जिला स्काउट मुख्य आयुक्त ने दी माताओ को हलषष्ठी व्रत की शुभकामनाएँ

जिला स्काउट मुख्य आयुक्त शेखर चंदेल ने जिले की समस्त माताओं को हलषष्ठी, कमरछठ पर दी बधाई और शुभकामनाएं प्रेषित की है अपने नैला रोड स्थित कार्यालय मे जिला स्काउट गाइड संघ के मुख्य आयुक्त ने कहा की छत्तीसगढ़ के पारंपरिक पर्वों में से एक पर्व कमरछठ भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। । इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र एवं सुख-समृद्धि के लिए हलषष्ठी माता की पूजा-अर्चना करती है। अन्य प्रदेशों में हलषष्ठी पर्व को भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ के जन्मोत्सव के रूप में मनाने की परंपरा है।
युवा नेता शेखर चंदेल ने कहा कि, षष्ठी, छठ माता की पूजा-अर्चना में पसहर चावल और छह प्रकार की भाजियों का भोग लगाया जाता है। बिना हल जोते उगता है पसहर चावल, पसहर चावल को खेतों में उगाया नहीं जाता। यह चावल बिना हल जोते अपने आप खेतों की मेड़, तालाब, पोखर या अन्य जगहों पर उगता है। भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ के जन्मोत्सव वाले दिन हलषष्ठी मनाए जाने के कारण बलदाऊ के शस्त्र हल को महत्व देने के लिए बिना हल चलाए उगने वाले पसहर चावल का पूजा में इस्तेमाल किया जाता है। पूजा के दौरान महिलाएं पसहर चावल को पकाकर भोग लगाती हैं, साथ ही इसी चावल का सेवन कर व्रत तोड़ती हैं। फूल, नारियल, फुलोरी, महुआ दोना इत्यादि करके छै प्रकार की भाजियो का भोग लगाती है पुरानी मान्यता है की यह व्रत माता देवकी ने किया था माता देवकी के छह पुत्रों को जब कंस ने मार दिया तब पुत्र की रक्षा की कामना के लिए माता देवकी ने भादो कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को षष्ठी देवी की आराधना करते हुए व्रत रखा था। इसी मान्यता के चलते महिलाएं अपने पुत्र की खुशहाली के लिए छठ का व्रत रखती हैं और अपने बच्चों की लंबी आयु के लिये सगरी में पोतनी डुबाकर छह-छह बार कमर पर लगाती है। छत्तीसगढ के जांजगीर चाम्पा जिले मे यह पर्व अत्यंत भाव भक्ति से सराबोर होकर माताएँ अपने पुत्रो के दीर्घायु की कामना करते हुए मनाती है