
जांजगीर-चांपा – छत्तीसगढ़ का जांजगीर-चांपा जिला, जिसे कृषि प्रधान जिला माना जाता है, अब पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर उद्यानिकी फसलों की खेती की ओर कदम बढ़ा चुका है। जिले के किसान अब ग्राफ्टेड बैगन जैसी उन्नत कृषि तकनीकों को अपनाकर अपनी आय बढ़ा रहे हैं। धान की खेती को छोड़कर अब यहाँ के किसान बैगन, मिर्च, गोभी जैसे व्यावसायिक उत्पादों की ओर रुख कर रहे हैं, और इससे उनकी आर्थिक स्थिति में व्यापक सुधार आ रहा है।
बम्हनीडीह ब्लॉक के सरवानी गांव के किसान अजित राम साहू का उदाहरण इस बदलाव का स्पष्ट प्रमाण है। उन्होंने 4एकड़ भूमि में ग्राफ्टेड बैगन की खेती शुरू की और अब उन्हें लाखों रुपये की आय हो रही है। अजित बताते हैं, “धान की तुलना में इस फसल से मुझे तीन गुना अधिक आमदनी मिल रही है। इसके साथ ही मुझे समय-समय पर उद्यानिकी विभाग से आवश्यक तकनीकी मार्गदर्शन और सहायता भी मिल रही है, जिससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है।”२०२५-२६ में विभाग से अनुदान हेतु पंजीयन भी हो गया है
रंजना मखीजा का योगदान
जांजगीर-चांपा जिले में उद्यानिकी विभाग की योजनाओं के क्रियान्वयन में सहायक सहायक संचालक उद्यान रंजना मखीजा और उनकी टीम की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। उन्होंने कहा, “हमारा मुख्य उद्देश्य किसानों को तकनीकी ज्ञान और आवश्यक संसाधन प्रदान करना है, ताकि वे अधिक उत्पादन लें ,गुणवत्ता युक्त उत्पादन के माध्यम से अधिक लाभ प्राप्त कर सकें। विभाग द्वारा बीज, मल्चिंग, इत्यादि पर अनुदान प्रदान किया जाता है। इससे किसानों की उत्पादन लागत कम होती है और उपज में वृद्धि होती है।”
ग्राफ्टेड बैगन: नई कृषि तकनीक
ग्राफ्टेड बैगन की खेती एक अत्याधुनिक कृषि तकनीक है, जिसमें एक मजबूत जड़ प्रणाली वाले पौधों पर बैगन की उन्नत किस्म की कलम चढ़ाई जाती है। इस तकनीक से बैगन के पौधों में रोगों का प्रभाव कम होता है, और उपज भी बेहतर होती है। यह तकनीक किसानों को अधिक उत्पादन अधिक मुनाफा की संभावना प्रदान करती है। जिले में अब २०० से अधिक किसान ग्राफ्टेड वैगन की खेती से लाभ उठा रहे हैं, और उनके उत्पादन में लगातार वृद्धि हो रही है।
सहायक संचालक उद्यान रंजना मखीजा ने यह भी बताया, “हमने2024-25 में 112 एकड़ क्षेत्र में ग्राफ्टेड बैगन की खेती करने वाले किसानो को अनुदान प्रदान करने हेतु पंजीकृत किया आगामी वर्षों में हमारी योजना है कि इसे बढ़ाकर 250 एकड़ तक किया जाए।” यह कार्यक्रम जिले के किसानों के लिए लाभकारी साबित हो रहा है, क्योंकि उद्यानिकी विभाग द्वारा दी जा रही तकनीकी सहायता और अनुदान योजनाएं उन्हें बेहतर परिणाम प्राप्त करने में मदद कर रही हैं।
नए कृषि विकल्प से किसान हो रहे आत्मनिर्भर
अब जिले के किसान उद्यानिकी फसलों की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। बैगन, मिर्च, गोभी, टमाटर जैसी सब्जियों की खेती से उनकी आय में सुधार हो रहा है और वे अपने परिवार के बेहतर भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं। मखीजा ने कहा, “हमार।प्रयास है किसान आत्मनिर्भर बने ।
निष्कर्ष
जांजगीर-चांपा जिला, जहां पहले धान की खेती ही मुख्य आय का स्रोत थी, अब उद्यानिकी फसलों की खेती के माध्यम से नई दिशा में बढ़ रहा है। ग्राफ्टेड बैगन जैसी उन्नत तकनीकों से जिले के किसान अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार ला रहे हैं और कृषि को एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में देख रहे हैं। यह जिले के कृषि क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक बदलाव का संकेत है, जो भविष्य में और अधिक किसानों को फायदा पहुंचाएगा।

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