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केंदा में शराब भट्टी का तीव्र विरोध, पूर्व जनपद अध्यक्ष शुक्ला महिलाओं के साथ मौके पर पहुंचे — विरोध आंदोलन तेज

महिलाओं ने कहा, “दारूबंदी चाहिए, दारू मंडी नहीं

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बिलासपुर जिले के कोटा विकासखंड के अंतर्गत ग्राम केंदा में प्रस्तावित शासकीय मदिरा दुकान खोले जाने के निर्णय के खिलाफ ग्रामीणों और महिला समूहों में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। चर्चा के अनुसार, गांव में शराब दुकान स्थापित करने की तैयारी अंतिम चरण में है, जिस पर विरोध जताने के लिए पूर्व जनपद अध्यक्ष संदीप शुक्ला स्वयं महिलाओं के साथ स्थल पर पहुंचकर मुखर रूप से विरोध दर्ज कराया।

ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें शराब दुकान खुलने की जानकारी कुछ दिन पूर्व अनौपचारिक रूप से मिली थी, जिसके बाद गांव की महिलाओं ने जनपद सदस्य जमुना बाई टेकाम के नेतृत्व में कलेक्टर कार्यालय जाकर ज्ञापन सौंपा था और दुकान खोलने की प्रक्रिया को रोकने की मांग की थी। ग्रामीणों का आरोप है कि आपत्ति जताए जाने के बाद भी प्रशासन तेज़ी से निर्माण एवं संचालन की तैयारी में जुटा हुआ है, जिससे गांव की महिलाएं और युवाओं में नाराजगी और अधिक बढ़ गई है।

विरोध के दौरान ग्रामीणों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए शराब की खेप अंदर पहुंचाने की प्रक्रिया का विरोध किया। इस दौरान स्थिति तनावपूर्ण होने की संभावना को देखते हुए स्थानीय पुलिस ने मौके पर पहुंचकर भीड़ को समझाइश देते हुए शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने की अपील की।

विरोध स्थल पर उपस्थित पूर्व जनपद अध्यक्ष संदीप शुक्ला ने इस निर्णय को असंवेदनशील और सामाजिक रूप से हानिकारक बताते हुए कहा कि – एक ओर प्रशासन क्षेत्रों में शैक्षणिक संस्थानों को संचालित करने में इच्छुक नहीं दिख रहा, वहीं दूसरी ओर शराब दुकानों का विस्तार करने में तेजी दिखाई जा रही है। यह नीति समाज और युवाओं के भविष्य के लिए घातक सिद्ध हो सकती है।”
उन्होंने आगे कहा कि “सरकार यदि इसे ‘गारंटी’ पूर्ण करने का उदाहरण मान रही है तो यह किसी भी जिम्मेदार नागरिक के लिए स्वीकार्य नहीं है। ऐसे फैसले विकास नहीं बल्कि सामाजिक अवनति की ओर संकेत करते हैं।”

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जनपद सदस्य जमुना टेकाम ने भी इस निर्णय को गंभीर सुरक्षा एवं सामाजिक चिंता से जोड़ते हुए बताया कि जिस स्थान पर शराब भट्टी खोली जा रही है, वह मानिकपुर, चुरेली, कारीमाटी और बाहरीझिरिया मार्ग से जुड़ा मुख्य रास्ता है। उनका कहना है कि इस मार्ग से प्रतिदिन छात्र-छात्राएं, महिलाएं और ग्रामीण आवागमन करते हैं। शराब दुकान से उत्पन्न होने वाली गतिविधियों से महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा प्रभावित हो सकती है तथा सामाजिक वातावरण पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।”

इसी क्रम में कांग्रेस कार्यकर्ता ईश्वर तंवर ने भी कहा कि -केंदा जैसे शांत और सरल वातावरण वाले गांव में शराब दुकान खोलने की कोई तार्किक और वास्तविक आवश्यकता नहीं है। उनका मानना है कि शराब की उपलब्धता से बच्चों और युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव तथा घरेलू कलह की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।

विरोध प्रदर्शन में शामिल महिलाओं ने स्पष्ट कहा कि वे किसी भी परिस्थिति में गांव में शराब दुकान नहीं खुलने देंगी। उन्होंने कहा कि वे प्रशासन या पुलिस से डरकर हटने वाली नहीं हैं और अपने गांव के भविष्य की रक्षा के लिए संघर्ष करने को तैयार हैं।

चक्का जाम की चेतावनी
विरोध के बढ़ते स्वरूप को देखते हुए पूर्व जनपद अध्यक्ष संदीप शुक्ला ने घोषणा की कि यदि प्रशासन ग्रामीणों की आपत्ति के बावजूद शराब दुकान खोलने पर अडिग रहता है, तो अगले दिन केंदा में चक्का जाम आंदोलन किया जाएगा, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।

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