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“राजस्थान खदान विवाद: विकास vs विरोध, सोशल मीडिया की आग” “सरगुजा में खदान विरोध: क्या है सच, क्या है झूठ?”

अम्बिकापुर : सुरगुजा जिले में राजस्थान सरकार की खदान परियोजना के विरोध में हिंसक प्रदर्शन हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर हमला किया और सरकारी संपत्ति को क्षतिग्रस्त किया।

  • बाहरी तत्वों का हाथ: प्रदर्शनकारियों में कई बाहरी तत्व शामिल थे जिन्होंने जानबूझकर हिंसा भड़काई।
  • सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल: सोशल मीडिया पर गलत सूचना फैलाई गई जिससे स्थिति और बिगड़ गई।“सरगुजा में खदान विरोध: क्या है सच, क्या है झूठ?”

दरअसल सुरगुजा जिले मे राजस्थान सरकार की खदान के लिए जमीनी कार्यवाही करने गई पुलिस पर बुधवार की रात से ही इकठ्ठा किए गए कुछ तत्वों ने हमला बोल दिया । हालांकि पुलिस की संयमित प्रतिक्रिया के चलते मामला संभल गया ।

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उल्लेखनीय है की रायपुर स्थित तथाकथित अभियानकारी समय समय पर सरगुजा जिले मे बाहरी लोगों को लाकर स्थानीयों और सरकार के विरुद्ध उपद्रव कराते रहते है । साथ ही कुछ चुने हुई तस्वीरों को लेकर सोशल मीडिया मे महंगे इंफ्लुएंसर द्वारा विकास विरोधी बातों को फैलाते रहते है ।

इस दौरान एक दंगाई को धकामुक्की के दौरान लगी चोट को पुलिस द्वारा लाठीचार्ज का नतीजा बताते हुए कुछ पेशेवर तत्वों ने सोशल मीडिया मे और व्हाट्सप्प द्वारा स्थानीय पत्रकारों को गुमराह करने का भी प्रयास किया है । साथ ही पथराव मे घायल पुलिसकर्मीयों को अस्पताल ले जाने मे कुछ उपद्रवियों ने रुकावटे खड़ी करने का प्रयास किया । जिसके कारण पुलिस के एक दस्ते को लाठी चलानी पड़ी है । स्थानीय प्रशासन ने इस घटना का संज्ञान लेते हुए शांति बनाए रखने के लिए बाहरी लोगों को अपने जिले मे लौट जाने के लिए अपील की है ।

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हाल ही मे सरगुजा मे राजस्थान की सरगुजा स्थित केते इक्स्टेन्शन खदान को मिले भारी समर्थन के बाद विदेशी चंदे से लैस संगठन और भी आक्रामक हो गया है । राजस्थान सरकार को सरगुजा मे तीन खदाने आवंटित है जिसमे से सिर्फ पीईकेबी खदान 2013 से कार्यरत है जिसके चलते जिले मे करीब 10,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा हुए है । स्थानीयों ने अनेक बार जिला और राज्य प्रशासन को बाहरी लोगों द्वारा राजस्थान की खदानों का विकास और अबाधितरूप परिचालन को रोकने के प्रयास के विरुद्ध ज्ञापन सौंपा है।

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Kanha Tiwari

छत्तीसगढ़ के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्होंने पिछले 10 वर्षों से लोक जन-आवाज को सशक्त बनाते हुए पत्रकारिता की अगुआई की है।

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