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आत्महत्या के लिए उकसाने वाले अकबर खान की जमानत याचिका सत्र न्यायालय ने की खारिज, कहा ऐसे आदतन अपराधी को जमानत देने से समाज में अशांति का खतरा



बिलासपुर। आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में आदतन अपराधी अकबर खान की जमानत याचिका सत्र न्यायालय ने खारिज कर दी है। सरकंडा थाना क्षेत्र के चांटीडीह निवासी 56 वर्षीय रजब अली ने अपने घर के सामने गुलमोहर पेड में नायलोंन की रस्सी से फांसी लगाकरआत्महत्या कर ली थी। 2 वर्ष तक कांग्रेस की सरकार होने के चलते कांग्रेस नेता अकबर खान पर पुलिस हाथ डालने से कतराती रही।


2 साल बाद भाजपा की सरकार आने पर सरकंडा थाना में धारा 306,34 के तहत तैय्यब हुसैन व अकबर खान पर अपराध दर्ज किया गया। जिसमे अकबर की गिरफ्तारी हुई व तैय्यब फरार है। अकबर ने जमानत के लिए सत्र न्यायायल  में याचिका लगाई थी। जिसमें अकबर के अधिवक्ता ने बताया कि अकबर विभिन्न बीमारियों से ग्रसित है उसे इलाज के लिए भर्ती करवाया गया था। साथ ही  मुंबई के रिलायंस अस्पताल समेत महाराष्ट्र के अन्य अस्पतालों में इलाज जारी है। उसे हृदय रोग है और गंभीर बीमारी के इलाज जेल में उपलब्ध नहीं है। जिस मामले में जुर्म दर्ज हुआ है वह राजस्व का प्रकरण है और राजस्व न्यायालय के फैसले से क्षुब्ध होकर मृतक ने आत्महत्या की है।

अकबर खान के अधिवक्ता ने बताया कि मृतक ने सुसाइड नोट में भी अकबर का नाम नहीं लिखा है। 2 साल बाद मामले में अपराध दर्ज किया गया है। जबकि जमानत विरोध कर रहे अधिवक्ता ने बताया कि जेल मैनुअल के अनुसार अकबर को चिकित्सा उपलब्ध कराई जा सकती है। अकबर की गिरफ्तारी से संबंधित पोस्ट डालने पर धनंजय गोस्वामी नामक युवक को फोन कर धमकी दी गई है इसके खिलाफ सिविल लाइन थाने में भी अपराध दर्ज करवाया गया है। ऐसा ही एक प्रकरण सकरी थाने में भी अकबर के खिलाफ है। सरकंडा थाना के इस प्रकरण को मिलाकर कुल आठ प्रकरण अकबर के खिलाफ दर्ज है। अकबर का नाम सक्रिय गुंडा सूची में भी शामिल है। जमानत मिलने पर वह गवाहों एवं  साक्ष्यों को प्रभावित कर सकता है।

प्रकरण की सुनवाई कर दशम अपर सत्र न्यायाधीश अविनाश त्रिपाठी ने अपने फैसले में कहा है कि प्रकरण गंभीर व अजमानतीय प्रकृति का है और दस वर्ष के कारावास से दंडनीय है। केस डायरी से दर्शित है कि सुसाइड नोट के आधार पर अपराध दर्ज किया गया है। जमानत मिलने पर गवाहों व साक्ष्यों को प्रभावित करने की आशंका है। प्रकरण का सह आरोपित फरार है। साथ ही अकबर आपराधिक प्रवृति का है। ऐसे आरोपी को जमानत मिलने से समाज में अशांति उत्पन्न होने का खतरा है। साथ ही उन्होंने जमानत निरस्त कर दिया।

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Kanha Tiwari

छत्तीसगढ़ के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्होंने पिछले 10 वर्षों से लोक जन-आवाज को सशक्त बनाते हुए पत्रकारिता की अगुआई की है।

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