्था अब केवल कागज़ों तक सीमित रह गई है।
संस्थागत जवाबदेही की आवश्यकता
रायपुर सेंट्रल जेल का यह प्रकरण यह दर्शाता है कि निगरानी और जवाबदेही का ढाँचा कमजोर हो चुका है। जेल के भीतर मोबाइल, नशे के पदार्थ और अवैध गतिविधियाँ केवल सुरक्षा चूक नहीं, बल्कि संस्थागत निगरानी की असफलता हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि जेलों को पुनर्वास और सुधार के केंद्र के रूप में पुनर्परिभाषित करने की आवश्यकता है। कठोर निगरानी प्रणाली, डिजिटल ट्रैकिंग और तकनीकी अवरोध के बिना सुरक्षा मानकों की बहाली संभव नहीं।
वीडियो के खुलासे ने यह स्पष्ट कर दिया है कि रायपुर सेंट्रल जेल अब सुधार गृह नहीं, बल्कि ऑर्गेनाइज्ड क्राइम का संचालन केंद्र बन चुकी है। अगर शीर्ष स्तर तक सुधारात्मक कार्रवाई नहीं हुई, तो जेल की दीवारों के भीतर अपराध का यह नेटवर्क और गहराई तक जड़ें जमा लेगा।
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