गांवों में रेत की किल्लत, बाहर सप्लाई जारी – ग्रामीणों में उबाल आंदोलन की चेतावनी

बेलगहना क्षेत्र में अवैध रेत कारोबार चरम पर, ग्रामीणों का फूटा गुस्सा

बिलासपुर/कोटा।कोटा ब्लॉक के बेलगहना तहसील अंतर्गत ग्राम पहन्दा, कुसुमखेड़ा व आसपास के इलाकों में अवैध रेत खनन का खेल खुलेआम जारी है। ग्रामीणों का आरोप है कि पहन्दा निवासी रामप्रसाद उर्फ दल्लू रात्रे बीते एक दशक से संगठित तरीके से रेत का अवैध कारोबार चला रहा है। इस धंधे ने जहां शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न खड़ा किया है, वहीं गांवों में भय और असंतोष का माहौल भी बना दिया है।

संगठित नेटवर्क का खुलासा
ग्रामीणों के अनुसार, दल्लू रात्रे रोजाना 40 से 50 ट्रैक्टर रेत अपने घर के पास बाड़ी में जमा करता है। बाद में इन्हें आसपास के गांवों व बाहरी खरीदारों को ऊंचे दामों पर बेचा जाता है। रात के अंधेरे में जेसीबी से हाईवा वाहनों में रेत भरकर गौरेला-पेंड्रा और मध्यप्रदेश के इलाकों तक आपूर्ति की जाती है। आरोप है कि रात 11 बजे से सुबह 2 बजे तक रेत से लदे वाहन केंदा चौकी बैरियर से बिना किसी रोक-टोक के गुजरते हैं, जो सरकारी तंत्र की मिलीभगत की ओर इशारा करता है।

ग्रामीणों को ही रेत की किल्लत
विडंबना यह है कि गांव के लोग अपने घर बनाने या छोटे-मोटे कामों के लिए रेत पाने के लिए भटकते रहते हैं। जब कोई ग्रामीण खुद रेत लेने की कोशिश करता है तो उनकी गाड़ियां खनिज विभाग जब्त कर लेता है, जबकि संगठित रेत माफियाओं पर कोई कार्रवाई नहीं होती।

प्रतिबंध के बावजूद उत्खनन
वर्षा ऋतु में रेत खनन पर पूर्ण प्रतिबंध रहता है, लेकिन पहन्दा क्षेत्र में कारोबार बेरोकटोक जारी है। ग्रामीणों ने बताया कि पहले भी कई बार तहसील बेलगहना और केंदा चौकी में शिकायतें की गईं, मगर किसी ठोस कदम की पहल नहीं हुई।

कार्रवाई न हुई तो आंदोलन
अनदेखी से नाराज ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने इस बार भी कठोर कार्रवाई नहीं की, तो वे चक्का जाम, घेराव और बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे। उनका कहना है कि जब तक राजस्व, पुलिस और खनिज विभाग की संयुक्त कार्रवाई नहीं होती, तब तक रेत माफियाओं के हौसले बुलंद रहेंगे।

उच्च अधिकारियों तक पहुँची शिकायत
ग्रामीणों ने इस मामले की शिकायत तहसीलदार बेलगहना, कलेक्टर बिलासपुर, पुलिस अधीक्षक, खनिज व राजस्व विभाग को भेजी है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और संबंधित मंत्रियों को भी पत्राचार किया गया है। ग्रामीणों की मांग है कि दल्लू रात्रे जैसे रेत कारोबारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए ताकि क्षेत्र में कानून व्यवस्था कायम हो सके।

प्रशासन पर उठे सवाल
ग्रामीणों का आरोप है कि कार्रवाई का असर केवल छोटे किसानों और स्थानीय ट्रैक्टर चालकों पर होता है, जबकि बड़े माफिया और हाईवा वाहन आसानी से निकल जाते हैं। समाजसेवी सचिन साहू ने कहा कि पहन्दा-कुसुमखेड़ा समेत कई घाटों से अवैध रूप से रेत की सप्लाई मध्यप्रदेश तक की जा रही है। केंदा चौकी और कारीआम बैरियर पर जांच की व्यवस्था होते हुए भी रेत से भरे वाहन बेखौफ निकलते हैं, जिससे विभागीय मिलीभगत साफ दिखाई देती है।

सचिन साहू का कहना है – कि रेत लेने पहुंचे ग्रामीणों से मोटी रकम वसूल कर रेत उपलब्ध कराया जाता है। पुलिस और खनिज विभाग की कार्रवाई भी संदेह पैदा करती है क्योंकि अधिकतर जब्ती स्थानीय किसानों के ट्रैक्टरों की होती है, जबकि बाहरी बड़े वाहन अक्सर बच निकलते हैं।

उन्होंने कहा कि यदि बेलगहना तहसील से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो जिला कलेक्टर व खनिज विभाग का घेराव किया जाएगा।
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