बेजुबानों पर कहर,पुलिस पर आरोपियों को बचाने का संदेह!CCTV में कैद क्रूरता, आवाज उठाने पर TI की धमकी –महिला NGO कार्यकर्ता से बदसलूकी,सुने वायरल ऑडियो

मनेन्द्रगढ़ में बेजुबानों पर कहर: पुलिस की नाक के नीचे हत्या की कोशिश, टीआई ने दी धमकी!
रायपुर/मनेन्द्रगढ़: मनेन्द्रगढ़ में इंसानियत को शर्मसार करने वाली एक खौ़फनाक घटना सामने आई है! यहां कुछ असामाजिक तत्वों ने न सिर्फ मासूम पिल्लों और आवारा कुत्तों को बेरहमी से मारा, बल्कि इस बर्बरता को पुलिस की नाक के नीचे अंजाम दिया। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि पुलिस ने इस घटना पर कोई कदम नहीं उठाया, उल्टा उन लोगों को धमकी दी जिन्होंने इस कुकृत्य के खिलाफ आवाज उठाई!

टीआई साहब की धमकी:
टीआई सुनील तिवारी ने न सिर्फ पुलिस की लापरवाही को उजागर किया, बल्कि एक पशु प्रेमी को धमकाते हुए कहा कि वह वीडियो हटा दे। TI ने कहा, “अगर तुमने अपना मुँह बंद नहीं किया, तो तुम्हें नगर निगम के CEO के साथ मिलकर घर से बाहर निकाल देंगे!”
क्या यह पुलिस का काम है? जब बेजुबान जानवरों के साथ क्रूरता हो रही हो, तो पुलिस इसे छुपाने का काम कर रही है!
कानूनी स्थिति: क्या बेजुबान जानवरों के अधिकारों की कोई कीमत है?
भारतीय कानून के तहत, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 और भारतीय दंड संहिता की धारा 325 (BNS) के तहत किसी भी जानवर के प्रति हिंसा या क्रूरता करना एक गंभीर अपराध है। इसके अलावा, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51(G) के तहत प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार प्राप्त है कि वह जानवरों की देखभाल करे और उन्हें भोजन दे। यह स्पष्ट रूप से कानून के खिलाफ है कि किसी animal feeder को उनके द्वारा किए गए अच्छे काम के लिए धमकाया जाए और उनका उत्पीड़न किया जाए।

एसपी की चुप्पी:
पशु प्रेमियों ने जब पुलिस अधीक्षक से मदद की गुहार लगाई, तो उन्होंने भी कोई मदद नहीं की। बल्कि, एक गर्भवती NGO कार्यकर्ता को अपशब्द कहे और धमकाया, “तुम्हें यहीं से बाहर फेंक दूँगा!” यह प्रशासन की ऐसी स्थिति है, जहां अपराधियों को समर्थन मिल रहा है और निर्दोष लोग डर के साए में जीने को मजबूर हैं।
https://youtu.be/LCXf8F1WYRE?si=SC1nfv5_oILTOpnf
स्वास्थ्य मंत्री का गृह जिला: प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल
यह मामला और भी हैरान करने वाला हो जाता है जब यह तथ्य सामने आता है कि मनेन्द्रगढ़ प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री का गृह जिला है। इसके बावजूद यहां के प्रशासन और पुलिस विभाग की निष्क्रियता यह सवाल खड़ा करती है कि क्या सत्ता और प्रशासन की नाक के नीचे इस तरह के जघन्य अपराधों को अंजाम देना अब आम हो गया है?
पशु प्रेमियों की सख्त मांगें:
पशु प्रेमियों ने अब प्रशासन से आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। साथ ही, टीआई और एसपी के खिलाफ उच्चस्तरीय जांच की भी मांग की है। अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन और पुलिस इस मामले को गंभीरता से लेंगी या यह स्थिति और बिगड़ेगी?
क्या मनेन्द्रगढ़ में पुलिस और प्रशासन का यही रूप रहेगा?
यह सवाल अब पूरे राज्य और समाज के सामने खड़ा हो गया है। क्या मनेन्द्रगढ़ और अन्य जगहों पर बेजुबान जानवरों की मदद करने वाले अब सुरक्षित नहीं रह सकते? क्या अब उन्हें भी पुलिस और प्रशासन से डरना पड़ेगा?
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